डेली संवाद, नई दिल्ली, (सुनील प्रभाकर)। Kapil Mishra: कपिल मिश्ना का नाम तो जरूर सुना होगा। वही कपिल मिश्रा, जो दिल्ली भाजपा के उप प्रधान भी हैं। वही कपिल मिश्रा, जो कभी दिल्ली के मुख्यमंत्री अऱविंद केजरीवाल के सबसे प्रिय नेता थे। वही कपिल मिश्रा, जो आज सोशल मीडिया के स्टार हैं।
कपिल मिश्रा कैसे राजनीति में आए और अऱविंद केजरीवाल से होते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी बन गए? सभी लोग काफी हाउस या हिल पर जाकर मंगेतर से डेट करते हैं, लेकिन कपिल मिश्रा ऐसे शख्स हैं, जो धरना स्थल पर मंगेतर से डेट किया और फिर एक दूजे के हो गए।
यमुना सत्याग्रह स्थल के ऊपर जाकर उपवास
चाहे नेता हो, या अभिनेता, या फिर आम आदमी, अगर मौका मिले तो अपनी मंगेतर को डेट पर लेकर जाता ही जाता है। लेकिन आज हम देश की दिल्ली के ऐसे युवा नेता की बात कर रहे हैं जो अपनी मंगेतर को डेटिंग पर ले जाने की बजाय उन्हें दिल्ली मे यमुना नदी और यमुना खादर के किसानों को उजड़ने से बचाने के लिए साल 2007 में चल रहे यमुना सत्याग्रह स्थल के ऊपर जाकर उपवास करते थे।
बात 2007 की है। बता दें कि उस समय कपिल मिश्रा राजनीति में नहीं थे। कपिल मिश्रा की मंगनी दिल्ली की ही लड़की प्रीति मेहरा से हुई थी। दोनों ने ही दिल्ली यूनिवर्सिटी से सोशल वर्क में डिग्री की थी। कपिल मिश्रा गोल्ड मेडलिस्ट थे। उन दिनों मेगसेसाय अवार्ड सम्मानित भारत के जल पुरुष राजेंद्र सिंह, वरिष्ठ पत्रकार (दिवंगत) कुलदीप नैयर, प्रख्यात पर्यावरण विद् वंदना शिवा, दिल्ली के प्रख्यात वाटर एक्टिविस्ट दीवान सिंह और कपिल मिश्रा ने देश भर के वाटर एक्टिविस्ट साथियों के साथ मिलकर यमुना को बचाने के लिए यमुना सत्याग्रह छेड़ दिया था।
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उस समय की केंद्र की मनमोहन सरकार और दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार कॉमनवेल्थ गेम्स को लेकर दिल्ली के यमुना की रिवर बेड के ऊपर कॉमनवेल्थ प्ले विलेज के नाम पर यमुना खादर के किसानों को उजाड़ कर और यमुना नदी के किनारे जोकि बारिश के पानी को सीधा धरती के नीचे पहुंचाते थे और दिल्ली के ग्राउंडवाटर को कम होने से रोकते थे, उन किनारों को उजाड़ रही थी।
वहां परमानेंट कंस्ट्रक्शन कर रहे थे, कॉमनवेल्थ प्ले विलेज बना रही थी, जिससे कि दिल्ली के ग्राउंडवाटर का नाश होना लाजिमी था। इसी बात के खिलाफ दिल्ली मे अक्षरधाम मंदिर के नजदीक जहां कॉमनवेल्थ प्ले विलेज बन रहा था वहीं पर यमुना सत्याग्रह शुरू किया गया था। पंजाब की तरफ से मुझे भी यमुना सत्याग्रह मे माँ यमुना के हक मे काम करने का मौका मिला।
सभी हैरान थे कि कपिल मिश्रा अपनी मंगेतर के साथ आते थे और दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के इस जुल्मी जिद के खिलाफ दिन भर उपवास पर बैठते थे। लोग कहते थे कि कपिल भाई आप अपनी मंगेतर को साथ ले जाकर डेटिंग की बजाय यहां सत्याग्रह स्थल के ऊपर जाकर उपवास करते हैं। लोगों को सच में हैरानी होती थी कि जिन नदियों ने हमारी इंसानों की नस्लों को जिंदा बनाए रखा हमें संस्कृतियां दी उनके लिए जीने वाले युवा भी दिल्ली में है।
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बता दे मंगेतर को साथ लेकर लोग लॉन्ग ड्राइव पर निकलते हैं लेकिन कपिल मिश्रा तब अपनी मंगेतर व दिल्ली समेत देश भर से यमुना सत्याग्रह का हिस्सा बनने आने वाले जल कार्यकर्ताओं को साथ लेकर यमुना के हक मे यमुना किनारे कई कई किलोमीटर यमुना के लिए जन जागरण करते हुए पद यात्राएं करते थे। कपिल दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट को साथ लेकर भी पद यात्राएं निकलते थे।
तब कपिल मिश्रा क्रांतिकारी तो थे ही लेकिन उनकी मंगेतर प्रीति उनसे भी 10 गुना बड़ी क्रांतिकारी नजर आती थी। जब कभी किसी सत्याग्रही को पुलिस पकड़ कर ले जाती थी तो प्रीति पुलिस की जिप्सी में छलांग लगाकर बैठ जाती थी कि हमें भी थाने ले चलो अगर मां यमुना के हक की लड़ाई लड़नी गुनाह है तो।
आज के दौर में युवाओं को सीखना चाहिए कि देश के लिए कैसे जीना होता है। कपिल मिश्रा और प्रीति के जीवन से काफी कुछ सीखा जा सकता है। दिल्ली भाजपा के वाइस प्रेसिडेंट और पूर्व मंत्री व युवा तेजस्वी नेता कपिल मिश्रा और उनकी पत्नी प्रीति के जीवन से दिल्ली और देश के युवा काफी कुछ सीख सकते हैं कि कैसे देश के जंगल, जमीनों और नदियों के लिए जिया जाता है।