Punjab News: हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया वार्डबंदी, जालंधर नगर निगम के अफसरों को इस दिन किया तलब

Daily Samvad
4 Min Read
Municipal Corporation jalandhar

डेली संवाद, चंडीगढ़। Punjab News: पंजाब से बड़ी खबर है। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आज बाबा बकाला नगर कौंसिल की वार्डबंदी को खारिज कर दिया है, जबकि जालंधर की वार्डबंदी केस की सुनवाई के लिए अगली तारीख दे दी है। जालंधर नगर निगम की वार्डबंदी के खिलाफ दायर याचिका पर अब 3 अक्टूबर को सुनवाई होगी।

आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने जालंधर निगम की प्रस्तावित वार्डबंदी को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। यह याचिका हाईकोर्ट के वकील एडवोकेट मेहताब सिंह खैहरा, हरिंदर पाल सिंह ईशर तथा एडवोकेट परमिंदर सिंह विग द्वारा डाली गई है जिसमें पंजाब सरकार और इसके विभिन्न विभागों को प्रतिवादी बनाया गया है।

ये भी पढ़ें: जालंधर में खुलेआम चलता है दड़ा सट्टा, पुलिस और नेता को जाता है ‘हफ्ता’

एडवोकेट परमिंदर सिंह विग ने बताया कि हाईकोर्ट में पंजाब के सभी नगर निगमों, नगर कौंसिलों औऱ नगर पंचायतों के केस को क्लब कर दिया है। यही नहीं, आज सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के माननीय जज ने बाबा बकाला नगर कौंसिल के नई वार्डबंदी को खारिज कर दिया, जबकि जालंधर समेत अन्य नगर निगमों की वार्डबंदी पर 3 अक्टूबर को सुनवाई के लिए बुलाया गया है।

हाईकोर्ट में यह याचिका जिला कांग्रेस के प्रधान तथा पूर्व विधायक राजेंद्र बेरी, पूर्व कांग्रेसी पार्षद जगदीश दकोहा तथा पूर्व विधायक प्यारा राम धन्नोवाली के पौत्र अमन द्वारा डाली गई है। याचिका में तर्क दिया गया है कि पंजाब सरकार ने जब डीलिमिटेशन बोर्ड का गठन किया था, उसके सदस्यों को बदला नहीं जा सकता परंतु बोर्ड के सदस्य जगदीश दकोहा तथा अन्य पार्षदों को इस आधार पर हटा दिया गया क्योंकि जालंधर निगम के पार्षद हाऊस की अवधि खत्म होने के बाद वह पार्षद नहीं रह गए थे।

ये भी पढ़ें: मुंह ढक कर घर से बाहर निकलने, बाइक और स्कूटी चलाने पर दर्ज होगी FIR

याचिका में कहा गया है कि 5 एसोसिएट सदस्यों को न तो डिलीमिटेशन बोर्ड की बैठक में बुलाया गया और न ही उन्हें बोर्ड से हटाने हेतु कोई नोटिफिकेशन ही जारी किया गया। सरकार ने अपनी ओर से दो सदस्य बोर्ड में मनोनीत कर दिए जबकि सरकार केवल एक ही सदस्य बोर्ड में अपनी ओर से भेज सकती है। याचिका में कहा गया है कि जब डीलिमिटेशन बोर्ड ही अवैध है तो उस द्वारा तैयार की गई वार्डबंदी अपने आप ही गैरकानूनी हो जाती है।

याचिका में तर्क दिया गया है कि प्रस्तावित वार्डबंदी में गूगल मैप को आधार बनाया गया है जो आम आदमी की समझ से परे है। इसकी बजाए ड्राफ्ट्समैन से वार्डों की सीमाओं का निर्धारण किया जाना चाहिए था परंतु राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते वार्डबंदी का प्रस्तावित ड्राफ्ट तैयार किया गया। पता चला है कि कांग्रेस ने याचिका में स्टे आर्डर की मांग की है।

पंजाब में कुर्ताफाड़ गैंग का कहर, देखें VIDEO















Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *