डेली संवाद, जालंधर। Kali Chaudas 2023: आज छोटी दिवली है। सनातन धर्म में दिवाली पर यानी अमावस्या तिथि ज्यादातर साधक मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं, लेकिन दिवाली से एक दिन पहले, यानी छोटी दिवाली पर काली मां की पूजा का विधान है।
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आज काली चौदस है। अधिकतर दिवाली पूजा और काली पूजा आमतौर पर एक ही दिन पड़ती है। पंचांग के अनुसार, काली पूजा उस दिन की जाती है जब आधी रात के दौरान अमावस्या रहती है।
काली चौदस की पूजा करने से पहले अभ्यंग स्नान (सूर्योदय के पहले शरीर पर उबटन लगाकर किया गया स्नान) करना जरूरी माना जाता है। इसके बाद शरीर पर परफ्यूम लगाएं और मां काली की विधिवत रूप से पूजा करें। इससे साधक के जीवन में आ रही सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।
ये उपाय करें
काली चौदस की रात्रि को एक पीले कपड़े में हल्दी, 11 गोमती चक्र, चांदी का सिक्का और 11 कौड़ियां बांधकर 108 बार श्रीं लक्ष्मी नारायणाय नमः मंत्र का जाप करें। इसके बाद इन सभी को धन के स्थान या तिजोरी में रख दें। इससे आपके व्यवसाय में आ रही किसी भी प्रकार की बाधा दूर हो जाती है।
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काली चौदस की पूजा के दौरान लौंग का जोड़ा काली माता के चरणों में अर्पित करें। इस उपाय को करने से साधक के अंदर मौजूद सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है। साथ ही मां काली को चने की दाल और गुड़ का भोग जरूर लगाएं।
इस मंत्र का करें जाप
‘ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा।’
काली चौदस की पूजा के दौरान मां काली का ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप जरूर करें। यह काली माता का बीज मंत्र है। इस का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए। इससे शत्रुओं का नाश होता है।