अयोध्या से डेली संवाद के संपादक महाबीर सेठ की स्पेशल रिपोर्ट। Ayodhya Deepotsav 2023: प्रभु श्रीराम की नगरी फिर से जगमगा गई। इस जगमग से श्रीराम की वापसी से रामनगरी एक बार पुन: निहाल हुई। वे श्रीराम, सीता, भरत, लक्ष्मण और हनुमान नहीं थे। उनके स्वरूप थे। तथापि उन्होंने ‘मानवता की जय’ के प्रतिनिधि प्रसंग का मनोहारी पुनर्स्मरण कराया।
ये भी पढ़ें: ट्रैवल एजैंट विनय हरि के खिलाफ DCP से शिकायत, FIR दर्ज करने की मांग
मौका था अयोध्या में दीपोत्सव का। प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या दीयों से जगमगा उठी है। नगर में हर तरफ दीयों की कतार ही नजर आती है। इस बार के दीपोत्सव में अयोध्या धाम में एक साथ 22 लाख 23 हजार दीयों को जलाने का रिकॉर्ड बनाया गया। सब कुछ ऐसा लग रहा है जैसे देवलोक पृथ्वी पर उतर आया हो।
इससे पहले अपराह्न रामकथापार्क में विराजमान लोगों के सिर पर मंडराए हेलीकाप्टर से पुष्पक विमान की प्रतीति होती है और अगले पल सरयू तट पर लैंड करने के साथ श्रीराम, सीता, लक्ष्मण एवं हनुमान के स्वरूप अयोध्या की धरती पर पैर रखा।
सम्मुख भरत और शत्रुघ्न के स्वरूप पूरी विह्वलता और आह्लाद के साथ भाई, भाभी का स्वागत करते हैं। रामकथा पार्क भी लंका विजय के बाद श्रीराम की वापसी के महापर्व को जीवंत करने के लिए पूरी तरह तैयार हो उठा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक सहित कई अन्य मंत्रियों, महापौर महंत गिरीशपति त्रिपाठी, विधायक वेदप्रकाश गुप्त एवं रामचंद्र यादव सहित कई अन्य विशिष्ट लोगों के साथ श्रीराम और उनके समकालीन अन्य पात्रों के स्वरूप की अगवानी की और उन्हें त्रेतायुगीन वाहन रथ पर प्रतिष्ठित करा हेलीपैड से रामकथापार्क के मंच तक ले आए।
ये भी पढ़ें: जालंधर में महिला के साथ तांत्रिक ने कर डाला ये ‘कांड’
केंद्रीय आसन पर श्रीराम और सीता के स्वरूप तथा अन्य पात्रों के स्वरूप अगल-बगल के आसन पर विराजमान होते हैं। हनुमान जी के स्वरूप सेवाभाव की भूमिका के चलते खड़े रहते हैं। यहां राज्यपाल, मुख्यमंत्री सहित अयोध्या के प्रतिनिधि संतों का समाज अभिषेक के साथ राम-सीता के स्वरूप का विधिवत पूजन एवं आरती किया।
यह सब देख रहे लोगों में कुछ की मुग्धता और उनकी आंखों से व्यक्त होती नमी बताती है कि दर्शक कुछ देर के ही लिए सही, युगों का अंतराल पाट कर श्रीराम के दौर को अनुभूत किया और श्रीराम सहित अन्य अनेक पात्रों के संगी-सहचर बनकर निहाल हो उठे।