डेली संवाद, रोपड़। Punjab News: भारतीय प्रौद्योगिकी संसथान, रोपड़ तथा भारतीय शिक्षण मंडल, पंजाब प्रांत द्वारा मंगलवार को “पंजाब संवाद” कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें प्रख्यात शिक्षाविदों ने शिक्षा का स्वास्थ्य एवं समृद्धि विषय पर अपने विचार साझा किए।
भारतीय प्रौद्योगिकी संसथान, रोपड़ के निदेशक प्रो. राजीव आहूजा की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में मा. शंकरानंद, अखिल भारतीय संगठन मंत्री, भारतीय शिक्षण मंडल, मुख्य वक्ता के रूप में तथा मा. रजनीश अरोड़ा, पूर्व कुलपति, आईकेजी पीटीयू, कपूरथला, मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए। इनके अतिरिक्त पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी ने विशिष्ट अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
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समारोह की शुरुआत दीप ज्योति प्रज्वलन से हुई। कार्यक्रम के आरंभ में प्रोफेसर मंजीत बंसल, सह संगठन मंत्री बीएसएम ने स्वागत भाषण दिया। तदुपरांत भारतीय प्रौद्योगिकी संसथान, रोपड़ के निदेशक प्रो. राजीव आहूजा ने सभी गणमान्य अतिथियों का अभिनंदन किया। प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए रजनीश अरोड़ा, मुख्य अतिथि और पूर्व कुलपति, आईकेजी पीटीयू, कपूरथला ने पंजाब राज्य के विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न मुद्दों को सूचीबद्ध करते हुए कार्यक्रम का विषय प्रस्तुत किया।
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस संगोष्ठी में हमें केवल समस्या पर चर्चा ही नहीं करनी चाहिए, बल्कि सार्थक चिंतन के माध्यम से समस्या का समाधान खोजना चाहिए। समस्याओं का समाधान खोजने के लिए हमें सबसे पहले अपने भीतर यह आत्ममंथन करने की जरूरत है कि हमारी प्राथमिकताएं क्या हैं और क्या हमारी प्राथमिकताएं हमें भारतीय ज्ञान प्रणाली के बुनियादी मूल्यों से दूर ले जा रही हैं। अगर यह सच है तो हमें अपने व्यवहार में सुधार करने की जरूरत है। यदि हम इसे बुनियादी मानवीय मूल्यों के साथ ठीक करेंगे तभी हम समाज के भीतर आवश्यक बदलाव ला सकेंगे।
शिक्षण प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता
इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि हमारी भारतीय गुरुकुल प्रणाली समकालीन समस्याओं से निपटने में मदद कर सकती है। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि केवल गुरुकुल प्रणाली में ही हम छात्रों को समस्याओं का समाधान खोजने के लिए प्रशिक्षित कर सकते हैं तथा उनके कौशल को निखार सकते हैं। इसलिए हमें भारतीय ज्ञान प्रणाली पर आधारित एक शिक्षण प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है।
उन्होंने पंजाब की तीन प्रमुख समस्याओं प्रदूषण, धर्मांतरण और पलायन पर बात की और सभी को एक योद्धा की तरह इन समस्याओं से लड़ने के लिए प्रेरित किया। अपने बीज वक्तव्य में मा. शंकरानंद, अखिल भारतीय संगठन मंत्री, भारतीय शिक्षण मंडल ने कहा कि हम कब तक उन्हीं समस्याओं से जूझते रहेंगे, कब हम बदलाव हासिल करेंगे और कब हम परिवर्तनकारी चरण में जाएंगे। इन समस्याओं के समाधान प्राप्त करने के लिए हमें एक दयालु सरकार और जागृत समाज की आवश्यकता है।
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भारत ने कोरोना संकट के दौरान दूसरे देशों को वैक्सीन प्रदान की और विभिन्न प्रकार से उनकी मदद की। इससे पता चलता है कि भारत हमारे वेदों में वर्णित “वसुधैव कुटुंबकम” की हमारी प्राचीन अवधारणा के अनुरूप संपूर्ण विश्व को अपना परिवार मानता है। पंजाब प्रांत के शैक्षणिक संस्थान हमारे युवाओं में भारतीय मूल्यों का विकास करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। अगर युवा दयालु होंगे तो वे पंजाब की समस्याओं को हल करने में सक्षम होंगे।
सभी बड़ी समस्याओं का समाधान खोज सकते
अगर हम विश्वास कर लें तो हम पंजाब की सभी बड़ी समस्याओं का समाधान खोज सकते हैं। हमें दृढ़ संकल्प के साथ यह निश्चय करना चाहिए कि हम सब मिलकर मजबूत प्रतिबद्धता के साथ पांच साल के भीतर पंजाब की सभी समस्याओं को खत्म कर देंगे। यदि पंजाब के सभी शैक्षणिक संस्थान एक साथ आ सकें, तो हम निश्चित रूप से ऐसी सभी समस्याओं को दूर कर देंगे। केवल निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है। औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आई आई टी रोपड़ के निदेशक प्रोफेसर राजीवआहूजा ने रोपड़आने औरअपना बहुमूल्य समय देने के लिए सभी वक्ताओं और मेहमानों के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि पंजाब की सभी शैक्षणिक संस्थाएं मिलकर पंजाब की समस्याओं का समाधान लिकालने की दिशा में प्रयास करें। उन्होंने आश्वासन दिया किआई आई टी रोपड़ शिक्षाऔर जीवन के अन्य पहलुओं में समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए पंजाब के सभी शैक्षणिक संस्थानों को पूरा समर्थन देगा। कार्यक्रम में मंच संचालन पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ की प्रोफेसर पंकज माला शर्मा ने किया। शांति मंत्र का पाठ पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के जनसंचार और मीडिया अध्ययन विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. रुबल कनोजिया ने किया।
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