डेली संवाद, जालंधर/कनाडा। Canada-US Donkey Route: शाहरुख खान की फिल्म डंकी सिनेमाघरों में चल रही है। ये कहानी डंकी के जरिए विदेश जाने वालों पर आधारित है। अगर आप कनाडा और अमेरिका डंकी बनकर यानी डंकी रूट से जाना चाहते हैं, तो ये स्टोरी आपको झकझोर कर रखी देगी। डंकी रूट कोई सरल रास्ता नहीं, बल्कि मौत का भी रास्ता है। लाखों रुपए खर्च कर लोग डंकी रूट आखिर क्यों चुनते हैं, इस स्टोरी में हम ये बताएंगे।
ये भी पढ़ें: ट्रैवल एजैंट विनय हरि के खिलाफ DCP से शिकायत, FIR दर्ज करने की मांग
अंग्रेजी में डंकी और हिन्दी में गधा। यानि गधे बनकर कनाडा और अमेरिका जाना। पैसे कमाने की लालच में ट्रैवल एजैंट भारतीयों को गधे बना रहे हैं। गधे बनकर अमेरिका और कनाडा जाने के लिए ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और गुजरात के लोग इच्छुक रहते हैं। इसमें से ज्यादातर डंकी की मौत भी रास्ते में हो जाती है।
अब हम जानते हैं असल में डंकी रूट है क्या
भारत से अमेरिका करीब 13,500 किमी दूर है। हवाई यात्रा से अमेरिका जाने में करीब 20 घंटे लगते हैं। जबकि डंकी रूट से यही दूरी 15,000 किमी तक हो जाती है और इस सफर में महीनों लग जाते हैं। डंकी रूट के जरिए अमेरिका जाने के लिए 3 पड़ाव पार करने होते है। ये पड़ाव किसी मौत की कुआं से कम नहीं है।
पड़ाव-1: भारत से लैटिन अमेरिकी देश जाना
जालंधर के ट्रैवल एजैंट बताते हैं कि भारत में डंकी रूट का सबसे लोकप्रिय और पहला पड़ाव लैटिन अमेरिकी देश पहुंचना है। इनमें इक्वाडोर, बोलीविया और गुयाना जैसे देश शामिल हैं। इन देशों में भारतीयों को वीजा ऑन अराइवल मिल जाता है। यानि कि इन देशों में जाने के लिए पहले से वीजा लेने की जरूरत नहीं है और ऑन द स्पॉट वीजा दे दिया जाता है।
ब्राजील और वेनेजुएला समेत कुछ अन्य देशों में भारतीयों को आसानी से टूरिस्ट वीजा दे दिया जाता है। यहां से डंकी बने लोग कोलंबिया पहुंचते हैं। कई लोग दुबई के रास्ते लैटिन अमेरिकी देश जाते हैं। इसमें उन्हों महीने कंटेनर्स में रहना पड़ता है।
10 महीने और लाखों रुपए खर्चा
डंकी रूट इस बात पर डिपेंड करता है कि जिस एजेंट के माध्यम से आप जा रहे हैं, उसके संबंधित देशों में कितने कनेक्शन हैं। हालांकि लैटिन अमेरिकी देशों में पहुंचना कठिन नहीं है, फिर भी यहां पहुंचने में महीनों लग जाते हैं। कई बार लोग दस महीने में कठिन परिश्रम और पैसा खर्च करके पहुंचते हैं।
ट्रैवल एजेंट के मुताबिक अमेरिका तक के डंकी रूट के लिए 70 लाख रुपए तक का खर्च आता है, जितना पैसा खर्च करेंगे उतनी परेशानियां कम होंगी। अगर पैसे कम दिए तो आपको परेशानी भी उतनी ज्यादा होगी।
पड़ाव-2: लैटिन से अमेरिका जाना
ट्रैवल एजैंट बताते हैं कि कोलंबिया पहुंचने के बाद डंकी पनामा में एंटर करते हैं। इन दोनों देशों के बीच खतरनाक जंगल डेरियन गैप है। इसे पार करना बेहद जोखिम भरा है। नदी-नालों के बीच में जहरीले कीड़े और सांप का हमेशा डर बना रहता है।
ये जंगल डेंजर क्रिमिनल्स के लिए भी जाना जाता है। इस जंगल में डंकी से लूट होती है। महिला हो या पुरुष यहां के अपराधी उनके साथ रेप तक करते हैं। रेप के बाद हत्या करने से बिल्कुल नहीं झिझकते हैं ये लुटेरे।
सोते समय सांप भी डस लेता है
कई बार डंकी को सोते समय सांप भी डस लेता है। इस जंगल में डंकियों की लाशें मिलना कोई नहीं बात नहीं है। यहां कोई सरकार नहीं है। अगर भाग्य ने साथ दिया और सब कुछ ठीक रहा तो डंकी 10 से 15 दिन में पनामा का जंगल पार कर जाता है।
ग्वाटेमाला का पड़ाव, एक्सचेंज होते हैं एजेंट
पनामा का जंगल पार करने के बाद अगला पड़ाव ग्वाटेमाला है। ह्यूमन ट्रैफिकिंग करने वालों के लिए ग्वाटेमाला एक बड़ा काेऑर्डिनेशन सेंटर है। अमेरिकी बॉर्डर की ओर बढ़ते हुए यहां डंकी को दूसरे एजेंट के हैंडओवर किया जाता है।
जंगल से बचना के लिए खतरनाक नदी का रास्ता
ट्रैवल एजैंट के मुताबिक अगर कोई डंकी पनामा जंगल से नहीं जाना चाहता तो कोलंबिया से एक रास्ता और है। यह रास्ता सैन एन्ड्रेस से शुरू होता है। बताया जाता है कि ये रास्ता बेहद रिस्की है। सैन एन्ड्रेस से डंकी सेंट्रल अमेरिका के देश निकारागुआ के लिए नाव लेते हैं।
यहां से 150 किलोमीटर का सफर नाव से करने के बाद दूसरी नाव में ट्रांसफर हाेते हैं, जो मेक्सिको के लिए जाती है। इस नदी में सीमा पुलिस पेट्रोलिंग तो करती ही है। नदी में खतरनाक जानवर जान लेने के लिए तैयार रहते हैं।
डंकी रूट पकड़ने वाले 8 लोगों की मौत
आपको बता दें कि इसी साल 31 मार्च को अमेरिका-कनाडा के बॉर्डर पर 8 लोगों के शव मिले थे। इनमें से चार भारतीय थे जो गुजरात के मेहसाणा के रहने वाले थे। मृतकों में प्रवीण चौधरी (50), पत्नी दीक्षा (45), मीत (20) और बेटी विधि (23) थी।
ये चारों पहले टूरिस्ट वीजा पर कनाडा गया था। वहां से अमेरिका जाने के लिए डंकी रूट पकड़ा था। जब ये लोग क्यूबेक-ओंटेरियो सीमा के पास सेंट लॉरेंस नदी पार कर रहे थे। तेज हवा से नाव पलट गई और सभी की मौत हो गई।
पड़ाव-3: मेक्सिको से अमेरिका में दाखिल
ट्रैवल एजैंट बताते हैं कि डंकी को मेक्सिको से यूएस बॉर्डर जाना होता है। रास्ते अलग-अलग तरह की मुसीबतें है। सर्दी के साथ बीच में रेगिस्तान भी पड़ता है। इसके बाद डंकी पहुंचता है यूएस मेक्सिको सीमा पर जहां 3,140 किलोमीटर लंबी दीवार बनी हुई है।
डंकी इसी को कूदकर अमेरिका में प्रवेश करते हैं। जो लोग दीवारों को पार नहीं कर पाते वे वे रियो ग्रांडे नदी को पार करने का खतरनाक रास्ता चुनते हैं। अमेरिका जाने से पहले डंकी से उसका पासपोर्ट और पहचान वाले दस्तावेज ले लिए जाते हैं।
ऐसा इसलिए क्योंकि उसकी पहचान हो जाएगी और उसे वापस इंडिया डिपोर्ट कर दिया जाएगा। अब डंकी अमेरिका में अवैध तरीके से आ गया है।
डंकी पहुंचता है अमेरिका, इसके बाद क्या?
ट्रैवल एजैंटों के मुताबिक अमेरिका में घुसने के बाद डंकी जानबूझकर अपने आप को वहां की पुलिस के हवाले कर देता है। इसके बाद उसे जेल में डाला जाता है। इस जेल को कैम्प कहा जाता है। डंकी को जेल से छुड़ाने के लिए वकील हायर किया जाता है।
इसका खर्च एजेंट या डंकी का कोई रिश्तेदार उठाता है। वकील अपनी दलीलों से कोर्ट को भरोसा दिलाता है कि डंकी को अमेरिका में रहने दिया जाए। इसके बाद डंकी को जेल से रिहा किया जाता है।
8-10 साल में ग्रीन कार्ड
डंकी अमेरिका पर बोझ न बने, इसलिए उसे कमाने और खाने की अनुमति दी जाती है। ये अनुमति बढ़ती रहती है। 8-10 साल में ग्रीन कार्ड मिल जाता है। ग्रीन कार्ड मिलने का मतलब हैं डंकी अब यूएस में परमानेंट रह सकता है और उसे काम करने का अधिकार है। इसके 10-15 साल बाद उसे अमेरिका की नागरिकता भी मिल जाती है।
जिस तरह से भारत में अवैध कॉलोनियों का वैध करने के लिए हर 5 से 7 साल के बीच स्कीम निकाली जाती है। ठीक वैसे ही अमेरिका में अवैध लोगों को नागरिकता देने के लिए स्कीम निकाली जाती है। इसमें कुछ फीस भरने के बाद डंकी अमेरिका का नागरिक बन जाता है।
परिचित का इंतजाम एजेंट करते हैं
जेल में डंकी से पूछा जाता है कि क्या अमेरिका में उसका कोई परिचित रहता है। यदि वह हां कहता है तो उस परिचित से संपर्क किया जाता है और डंकी को रिहा करने के बदले इमिग्रेशन बॉन्ड भरने के लिए कहा जाता है। यह एक तरह की जमानत है, जिसके बदले डंकी को कई शर्तों के साथ रिफ्यूजी कैम्प से रिहा किया जाता है। इस परिचित का इंतजाम एजेंट करते हैं, लेकिन इसके बदले अलग से पैसा लेते हैं।
बॉन्ड की राशि इंडिया से डंकी के परिजन एजेंट के देते हैं। ये राशि 3 लाख 40 हजार से 2 करोड़ तक हो सकती है। बॉन्ड कितना लगेगा ये इमिग्रेशन मामलों की अदालत पर डिपेंड करता है।
ये भी पढ़ें: जालंधर में होटल Empire Square और Deck5 होगा सील
डंकी को कमाने-खाने की अनुमति के साथ जेल से रिहा कर दिया जाता है। इस दौरान डंकी पर अवैध रूप से बॉर्डर पार करने का केस चलता है, जिसमें उसे हर सुनवाई में मौजूद होना जरूरी है। ये जरूरी नहीं है कि हर डंकी को इमिग्रेशन बॉन्ड का मौका मिले। कई लोगों को रिफ्यूजी कैंप में रखने के बाद इंडिया डिपोर्ट भी कर दिया जाता है।
50 से 70 लाख रुपए खर्चा
पंजाब से एक डंकी के अमेरिका पहुंचने का औसत खर्च 20 से 50 लाख रुपए है। कभी-कभी ये खर्च 70 लाख तक पहुंच जाता है। एजेंट वादा करता है कि डंकी को कम परेशानी झेलनी पड़ेगी, लेकिन असल में ऐसा कुछ नहीं होता। ज्यादातर पेमेंट तीन किस्तों में होती है।
पहली भारत से निकलने पर दूसरी कोलंबिया बॉर्डर पहुंचने पर तीसरी अमेरिकी बॉर्डर के पास पहुंचने पर। पैसों का भुगतान नहीं होने पर एजेंटों के गिरोह मैक्सिको या पनामा में डंकी की हत्या करके पीछा छुड़ा लेते हैं।
आखिर डंकी रूट क्यों अपनाते हैं लोग?
मौत को मात देकर विदेश जाने के लिए आखिर लोग डंकी रूट का क्यों इस्तेमाल करते हैं, यह बड़ा सवाल है। दरअसल, ये लोग कम एजुकेटेड होते हैं और विदेशों में बसने के लिए होने वाले एग्जाम क्रैक नहीं कर पाते। यहां तक कि वे ठीक से अंग्रेजी भी नहीं बोल पाते।
कुछ समय पहले तक डंकी रूट लेने वाले सबसे ज्यादा लोग पंजाब से हुआ करते थे और ये कनाडा ही जाते थे। जब से स्टडी और वर्किंग वीजा मिलने लगा है। यहां के लोग लीगल तरीके से जाने की तैयारी करने लगे हैं। अब डंकी रूट पकड़ने हरियाणा से भी बड़ी संख्या में लोग जाते हैं। – (साथ में भास्कर.काम से इनपुट)