Punjab News: सीएम द्वारा NRI भाईचारे को राज्य के सामाजिक-आर्थिक तरक्की में सक्रिय हिस्सेदार बनने का न्योता

Daily Samvad
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डेली संवाद, पठानकोट। Punjab News: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज विश्व भर में बसते एन. आर. आई. भाईचारे को पंजाब की अर्थव्यवस्था को दुनिया के अग्रणी राज्य के तौर पर उभारने के लिए उनको खुले दिल के साथ सहयोग देने का न्योता दिया।

यहाँ ‘एन. आर. आई. मिलनी’ के दौरान प्रवासी पंजाबी भाईचारे के विशाल इक्ट्ठ को संबोधन करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों के दौरान एन. आर. आई. को अफसरशाही के हाथों अपमान सहना पड़ता था। वैसे, भगवंत सिंह मान ने कहा कि जबसे उन्होंने पद संभाला है, प्रवासी भारतीयों की भलाई के लिए बहुत सी पहलकदमियों की गई हैं और राज्य में नया बदलाव देखने को मिल रहा है।

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उन्होंने कहा कि यह तो अभी सिर्फ़ शुरुआत है क्योंकि प्रवासी भारतीयों का सम्मान बहाल करने के लिए बहुत से नवीन कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, “ मैं एक साधारण परिवार में जन्मा और बढ़ा हुआ हूँ जिस कारण ज़मीनी स्तर पर अच्छी तरह जुड़ा हुआ हूँ, इसलिए मैं समाज के अलग-अलग वर्गों को पेश समस्याओं से भली-भाँति अवगत हूं। मैंने लोगों को भरोसा दिया कि उनकी हर समस्या का हल किया जाएगा और राज्य सरकार अब हरेक नागरिक की जायज समस्या के हल के लिए उनकी सेवा में उपस्थित है।

विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिए कई राजदूतों और कूटनीतिकों को मिले

हम राज्य की तरक्की और खुशहाली के लिए वचनबद्ध हैं।“मुख्यमंत्री ने कहा कि वह राज्य में विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिए कई राजदूतों और कूटनीतिकों को मिले हैं। उन्होंने कहा कि इसका एकमात्र मकसद राज्य के विकास को बढ़ावा देना है जिससे लोगों को इसका भरपूर लाभ मिल सके। भगवंत सिंह मान ने कहा कि आने वाले समय में पंजाब पर्यटन उद्योग के केंद्र के तौर पर उभरेगा क्योंकि ऐसे यत्नों को फल ज़रूर मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकार के दौरान करवाए गए एन. आर. आई. सम्मेलन केवल धोखा थे क्योंकि इसमें से कुछ भी सार्थक ढंग से सामने नहीं आया। उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीयों को बड़े-बड़े पैलेसों और होटलों में बुलाया जाता था परन्तु बाद में उनको अपमानित होना पड़ता था क्योंकि कोई भी उनकी परवाह नहीं करता था। भगवंत सिंह मान ने कहा कि उनकी सरकार राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत लोगों को दिखाने के लिए रमणीक और कुदरती सुदंरता से लबरेज़ इस स्थान पर यह समागम करवा रही है।

खुले दिल के साथ डालना चाहिए योगदान

उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीयों को इसकी तरक्की और खुशहाली के लिए खुले दिल के साथ योगदान डालना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा, “ पंजाब धन्य धरती है जहाँ गेहूँ और धान की इतनी ज़्यादा पैदावार होती है कि देश को अनाज उत्पादन में आत्म निर्भर बनाया जा सका। यह बड़े दुख की बात है कि पहले वाले नेताओं ने राज्य के संसाधनों को लूटा जिस कारण राज्य तरक्की और खुशहाली में पिछड़ गया है।

देश भक्ति का एन. ओ. सी. की ज़रूरत नहीं

अब पंजाब को हर क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए सख्त यत्न किये जा रहे हैं।“ मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब को किसी भी व्यक्ति ख़ास कर केंद्र में सत्ताधारी लोगों से देश भक्ति का एन. ओ. सी. की ज़रूरत नहीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस की परेड के दौरान राज्य की झांकी को रद्द कर दिया था, चाहे कि आज़ादी के संघर्ष के लिए 90 प्रतिशत बलिदान पंजाबियों ने दिया था।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाबियों ने जाति, रंग, नसल और भौगोलिक स्तर से ऊपर उठ कर परमात्मा की कृपा स्वरूप जीवन के हरेक क्षेत्र में अपनी काबिलीयत का सबूत दिया है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में शायद पंजाबी ही ऐसा भाईचारा है जो अपनी मेहनत, इमानदारी और वचनबद्धता के बलबूते कोई भी कठिन से कठिन काम कर सकता है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य सरकार ने शानदार बुनियादी ढांचे, अतिरिक्त बिजली, बढ़िया शिक्षा और सेहत सहूलतों के मामले में पंजाब को विकास की तीव्र गति पर लाने के लिए ठोस प्रयास किये हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सब कुछ राज्य में सांप्रदायिक सदभावना, शांति और सदभावना भरे माहौल स्वरूप संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि शांतमयी माहौल ने पंजाब की समूची विकास प्रक्रिया में तेज़ी लाई है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह बड़े मान और संतोष की बात है कि बहादुर पंजाबी अमन- शांति और भाईचारक सांझ की जड़ों को मज़बूत करने के साथ-साथ लोकतंत्र के मूल्यों पर अथाह भरोसा रखते हैं।

भावनात्मक सांझ का प्रगटावा करते हुये मुख्यमंत्री ने प्रवासी भारतीय भाइयों को आर्थिक और सामाजिक रिश्तों को मज़बूत करने के साथ-साथ शिक्षा और सेहत सेवाओं को उत्साहित करने में बड़ा योगदान डालने की अपील की, जोकि हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन को ‘औपचारिक इक्ट्ठ’ के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए, बल्कि इसको राज्य की बेहतरी के लिए विचार-विमर्श के आपसी आदान-प्रदान में तबदील करके सेहतमंद मंच के तौर पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

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