डेली संवाद, टोरंटो/नई दिल्ली। Canada Immigration: कनाडा (Canada News) और सिंगापुर (Singapore) की तरह भारत में इंटरनेशनल एयरपोर्ट (International Airport in India) पर इमीग्रेशन क्लीयरेंस सिस्टम (Immigration Clearance System) लागू होगी। इसके लिए भारत सरकार ने योजना बनाई है। जिससे भारत के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर इमीग्रेशन सिस्टम पहले से ज्यादा बेहतर होगा।
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भारत में मौजूदा समय में मुंबई एयरपोर्ट को छोड़कर बाकी देश के तमाम इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर सीआईएसएफ जांच से पहले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की इमिग्रेशन क्लीयरेंस की जाती है। लेकिन नई व्यवस्था में इमिग्रेशन जोन को देश के सभी 32 इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर सीआईएसएफ जांच के बाद शिफ्ट करने पर विचार किया जा रहा है।
इमिग्रेशन जोन को शिफ्ट करना भी अहम
केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिल्ली, मुंबई एयरपोर्ट ऑपरेटर्स समेत तमाम एजेंसियों के साथ मीटिंग की। इसमें सीआईएसएफ, इमिग्रेशन और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी भी मौजूद थे। नागर विमानन मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि बैठक में कई मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया। जिसमें इमिग्रेशन जोन को शिफ्ट करना भी अहम रहा।
इसके लिए कनाडा, सिंगापुर समेत दुनिया के कुछ अन्य इंटरनैशनल एयरपोर्ट की स्टडी की गई। हालांकि, नई व्यवस्था कब से लागू होगी। इस बारे में अभी कुछ साफ नहीं है, क्योंकि इसके लिए बड़े स्तर पर बदलाव करने होंगे।
पोर्टल पर होगा ई-इमिग्रेशन
यात्रियों को इमिग्रेशन क्लीयरेंस कराने में लाइन में ना लगना पड़े, इसके लिए ई-इमिग्रेशन सिस्टम पर जोर देने पर विचार किया गया। इसके लिए अलग से एक पोर्टल बनाया जाएगा। जहां ई-इमिग्रेशन की सेवा लेने वाले यात्री अपनी पहचान और यात्रा संबंधित तमाम डिटेल इंटरनैशनल फ्लाइट पकड़ने से पहले इसमें अपलोड करेंगे।
इसके बाद जब वह एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन जोन में जाएंगे। तब वहां सबकुछ सही होने पर चंद सेकंड में ई-गेट खुल जाएंगे। मामले में एक अधिकारी ने बताया कि सरकार की योजना है कि आने वाले समय में दिल्ली एयरपोर्ट को देश का सबसे बड़ा ट्रांजिट हब बनाया जाए।
यात्रियों को लाइन से मिलेगी मुक्ति
हवाई अड्डों से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने वाले यात्रियों को पीक आवर्स में सुरक्षा जांच में लगने वाली लाइनों से किस तरह से पूरी तरह से मुक्ति दिलाई जाए, इस पर भी मीटिंग में बात हुई। इसके लिए दिल्ली एयरपोर्ट ऑपरेटर ने भी अपनी एक और अपडेट प्रेजेंटेशन पेश की।
इसमें सुरक्षा जांच में लगने वाली यात्रियों की लाइनों को खत्म करने के लिए एक कॉमन एसएचए (सिक्यॉरिटी होल्ड एरिया जहां सीआईएसएफ द्वारा यात्रियों की जांच की जाती है) बनाने पर विचार किया जा रहा है। नए सिस्टम में जो कॉमन एसएचए बनाने की बात है। इसमें मोबाइल एक्स-रे मशीनें और बैरिकेडिंग सिस्टम हो सकता है।
सुरक्षा जांच के लिए 25 एक्स-रे मशीनें
इसके तहत इंटरनैशनल या फिर डोमेस्टिक जोन में जहां भी ट्रैफिक लोड अधिक हो, इनका इस्तेमाल उस जोन के लिए किया जा सके। जिससे की यात्रियों की जल्द से जल्द फ्रिस्किंग हो सके। दिल्ली एयरपोर्ट पर अगर यह सिस्टम लागू होता है तो फिर टी-3 में इंटरनैशनल जोन में मौजूदा समय में सुरक्षा जांच के लिए जो 25 एक्स-रे मशीनें होती हैं। इनकी संख्या बढ़कर 41 हो जाएगी।
नया सिस्टम लागू कैसे होगा?
कॉमन एसएचए और इमिग्रेशन जोन को सीआईएसएफ जांच के बाद शिफ्ट करने जैसी सेवाओं को जहां एक तरफ बेहतरी के नजरिए से देखा जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ अभी इस नए सिस्टम को केंद्रीय गृह मंत्रालय, आईबी और सीआईएसएफ की तरफ से मंजूरी नहीं दी गई है।
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सूत्र नए सिस्टम में स्मगलिंग और कबूतरबाजी के और बढ़ने की आशंका जता रहे हैं। लेकिन सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि अगर सीआईएसएफ और अन्य संबंधित एजेंसियों की मेन पावर बढ़ा दी जाए तो इस बदलाव को किया जा सकता है। वरना, मौजूदा जवानों के बूते नए सिस्टम को लागू करने से कई तरह की मुश्किलें आ सकती हैं।