डेली संवाद, नई दिल्ली। Cyberbullying: इंसान को तकनीक से लैस करने का एक मकसद उसे सशक्त बनाना है, लेकिन विज्ञान और प्रौद्योगिकी कई बार अभिशाप भी बन जाती है जब इसका दुरुपयोग होने लगता है।
इंटरनेट के इस्तेमाल से एक तरफ दुनिया वैश्विक गांव बन चुकी है तो दूसरी तरफ साइबरबुलिंग जैसे खतरों के कारण बचपन दांव पर लग गया है। ऑनलाइन क्राइम और बच्चों को डराने-धमकाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लगभग निरंकुश हो चुके हैं। इस कारण साइबरबुलिंग का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है।
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यूनिसेफ ने साइबरबुलिंग से बचाव के तरीकों की बेहतर और प्रभावी समझ के लिए फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, टिकटॉक और एक्स (ट्विटर) जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ काम किया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के अलावा, मैसेजिंग और गेमिंग प्लेटफॉर्म यूजर्स पर भी साइबरबुलिंग का खतरा है।
स्मार्टफोन इस्तेमाल कर रही युवा पीढ़ी को आपराधिक मानसिकता के लोग निशाना बनाते हैं। साइबरबुलिंग करने वाले ये अपराधी मासूम यूजर्स को डराने, शर्मिंदा करने या गुस्से और आवेश में कोई गलत काम करने के लिए उकसाते हैं।
दूसरों को प्रताड़ित करना भी साइबरबुलिंग
साइबरबुलिंग का दायरा इंटरनेट जैसे माध्यम के कारण बहुत व्यापक है। सोशल मीडिया पर किसी के बारे में झूठ फैलाना, शर्मनाक तस्वीरें या वीडियो शेयर कर किसी के चरित्र को प्रभावित करने की कोशिश करना।
धमकी भरे मैसेज, फोटो या वीडियो का इस्तेमाल भी साइबरबुलिंग है। किसी दूसरे के नाम की आईडी, नकली सोशल मीडिया अकाउंट्स का इस्तेमाल कर अश्लील और घटिया संदेश भेजकर दूसरों को प्रताड़ित करना भी साइबरबुलिंग है।
राष्ट्रीय हेल्पलाइन पर संपर्क, काउंसलर जैसे पेशेवरों की मदद
साइबरबुलिंग इसलिए भी अधिक खतरनाक है क्योंकि इससे डिजिटल वर्ल्ड में भ्रामक और बदनाम करने वाली सूचनाएं अधिक तेजी से फैलती हैं। डिजिटल वर्ल्ड में होने का एक फायदा भी है। गतिविधियों के रिकॉर्ड के आधार पर दुरुपयोग पर अंकुश लगाया जा सकता है।
ऐसे अपराधियों पर नकेल कसने में डिजिटल सबूतों का प्रभावी इस्तेमाल किया जा सकता है। यूनिसेफ के मुताबिक साइबरबुलिंग से बचने के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन पर संपर्क कर मनोवैज्ञानिक और काउंसलर जैसे पेशेवरों की मदद भी मांगी जा सकती है।
साइबरबुलिंग पर विशेषज्ञ वंदना कंधारी की राय, फोटो-वीडियो से धमकी पर कही यह बात
बच्चों की सेहत और उनके अधिकारों से जुड़ी विशेषज्ञ वंदना कंधारी ने बताया, मानसिक सेहत पर साइबरबुलिंग का प्रभाव अलग-अलग हो सकता है। मोबाइल, सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों के आधार पर दुष्प्रभाव अलग होते हैं।
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उदाहरण के लिए, टेक्स्ट मैसेज के माध्यम से या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस्तेमाल होने वाले फोटो या वीडियो का इस्तेमाल कर धमकाना किशोरों के लिए बहुत हानिकारक साबित हुआ है।
- क्या साइबर यानी इंटरनेट माध्यमों का इस्तेमाल कर ऑनलाइन धमकायाने के प्रयास किए जा रहे हैं?
- किसी के साथ मजाक और धमकी के बीच का अंतर कैसे समझें? साइबरबुलिंग से मानसिक सेहत पर क्या और कितना प्रभाव होता है?
- साइबरबुलिंग बच्चों और युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर सकती है?
- अगर कोई ऑनलाइन धमका रहा है तो पीड़ित को किससे बात करनी चाहिए? ऐसे मामलों की रिपोर्टिंग क्यों जरूरी है?
- साइबरबुलिंग का शिकार होने की जानकारी होने के बावजूद इस बारे में अपने माता-पिता से बात करने से डर लगता है। पीड़ित ऐसी जटिल परिस्थिति में किनसे और कैसे संपर्क करें?
- साइबरबुलिंग के शिकार अपने दोस्तों की मदद कैसे करें? खासकर अगर वे मनोवैज्ञानिक रूप से कमजोर हैं और इन मामलों पर बात ही नहीं करना चाहते तो उन्हें कैसे मोटिवेट करें?
- इंटरनेट का इस्तेमाल छोड़े बिना साइबरबुलिंग को कैसे रोका जा सकता है?
- मैं सोशल मीडिया पर हेरफेर या अपमानित होने से बचने के लिए अपनी व्यक्तिगत जानकारी का गलत इस्तेमाल कैसे रोकूं?
क्या साइबरबुलिंग जैसे जघन्य अपराध के लिए कोई सजा है? - प्रौद्योगिकी कंपनियों को साइबरबुलिंग जैसे ऑनलाइन अपराध और बच्चों-युवाओं के उत्पीड़न की कोई परवाह नहीं है। क्या ऐसी घटनाओं के साबित होने पर कंपनियों की जवाबदेही तय की जा रही है?
- क्या बच्चों या युवाओं को साइबरबुलिंग से बचाने के लिए कोई प्रमाणिक ऑनलाइन एंटी-बुलिंग टूल है?