डेली संवाद, नई दिल्ली। VT Call Sign: भारत में विमानन क्षेत्र तेजी से विकास कर रहा है। आज भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते विमानन बाजारों में से एक है। यात्रियों की आवाजाही के लिहाज से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जहां भारत दुनिया में चौथे स्थान पर है, वहीं घरेलू यातायात के मामले में इसका नंबर तीसरा है।
यह भी पढ़ें : डेली संवाद की खबर का असर- माडल टाउन में अवैध बना Deck5 रेस्टोरेंट सील
लोगों की आर्थिक स्थिति में बदलाव और हवाई अड्डों की संख्या बढ़ने से भी इस क्षेत्र में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। मोदी सरकार की उड़ान योजना के तहत हवाई अड्डों और उड़ानों के पूरी तरह शुरू हो जाने के बाद तो इसमें और भी इजाफा होना तय है।
आपमें से भी कई लोगों ने हवाई यात्रा जरूर की होगी। तो क्या आपने कभी हवाई अड्डे पर खड़े विमानों को गौर से देखा है। क्या आपने गौर किया है कि उन पर कई तरह के कोड लिखे होते हैं। इनमें से एक विशेष कोड प्राय: उनके पिछले हिस्से पर लिखा होता है। जी हां, यहां बात हो रही है विमानों के पिछले हिस्स पर लिखे कोड की जिसकी शुरुआत VT से होती है। क्या आप जानते हैं कि ये VT क्या है और इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई थी?
कैसे हुआ VT का जन्म?
दुनिया में हवाई सेवा की शुरुआत के बावजूद काफी वक्त तक अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा सपना ही रहा। जैसे-जैसे विमानन तकनीक विकसित होती गई, दो देशों के बीच हवाई यात्रा का दौर भी शुरू हो गया। इसी दौरान, यह जरूरत महसूस की जाने लगी कि हवाई जहाजों की भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान हो।
ITU भारत के सामने तीन विकल्प रखे थे
हर देश में रजिस्टर विमानों को एक यूनीक कॉल साइन (Call Sign) यानी विशेष कोड आवंटित किया जाता है, ताकि पहचान हो सके कि वो विमान किस देश का है। उदाहरण के लिए अमेरिका का कॉल साइन N है जबकि रूस का कॉल साइन RA है।
इसी तरह भारत के लिए भी नवंबर 1927 में इंटरनेशनल रेडियोटेलिग्राफ ऑफ वॉशिंगटन में VT कॉल साइन आवंटित किया गया था। चूंकि उस दौर में भारत अंग्रेजों का गुलाम था, तो अंग्रेजों ने VT को चुना जिसका तत्कालीन मतलब विक्टोरियन/वायसराय टेरिटरी (Victorian/Viceroy Territory) हुआ करता था।
तब इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (ITU) भारत के सामने तीन विकल्प रखे थे जिनमें से किसी एक को चुनना था। भारत के सामने ATA-AWZ, VTA-VWZ और 8TA-8YZ का विकल्प था, जिनमें से किसी एक के पहले या पहले दो अक्षरों को चुना जा सकता था। तब अंग्रेजों ने VTA-VWZ में से VT को चुना।
VT को लेकर विवाद और सरकार का रुख
VT कॉल साइन को लेकर कई बार विवाद भी सामने आते रहे हैं। कई बार इसे गुलामी की निशानी बताकर बदलने की मांग भी उठती रही है। दिसंबर 2021 में इसे लेकर संसद में भी सवाल पूछा जा चुका है।
तब सरकार ने कहा था कि VT का मतलब वायराय टेरिटरी नहीं है। 20 दिसंबर 2021 को सांसद हरनाथ सिंह यादव ने इस पर जवाब मांगा था कि क्या सरकार ने इस तथ्य का संज्ञान लिया है कि ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में विमानों को इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन द्वारा ‘VT’ कोड दिया गया था।
तब, इसका अर्थ था ‘वायसराय टेरिटरी’। तब उनके सवाल के लिखित जवाब में तत्कालीन उड्डयन राज्य मंत्री विजय कुमार सिंह ने राज्यसभा में कहा था कि VT का मतलब ‘वायसराय टेरिटरी’ नहीं है।
वीके सिंह ने कहा था कि कॉल साइन VT इंटरनशेनल रेडियोटेलीग्राफ कन्वेंशन ऑफ वॉशिंगटन में भारत को आवंटित किया गया था जिसपर 25 नवंबर 1927 को हस्ताक्षर हुए थे। उन्होंने कहा था कि इसका मतलब ‘वायसराय टेरिटरी’ नहीं है और भारत से जुड़े अन्य कॉल साइन जैसे I, IN, B, BH, BM, या HT पहले ही किसी और देश को आवंटित हो चुके हैं।
VT कॉल साइन बदलने में क्या हैं चुनौतियां?
VT कॉल साइन को गुलामी का प्रतीक बताकर कई बार बदलने की मांग उठ चुकी है। हालांकि, इसे बदलने के पीछे कई चुनौतियां भी हैं। सबसे पहले तो भारत से संबंधित कोई और कॉल साइन जैसे I, IN, या BH पहले ही किसी और देश को आवंटित हो चुके हैं।
यह भी पढ़ें: जालंधर के Board to Abroad के ट्रेवल एजैंट पर सनसनीखेज आरोप
दूसरा अगर इसे बदल भी दिया जाए तो इस पर आने वाला भारी भरकम खर्च चिंता का विषय होगा, क्योंकि कॉल साइन बदलने की प्रक्रिया पूरी होने तक विमानन कंपनियों को सभी विमान ग्राउंडेड रखने होंगे, जिससे उनका परिचालन प्रभावित होगा और उन्हें काफी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। और यह देश के उड्डयन क्षेत्र के लिए भी उतना ही नुकसानदेह होगा।