डेली संवाद, कनाडा। Canada News: कनाडा (Job in Canada) से बड़ी खबर है। कनाडा में भारतीय छात्र (Study in Canada) को 6 दिन तक कमरे में बंद रहना पड़ा। सोशल मीडिया (Social Media) पर गलत जानकारियां अक्सर आग की तरह फैल जाती हैं और फिर उसका खामियाजा किसी न किसी को भुगतना पड़ता है। ऐसा ही कुछ एक भारतीय डाटा वैज्ञानिक के साथ हुआ। उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने कनाडाई फूड बैंकों (canadian food banks) से मुफ्त खाने का फायदा उठाया है।
यह भी पढ़ें – कनाडा, अमेरिका और यूरोप जाना हो सकता है महंगा
हालांकि, बढ़ते विवाद के बीच अब पढ़ाई के लिए कनाडा गए भारतीय छात्र मेहुल प्रजापति (Mehul Prajapati) ने सफाई दी है। उन्होंने दावा किया कि यह नस्ली हमला था। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे वह पिछले छह दिनों से एक कमरे में बंद थे। वह डर की वजह से बाहर नहीं निकल रहे थे।
विवाद की शुरुआत एक वीडियो से होती है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रजापति ने कनाडाई फूड बैंकों से मुफ्त खाने का फायदा उठाने को लेकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया था। वीडियो में प्रजापति ने बताया था कि वह हर महीने खाने और किराने के सामान में सैकड़ों रुपये बचाते हैं।
क्या था प्रजापति के वीडियो में?
वीडियो में मेहुल ने बताया था कि वे कैसे हर महीने फूड और ग्रॉसरी में सैंकडों रुपये आसानी से बचा रहे हैं। उन्होंने वीडियो में बताया था कि ये ग्रॉसरी सभी छात्रों के लिए हैं।
उन्होंने वीडियो में कहा था, ‘यहां ज्यादातर कॉलेज और यूनिवर्सिटी में फूड बैंक होते हैं, जिन्हें ट्रस्ट, चर्च या नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन द्वारा चलाया जाता है। छात्र के तौर पर यह मेरे लिए काफी मददगार है। आप यूनिवर्सिटी वेबसाइट पर चेक करें और आपको फूड बैंक की जगह का पता मिल जाएगा।’
यह लगे आरोप
हालांकि, यह वीडियो वायरल हो गया और उन पर अच्छी सैलरी होने के बावजूद जरूरतमंदों का मुफ्त खाना चोरी करने का आरोप लगने लगा। इतना ही नहीं, प्रजापति को सोशल मीडिया के जरिए धमकियां भी मिल रही हैं, जिसके चलते वे काफी डरे हुए हैं। कई लोगों का कहना है कि प्रजापति हर साल 98,000 डॉलर कमाते हैं, जिसका मतलब है कि उन्हें फूड बैंकों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है।
साथ ही दावा किया गया कि वह कनाडा की एक जानीमानी कंपनी टीडी बैंक में काम करते हैं। इसके साथ ही यह अफवाह भी फैलाई गई कि प्रजापति को इस घटना के बाद टीडी बैंक ने नौकरी से निकाल दिया है। वहीं, टीडी बैंक ने इस बात की पुष्टि की प्रजापति टीडी बैंक में काम नहीं करते हैं।
धमकी के बाद अब सामने रखा अपना पक्ष
हालांकि, लोगों से मिल धमकियों के बीच मेहुल प्रजापति सामने आए और एक मीडिया चैनल को अपना पक्ष बताया। उन्होंने बताया कि वह छात्र वीजा पर साल 2022 में विल्फ्रिड लॉरियर यूनिवर्सिटी में मास्टर डिग्री हासिल करने के लिए कनाडा आए थे। साथ ही उन्होंने इस बात पर ध्यान दिलाया की कैसे परिवार से दूर होने के बाद वित्तीय और मानसिक तनाव झेलना पड़ा।
प्रजापति ने कहा कि वह कनाडा छात्र वीजा पर आए हैं, इसलिए टीडी बैंक के साथ पूरे समय तक काम करना संभव नहीं था। उन्होंने आगे कहा कि उनके कोर्स में एक इंटर्नशिप शामिल थी, जो पिछले साल 22 दिसंबर को पूरी हो गई थी। तब से, उन्होंने किसी भी संगठन के लिए काम नहीं किया है।
प्रजापति ने बताया पूरा सच
प्रजापति ने बताया कि वे जरूरतमंदों की मदद के लिए बनाए गए सरकार द्वारा संचालित फूड बैंकों से चोरी नहीं कर रहे थे, बल्कि वे विल्फ्रेिड लॉरियर यूनिवर्सिटी की एक प्रोग्राम का फायदा उठा रहे थे। यह प्रोग्राम एलएसपीआईआरजी और मार्टिन लूथर यूनिवर्सिटी कॉलेज के सहयोग से चलाया जा रहा है, जिसके तहत जरूरतमंद छात्रों को मुफ्त किराने का सामान और आवश्यक चीजें मुहैया कराई जाती हैं। कॉलेज की वेबसाइट पर इस प्रोग्राम के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। इसका लाभ लेने के लिए छात्रों को किसी भी कॉलेज में नामांकित होना चाहिए।
प्रजापति ने कहा कि उन्होंने वीडियो में कहीं भी सरकार द्वारा संचालित फूड बैंकों का जिक्र नहीं किया है। उन्होंने साफ बताया कि कनाडा में ज्यादातर कॉलेज और यूनिवर्सिटी में फूड बैंक होते हैं, जिन्हें ट्रस्ट, चर्च या नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन द्वारा चलाया जाता है। हालांकि, सोशल मीडिया पर अफवाहों के जरिए प्रजापति के इस वीडियो को गलत तरीके से फैलाया गया है।
यह भी पढ़ें – कनाडा जाने वाली फ्लाइट में जमकर हंगामा
भारतीय नागरिक ने स्पष्ट किया कि उनका इरादा छात्रों को विश्वविद्यालय के खाद्य बैंकों के बारे में सूचित करना था, न कि संसाधनों की चोरी करना। उन्होंने कहा, ‘पिछले छह दिनों से मैं एक से एक बुरी बात खुद के लिए सुन रहा था। मानसिक तनाव के कारण घर के अंदर ही रह रहा हूं। बिना किसी ठोस सबूत के गलत बातें फैलाई जा रही हैं। यह भेदभाव और नस्लीय हमला है। मुझे इसका निशाना बनाया जा रहा है।’