डेली संवाद, गोण्डा/लखनऊ। Brij Bhushan Sharan Singh: “बारात तैयार है…बस दूल्हे का इंतजार है। जल्द ही आप लोगों को एक अच्छा दूल्हा कैसरगंज लोकसभा सीट (Kaiserganj Lok Sabha seat) से मिलने जा रहा है। हम अपनी पूरी तैयारी किए हुए हैं।” ये डायलॉग था सांसद बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan) का। 25 अप्रैल को एक चुनावी सभा में उन्होंने पूरे आत्मविश्वास से कहा कि मेरा टिकट करीब-करीब फाइनल है, तैयारी करने के लिए कह दिया गया है।
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महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोप में कोर्ट में चल रहे केस के कारण कैसरगंज से बृजभूषण शरण सिंह का टिकट कट गया है। उनकी जगह उनके बेटे करण भूषण सिंह को टिकट दिया गया है। टिकट देने के आश्वासन से लेकर टिकट कटने तक की यह कहानी 10 दिनों तक चली।
बेटे को उत्तराधिकारी घोषित करना पड़ा
22 अप्रैल को जिस उत्साह से बृजभूषण दिल्ली से लौटे थे। 1 म ई की शाम तक वह उत्साह खत्म हो चुका था। परिवार के किसी सदस्य को तो टिकट नहीं मिल रहा…? इस सवाल पर मीडिया से झल्लाने वाले सांसद अब आलाकमान के फैसले के आगे झुक चुके थे।
न चाहते हुए भी उन्हें अपनी सीट पर बेटे को उत्तराधिकारी घोषित करना पड़ा। बृजभूषण सपा में न चले जाएं, इसलिए भाजपा ने भी बेटे को टिकट देकर मना लिया। गुरुवार सुबह करीब 8 बजे केंद्र के एक कद्दावर मंत्री की बृजभूषण से हुई 2.40 मिनट की बातचीत ने पूरी स्क्रिप्ट ही बदल दी।
दिल्ली में पार्टी आलाकमान से मुलाकात
10 दिनों में कैसे बृजभूषण को टिकट देने का मजबूत आश्वासन दिया गया, फिर कौन सी परिस्थितियां ऐसी बनीं कि टिकट काटना पड़ गया..? क्यों छोटे बेटे को ही बृजभूषण ने अपनी सीट का उत्तराधिकारी बनाया…। इसे सिलसिलेवार समझते हैं…
पॉलिटिकल सूत्रों के अनुसार, 21-22 अप्रैल को बृजभूषण शरण सिंह दिल्ली में थे। मीडिया में लगातार पूछे जा रहे टिकट के सवालों का मजबूती से जवाब दे रहे थे। इसी बीच दिल्ली में उनकी मुलाकात पार्टी आलाकमान से हुई।
कैसरगंज की टिकट को लेकर गंभीरता से चर्चा
इस मुलाकात में कैसरगंज की टिकट को लेकर गंभीरता से चर्चा हुई। सारी बातें रखने के बाद बृजभूषण को टिकट देने का आश्वासन दे दिया गया। बृजभूषण भी मजबूत आश्वासन के भरोसे दिल्ली से गोंडा के लिए चल पड़े। लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद पहली बार अयोध्या एयरपोर्ट पर समर्थकों ने उनका भव्य स्वागत किया।
टिकट के समीकरण बदलने शुरू हो गए
अगले ही दिन बृजभूषण ने टिकट के आश्वासन के बल पर एक बड़ी चुनावी रैली कर डाली। इसमें बृजभूषण ने सार्वजनिक रूप से डायलॉग दिया- ‘यहां बारात पूरी तरह से तैयार है, बस दूल्हे का इंतजार है।’ इशारों-इशारों में बृजभूषण ने कहा- बस टिकट की घोषणा होने की औपचारिकता बाकी है, मेरी पूरी तैयारी है। उधर से झंडी आएगी और इधर प्रचार शुरू हो जाएगा। लेकिन, 26 अप्रैल के बाद से टिकट के समीकरण बदलने शुरू हो गए।
टिकट की घोषणा में देरी होने से बृजभूषण काफी नाराज हो रहे थे। गुरुवार सुबह बृजभूषण के पास BJP के आलाकमान (केंद्र में कद्दावर मंत्री) का फोन आता है। उनसे पश्चिम बंगाल के पार्टी के नरेटिव और कर्नाटक के घटनाक्रम पर चर्चा की।
यौन उत्पीड़न के आरोप से डरी भाजपा
पार्टी की ओर से कहा जाता है कि यदि इन परिस्थितियों के बीच आपको टिकट दिया गया तो विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बना देगा। ऐसे में आपको अपने बड़े बेटे प्रतीक भूषण को लोकसभा चुनाव में उतारना चाहिए। प्रतीक भूषण वर्तमान समय में गोंडा सदर से विधायक हैं।
आलाकमान ने कहा, वे राजनीति में सक्रिय हो चुके हैं और लोकसभा चुनाव की राजनीति कर सकते हैं। बृजभूषण ने प्रतीक को लड़ाने से इनकार कर दिया। कुछ देर और बातचीत हुई और करण भूषण के नाम पर सहमति बन गई।
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करण भूषण का नाम फाइनल होने के बाद बृजभूषण ने मीडिया से कहा, ‘प्रतीक गोंडा सदर से विधायक हैं। वे इस जिले का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इसलिए करण भूषण को कैसरगंज का प्रत्याशी बनाया गया है। करण की कुंडली में राजनीति का योग है। मैं 35 साल की उम्र में पहली बार सांसद बना था। अब करण भूषण की उम्र भी 35 साल हो चुकी है। वह भी 35 की उम्र में सांसद बनेंगे।’
मेरे दोनों बेटे राजनीति में सेटल हो गए हैं
‘मैंने कैसरगंज सीट से अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है। BJP ने भी मेरी बात मान ली है और उन्हें टिकट दे दिया है। एक पिता को और क्या चाहिए कि उसके जीते जी उसके बेटे सेटल हो जाएं। अब मेरे दोनों बेटे राजनीति में सेटल हो गए हैं।’
महिला रेसलर्स के यौन शोषण के आरोपों से घिरे बृजभूषण शरण सिंह का मामला फिलहाल कोर्ट में है। जनवरी 2023 में शुरू हुए पहलवानों के आंदोलन के बीच हर दल ने बृजभूषण पर हमला बोला, लेकिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कुछ नहीं कहा। यहां तक कि उस समय बृजभूषण ने अखिलेश यादव की तारीफ की थी।
मैं अखिलेश यादव का धन्यवाद करता हूं
बृजभूषण ने कहा था, ‘मैं अखिलेश यादव का धन्यवाद करता हूं, मैं उन्हें बचपन से जानता हूं, मैं उनसे बड़ा हूं। हमारे बीच राजनीतिक मतभेद भी हैं, लेकिन अखिलेश सच्चाई जानते हैं। अगर UP में 10 हजार पहलवान हैं, तो उसमें से 8 हजार पहलवान यादव समुदाय से हैं और समाजवादी परिवार के हैं। इसलिए अखिलेश सच्चाई जानते हैं।’
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इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि 2009 में बृजभूषण भाजपा छोड़कर सपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। कैसरगंज सीट से ही जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। बृजभूषण का टिकट फाइनल न होने तक सपा ने भी कैसरगंज से अपना कैंडिडेट घोषित नहीं किया था। बताया तो यहां तक जा रहा है कि इस बीच गाजियाबाद में अखिलेश और बृजभूषण की मुलाकात भी हुई थी।