Arvind Kejriwal: शराब घोटाले में ED ने समूची आम आदमी पार्टी के खिलाफ दर्ज किया मुकदमा, पार्टी की मान्यता पर छाया संकट!

Daily Samvad
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डेली संवाद, नई दिल्ली। Arvind Kejriwal ED Case: दिल्ली शराब नीति (Delhi Liquor Scam) केस में ED ने 8वीं चार्जशीट दाखिल की है। इस चार्जशीट में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और आम आदमी पार्टी (AAP) दोनों को आरोपी बनाया गया है। देश के राजनीतिक इतिहास में ED ने पहली बार किसी पार्टी को आरोपी बनाकर मुकदमा शुरू किया है।

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दिल्ली हाईकोर्ट में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही थी। इस दौरान ED के वकील एडिशनल सॉलिसिटर जनरल वी राजू ने जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा से कहा था कि अब मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) को भी आरोपी बनाया जाएगा।

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शराब नीति केस में 8वीं चार्जशीट दायर

3 दिन बाद 17 मई को ED ने जब दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में शराब नीति केस में 8वीं चार्जशीट दायर की, तो इस बात पर मुहर भी लग गई। AAP को आरोपी बनाकर मुकदमा चलाने के पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि शराब नीति में जो बदलाव किए गए थे, उसके लिए साउथ ग्रुप ने AAP को कुल 100 करोड़ की रिश्वत दी।

AAP पर भी मनी लॉन्ड्रिंग केस

इनमें से 45 करोड़ रुपए का इस्तेमाल AAP की ओर से 2022 गोवा चुनाव के दौरान हुआ था। चार्जशीट में अरविंद केजरीवाल के अलावा AAP पर भी मनी लॉन्ड्रिंग या PMLA एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। जांच एजेंसी ने केजरीवाल को शराब नीति घोटाले में मुख्य साजिशकर्ता माना है।

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मंत्रियों के खिलाफ मामले दर्ज

आरोप है कि केजरीवाल और उनकी AAP सरकार ने नवंबर 2021 में शराब नीति में बदलाव करके होलसेलर्स के लिए 12% और रिटेलर्स के लिए 185% प्रॉफिट सुनिश्चित किया। सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों के खिलाफ मामले दर्ज करने और मुकदमा चलाने की मान्यता भारत के कानून और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से मिली हुई है।

ED को पूरे मामले में नए तरीके से छानबीन

आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाने के बाद ED को पूरे मामले में नए तरीके से छानबीन करनी होगी। राजनीतिक दल को आरोपी बनाने को अदालत में पार्टी की तरफ से चुनौती भी दी जाएगी। इस मामले से जुड़े जटिल कानूनी पहलुओं को देखते हुए उन पर आखिरी फैसला आने में लंबा समय लग सकता है।

ED Raid (Photo credit – Twitter)

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आम आदमी पार्टी के दोषी साबित होने पर चुनाव आयोग से पार्टी की मान्यता और चुनाव चिह्न सस्पेंड करने की मांग की जा सकती है। चुनाव चिह्न आदेश- 1968 के मुताबिक आचार संहिता के उल्लंघन या चुनाव आयोग के आदेश का पालन नहीं करने पर ही पार्टी के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। इसके आधार पर पार्टी की मान्यता रद्द करने की मांग भी हो सकती है।

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