डेली संवाद, नई दिल्ली। Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के नीतीजे आने के बाद नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) की चर्चा तेज हो गई है। दोनों दिल्ली की सरकार की चाबी बन गए हैं। 400 पार का दावा करने वाले मोदी भी दोनों नेता के आगे नतमस्तक हैं।
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भाजपा की घेराबंदी भी नीतीश और नायडू पर है। नीतीश कुमार एनडीए में रहें या इंडिया में, विपक्ष का खौफ बना ही रहेगा। वह दिल्ली से लेकर बिहार की सरकार को कभी भी हिला सकते हैं, क्योंकि सत्ता की चाबी की बड़ी कड़ी हैं।
अब तक वह भाजपा की शर्तों पर सरकार चला रहे थे, लेकिन अब सरकार नीतीश की शर्तों पर चलेगी। जानिए लोकसभा चुनाव तक सुस्त दिख रहे नीतीश कुमार के ताकतवर होने की पूरी कहानी..।
नीतीश को कमजोर समझने की गलतफहमी
सीएम नीतीश कुमार को कमजोर समझना बड़ी गलतफहमी रही। लोकसभा चुनाव के दौरान वह काफी सुस्त दिख रहे थे। वह भाजपा के फायर ब्रांड नेताओं की तरह दौरा भी नहीं कर रहे थे। कई सभा में मोदी के सामने ही उनकी जुबान फिसल गई। इस पर मोदी भी हंसी नहीं रोक पाए। पटना में मोदी के रोड शो में भी नीतीश का हाल देखकर यही लग रहा था, वह थक गए हैं।
मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर हो गए हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव ने सब कुछ उलट दिया। नीतीश कुमार आज इतने ताकतवर हो गए हैं कि वह मोदी पर भी दबाव बना रहे हैं। वह देश और राज्य चलाने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। पॉलिटिकल एक्सपर्ट जुबान फिसलने की घटना को भी नीतीश का जोक मान रहे हैं।
मूमेंट जिसने नीतीश को कमजोर बताया
4 हजार पार की बात कह दी
लोकसभा चुनाव के दौरान 12 अप्रैल 2024 को नीतीश कुमार नवादा में सभा कर रहे थे। उन्होंने भरी जनसभा में कहा था कि इस बार एनडीए के 4 हजार से भी ज्यादा एमपी जीतेंगे। सीएम ने इस बार चार हजार पार का नारा कई बार दोहराया।
यह पहला मौका नहीं था, चुनाव प्रचार के दौरान एक सप्ताह के भीतर दो बार ऐसा नारा दे चुके हैं। इसके पहले 7 अप्रैल 2024 को भी वह ऐसा बयान दे चुके हैं। हालांकि, जब भी उनकी जुबान फिसली उन्होंने हंसी मजाक में सुधार भी कर लिया।
मोदी के रोड शो में मायूस दिखाई पड़े
12 मई 2024 को जब पटना में मोदी का रोड शो हुआ तो नीतीश कुमार काफी मायूस दिखाई पड़ रहे थे। वह मोदी के साथ चल तो रहे थे, लेकिन नीतीश कुमार में ना तो वह ऊर्जा दिख रही थी और ना ही वह खुशी। ऐसे में लगा कि वह मोदी के साथ रोड शो में खुद को कंफर्ट महसूस नहीं कर पा रहे हैं। एक थके हुए नेता के रूप में मोदी के साथ चलते रहे और जनता इसका मतलब भी निकलती रही।
एनडीए में आने से पहले ऐसा ही था
महागठबंधन से बाहर निकलकर एनडीए में आने तक नीतीश कुमार ऐसे ही कमजोर दिख रहे थे। कई बार जुबान फिसली और कई हरकतों से वह खूब ट्रोल भी किए गए। पक्ष और विपक्ष के नेता भी नीतीश कुमार को राजनीति से संन्यास की बात कहने लगे थे।
वाक्या 19 मई 2023 का है, जब नीतीश कुमार एक दिवसीय दौरे पर दरभंगा में थे। एक कार्यक्रम के दौरान सीएम नीतीश कुमार अपने संबोधन में प्रधान सचिव का ही नाम भूल गए।
नीतीश कुमार ने अपने प्रधान सचिव को प्रधानमंत्री का प्रधान सचिव कह दिया। विधानसभा में भी ऐसा ही वाक्या हो चुका है, जब 21 मार्च 2023 को सदन में संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि जब वे अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में गृह मंत्री थे, तब उन्होंने खिलाड़ियों को नौकरी दी थी। इस पर भाजपा ने खूब तंज भी कसा था। आरोप तो यह भी लगा कि नीतीश कुमार को स्वीट पॉइजन दिया जा रहा है।
समय के साथ बढ़ गई नीतीश की ताकत
पॉलिटिकल एक्सपर्ट लव कुमार मिश्रा कहते हैं, नीतीश को कमजोर समझना भूल है। वह दिखते कमजोर हैं, लेकिन उनका दिमाग तेज चलता है। यह एक दो नहीं, कई बार यह साबित हो गया है।
एनडीए से महागठबंधन में जाना और महागठबंधन से एनडीए में आने का खेल भी उनके दिमाग की ताकत काे बता चुका है। फिलहाल, अब नीतीश को बिहार के सीएम तक ही नहीं आंका जा सकता है। वह किंग मेकर की भी भूमिका में हैं, वह भी मोदी जैसे लीडर को समर्थन देकर। नीतीश अब देश और राज्य दोनों चलाने वाले हैं।
अब तो नीतीश के मंत्री भी नीतीश की ताकत पर बयान देने लगे हैं। विजय चौधरी ने तो यहां तक कह दिया कि नीतीश कुमार साल 2005 की तरह 2024 में भी ताकतवर हैं।
नीतीश पर डोरे डालने वालों ने बढ़ाई बेचैनी
सीएम नीतीश कुमार पर भाजपा की खुफिया नजर है। चुनाव परिणाम आने के बाद से ही नीतीश कुमार की हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। कांग्रेस से नजदीकियों की भनक लगने के साथ मोदी और अमित शाह ने खुद घेराबंदी शुरू कर दी।
अमित शाह के साथ पीएम मोदी ने भी बिहार में सफलता के लिए नीतीश को क्रेडिट देना शुरू कर दिया। हालांकि, पहले ऐसा नहीं था। ऐसा पहली बार हुआ है जब एनडीए नीतीश को लेकर इतना गंभीर है।
सीनियर जर्नलिस्ट लव कुमार मिश्रा करते हैं, नीतीश कुमार अब दिल्ली के साथ राज्य सरकार भी अपनी शर्तों पर चलवाएंगे। नीतीश कुमार के पास वह ताकत हैं, जिससे वह दिल्ली की सरकार को डराकर राज्य में सरकार भी अपनी मर्जी से चलाएंगे।
अब तक वह भाजपा के दो-दो डिप्टी सीएम के बीच फंसकर काम कर रहे थे। कई मुद्दे ऐसे भी सामने आए जिसमें यह चर्चा हुई कि नीतीश कुमार ने भाजपा के दो डिप्टी सीएम के दबाव में आकर काम किया है। एनडीए सरकार में नीतीश कुमार पर कई बार दोनों डिप्टी सीएम के दबाव में काम करने का आरोप लग चुका है।
अब नहीं चलेगा मोदी, सम्राट और विजय का दबाव
सीनियर जर्नलिस्ट मृत्युंजय कुमार कहते हैं कि अब नीतीश कुमार डबल इंजन की सरकार में डबल इंजन पर सवार हो गए हैं। पहले राज्य में बड़ी भूमिका रही, लेकिन अब केंद्र की सरकार में भी वह अहम रोल में हैं।
चूंकि, नीतीश कुमार का नेचर ही रहा है पलटी मारने वाला, इसलिए भाजपा को सबसे अधिक डर तो नीतीश कुमार से ही होगा। हालांकि, अभी नीतीश की खामोशी सिर्फ और सिर्फ दबाव बनाकर अपनी शर्तों को पूरा कराने वाली दिख रही है।
मृत्युंजय कुमार कहते हैं कि नीतीश मौजूदा समय में मोदी से बगावत करने की स्थिति में नहीं है। वह उस तरह से ताकतवर नहीं हैं, जैसा पहले हुआ करते थे। हां, लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि वह केंद्र और राज्य की सत्ता को प्रभावित कर सकते हैं।
सीएम नीतीश कुमार ने रिजल्ट आने के बाद से कोई बयान नहीं दिया है। कांग्रेस से लेकर अन्य कई विपक्षी नेताओं के संपर्क में होने की चर्चाएं भाजपा पर प्रेशर बढ़ने वाला है, लेकिन नीतीश की चुप्पी नहीं टूटी। ऐसा करके नीतीश कुमार तो कई सवाल खड़े कर रहे हैं।
मोदी से कम सभाएं फिर भी ताकतवर हो गए
पॉलिटिकल एक्सपर्ट मानते हैं, बिहार में मोदी ने जिस तरह से रैलियां की हैं, वैसी रैली नीतीश कुमार ने नहीं की है। उन्होंने सभाएं भी कम की हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार की पॉलिटिकल एक्टिविटी भी काफी कम रही है।
सीनियर जर्नलिस्ट मृत्युंजय कुमार कहते हैं, मोदी से कम रैली करने के बाद भी नीतीश मजबूत तो दिख ही रहे हैं। वह केंद्र के साथ राज्य की डबल इंजन की दोनों सरकार में कहीं न कहीं से को-पायलट की भूमिका में दिख रहे हैं।
बिहार ही नहीं देश की जनता भी नीतीश का रुख जानना चाहती है। सवाल यही है कि क्या नीतीश कुमार इंडिया एलायंस में जाएंगे? क्या नीतीश कुमार उसी पोजिशन में है जो पहले हुआ करते थे? क्या नीतीश कुमार का स्वास्थ्य और उनकी बॉडी लैंग्वेज पहले जैसी है?
मृत्युंजय कुमार कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के परिणाम ने नीतीश को नए रूप में सामने लाया है, इसमें कहीं से कोई दो राय नहीं है, लेकिन यह भी देखना होगा कि क्या नीतीश कुमार बगावत की स्थिति में आ पाएंगे।
मृत्युंजय कुमार कहते हैं कि नीतीश कुमार अब केंद्र में बार्गेन करने की मजबूत स्थिति में हैं। वह अपनी बात मनवाना अच्छी तरह से जानते हैं, सारा दबाव इसकी कारण बनाया जा रहा है।
भाजपा के पास नीतीश का विकल्प नहीं
एक्सपर्ट मानते हैं कि भाजपा के पास नीतीश का विकल्प होता तो इतनी घेराबंदी नहीं की जाती। ऐसे में नीतीश को मुंह मांगा लाभ दिया जाएगा। इतना ही नहीं राज्य की सरकार में भी उन्हें फ्री हैंड दिया जाएगा। क्योंकि, नीतीश कुमार हमेशा विपक्ष में जाने का खौंफ दिखाकर केंद्र और राज्य में एनडीए को घेरते रहेंगे।
हालांकि, जर्नलिस्ट मृत्युंजय कुमार का इस पर कहना है कि भाजपा भी शांत रहने वाली नहीं है। नीतीश जी का नेचर रहा है, इसलिए नीतीश को लेकर वह अलर्ट है। डर तो दोनों तरफ से बना होगा। नीतीश कुमार पॉलिटिकली कितना मजबूत हैं, यह तो बाद की बात है, लेकिन शारीरिक रूप से वह अब ऐसे ताकतवर नहीं दिखते हैं।
नीतीश केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकार में को-पायलट की भूमिका में हैं, भाजपा को भी पता है कि नीतीश को कैसे काबू में रखना है। नीतीश की डिमांड पूरी होगी तो वह शांति से केंद्र में सहयोग कर राज्य में सरकार चलाएंगे।
नीतीश अभी अपना भाव बढ़ा रहे हैं, यह नीतीश की पुरानी आदत भी रही है। नीतीश कुमार को लेकर यह भी कहा जाता है, बायां हाथ क्या कर रहा है दाहिने को भी पता नहीं होता है। वह सम्राट से भले ही नहीं मिले, लेकिन इसका मतलब यह नहीं की बदलाव के मूढ़ में है, यह भाव बढ़ाने की टेडेंसी है।
अटल सरकार वाली हालात में मोदी की सरकार
सीनियर जर्नलिस्ट लव कुमार मिश्रा कहते हैं, अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार की तरह ही इस बार मोदी की सरकार फंस गई है। जिस तरह से अटल की सरकार में ममता और जय ललिता ने हालात पैदा कर दिया था, ठीक ऐसे ही नीतीश और चंद्र बाबू नायडू ने हालात बना दिया है।
चंद्र बाबू नायडू अटल बिहारी की सरकार में काफी शक्तिशाली रहे और बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी केंद्र की राजनीति को लेकर काफी दिलचस्पी दिखा चुके हैं। अब दोनों पावरफुल हो गए हैं।
आशंका ऐसी है कि जाे स्थिति अटल बिहारी की सरकार में ममता बनर्जी और जयललिता ने बनाई थी, वैसी स्थिति से प्रधानमंत्री मोदी को भी गुजरना पड़ेगा। इधर, 10 साल में पहली बार मोदी कमजोर होते दिखे हैं, अब इसका फायदा नीतीश कुमार के साथ चंद्रबाबू नायडू उठाएंगे।
पॉलिटिकल एक्सपर्ट बताते हैं बिहार में जो शासन चल रहा है वह अब पहले से अलग ढंग से चलेगा। भाजपा के दो-दो डिप्टी सीएम हैं, लेकिन अब ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार अपने अंदाज में राजपाट चलाएंगे। बीजेपी के मंत्रियों पर भी उनका पूरा कंट्रोल होगा। वह अब पूरी तरह से बार्गेनिंग की स्थिति में हैं, आगे भी यह स्थिति बरकरार रहने वाली है।
लव कुमार मिश्रा कहते हैं कि ऐसा लग रहा है कि कुछ दिनों में ही नीतीश कुमार स्पेशल स्टेटस की भी डिमांड कर सकते हैं। नीतीश कुमार यह बात कभी नहीं भूल सकते हैं कि उनके डीएनए पर सवाल किया गया था।
ऐसे में अब नीतीश कुमार दोस्ती और संबंधों के बीच ही अपना पूरा बदला लेने का भी मौका है। वह संबंध नहीं भी तोड़ेगे तो भी अपनी मांग और शर्तों को मनवा ही लेंगे। नहीं तो वह बार बार विपक्ष का डंडा दिखाकर भाजपा का प्रेशर बढ़ाते रहेंगे।
कुछ मुद्दों पर मोदी को होना पड़ेगा साइलेंट
पॉलिटिकल एक्सपर्ट यह भी मानते हैं कि नीतीश कुमार के पास अब कुछ मुद्दे ऐसे भी हैं जि सपर मोदी को साइलेंट होना पड़ सकता है। सीनियर जर्नलिस्ट मृत्युंजय कुमार कहते हैं कि पहले जब एनडीए की सरकार बनी थी तो कई मुद्दों को एजेंडे से गायब कर दिया गया था।
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नीतीश का मजबूत होना बिहार के लिए गौरव की बात है। माहौल ही ऐसा बन गया है, अगर भाजपा खुद से सरकार बनाने की स्थिति में होती तो नीतीश की इतनी पूछ नहीं होती। हो सकता है सीएए, एनआरसी पर भाजपा को साइलेंट होना पड़े।
हो सकता है इन मुद्दों को बीजेपी को ठंडे बस्ते में डालना पड़े। आज की डेट में नरेंद्र मोदी भी इस स्थिति में नहीं है कि नीतीश की बातों को नजर अंदाज कर दें। ऐसे में यह तय है कि भाजपा को नीतीश की हर शर्त को मानना होगा और उनकी ताकत को समझना होगा।