डेली संवाद, चंडीगढ़। Sukhpal Singh Khaira: लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के प्रत्याशी सुखपाल सिंह खैहरा ने गैर पंजाबियों को पंजाब से भगाने और उन्हें जमीन खरीदने की अनुमति न दिए जाने के बयान को आज फिर से दोहराया है। चुनाव हारने के बाद सुखपाल ने इस प्रस्ताव को पंजाब में लाने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान को चुनौती दी है।
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पंजाब में गैर-पंजाबियों को राज्य में जमीन खरीदने की अनुमति नहीं देने के बारे में अपनी टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया के बावजूद, कांग्रेस के सुखपाल सिंह खैरा अपनी बात पर अड़े हुए हैं। सुखपाल खैहरा अभी भी हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर एक कानून की मांग कर रहे हैं, ताकि नौकरी और जमीन के अधिकार मूल निवासियों तक सीमित हो सकें।
पीएम मोदी और सीएम मान ने की है आलोचना
लोकसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे पर खैहरा के बयान की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कड़ी आलोचना की थी, जबकि कांग्रेस ने खैहरा की टिप्पणी से खुद को अलग करते हुए इसे “उनकी निजी राय” बताया था।
सुखपाल सिंह खैहरा अपने प्रस्ताव पर अड़े
इसके बाद भी सुखपाल सिंह खैहरा अपने प्रस्ताव पर अड़े रहे और तर्क दिया कि हिमाचल प्रदेश जैसा कानून पंजाब की जनसांख्यिकी संरचना की रक्षा करेगा और गैर-पंजाबियों को राज्य सरकार की नौकरियों पर “अतिक्रमण” करने से रोकेगा।
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सुखपाल खैहरा ने पिछले कुछ दशकों में पंजाब की 3 करोड़ आबादी में से 75 लाख लोगों के पलायन का हवाला दिया और गुजरात और उत्तराखंड में इसी तरह के कानूनों ने पंजाबी किसानों को उन राज्यों से बाहर जाने पर मजबूर कर दिया।
उन्होंने कहा कि इस कानून के बिना, पंजाबियों को पंजाब में अल्पसंख्यक बनने में सिर्फ दो दशक लगेंगे। सुखपाल खैहरा का दावा है कि उन्होंने जनवरी 2023 में विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष यह निजी विधेयक पेश किया था।
सुखपाल ने आप सरकार पर पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा के दबाव के कारण विधेयक को लटकाए रखने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उन दोनों को पंजाब के लिए वास्तविक चिंता नहीं है। उन्होंने सीएम मान को भी चुनौती दी है।