डेली संवाद, अमृतसर। Samjhauta Express: भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दर्द को कम करने के लिए शुरू की गई मोहब्बत की ट्रेन समझौता एक्सप्रेस (Samjhauta Express) पिछले 5 सालों से बंद है। भारत की यह ट्रेन पिछले पांच सालों से पाकिस्तान के वाघा रेलवे स्टेशन (Wagha Railway Station) पर वापसी का इंतजार कर रही है।
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ट्रेन को रद्द करने की वजह यह थी कि भारत ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया था, जो पाकिस्तान को पसंद नहीं था।
यह दुनिया की एकमात्र ट्रेन
समझौता एक्सप्रेस ट्रेन हर गुरुवार और सोमवार को अटारी (भारत) और लाहौर (पाकिस्तान) के बीच 29 किलोमीटर का सफर पूरा करती थी। अटारी और वाघा स्टेशनों के बीच सिर्फ 3.25 किलोमीटर की सबसे कम अंतरराष्ट्रीय दूरी तय करने वाली यह दुनिया की एकमात्र ट्रेन है।
जिस ट्रेन को 7 अगस्त 2019 को दोपहर 12.30 बजे 110 भारतीय और पाकिस्तानी यात्रियों के साथ अटारी पहुंचना था, वह उस दिन शाम करीब 5 बजे पहुंची और खाली रेक को वापस पाकिस्तान भेज दिया गया।
भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने से इनकार
तनाव के बीच पाकिस्तान सरकार की ओर से संदेश आया कि ट्रेन को निलंबित करने का फैसला सिर्फ एक दिन के लिए है। इसके बाद 8 अगस्त 2019 को पाकिस्तानी रेलवे अधिकारियों ने अटारी स्टेशन मास्टर से उस ट्रेन को वापस ले जाने के लिए एक भारतीय चालक दल को वाघा भेजने को कहा।
क्योंकि पाकिस्तानी चालक दल, दो ड्राइवर और एक गार्ड ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने से इनकार कर दिया था।
11 डिब्बे पाकिस्तानी सीमा में खड़े हैं
समझौता एक्सप्रेस के लिए हुए समझौते के अनुसार भारत और पाकिस्तान को हर छह महीने में बारी-बारी से अपने रेक का इस्तेमाल करना होता है। पाकिस्तानी रेक जनवरी से जून और भारतीय रेक जुलाई से दिसंबर तक इस्तेमाल किए जाते हैं।
आमतौर पर रेक उसी दिन या रात भर रुकने के बाद अपने देश लौट जाते हैं। लेकिन अब जब समझौता एक्सप्रेस को निलंबित हुए करीब 5 साल हो चुके हैं, तब भी इस ट्रेन की 11 बोगियां पाकिस्तान के वाघा स्टेशन पर खड़ी हैं।
4 बार पत्र भेजे गए, लेकिन पाकिस्तान ने कोई जवाब नहीं
भारत के विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान से 4 बार पत्राचार किया है, लेकिन आज भी ये कोच अंतरराष्ट्रीय भारत-पाक सीमा से 500 मीटर दूर वाघा रेलवे स्टेशन पर खड़े हैं। समझौता एक्सप्रेस के कोचों की वापसी के बारे में वाघा रेलवे स्टेशन के मैनेजर मोहम्मद इजहार ने कहा कि हमने भारत से अपना इंजन भेजकर कोचों को ले जाने का अनुरोध किया है, लेकिन कोई जवाब नहीं आया है।
वहीं, भारतीय रेलवे अधिकारियों का कहना है कि शिमला समझौते के अनुसार भारतीय कोच पाकिस्तानी इंजन के साथ गया था, और इसे वापस करना उनकी जिम्मेदारी है।
जानें समझौता एक्सप्रेस को कब निलंबित किया गया?
यह पहली बार नहीं था जब दोनों देशों ने समझौता एक्सप्रेस को निलंबित करने का फैसला किया हो। समझौता एक्सप्रेस को निलंबित करना इससे पहले फरवरी 2019 में कश्मीर में पुलवामा आतंकी हमले के लिए पाकिस्तान को भारत की कूटनीतिक प्रतिक्रियाओं में से एक था।
बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद ट्रेन का परिचालन 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए हमले के बाद रोका गया। इसके बाद 27 दिसंबर 2007 को पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद एक बार फिर इस ट्रेन का परिचालन रोक दिया गया था। 2015 में किसान आंदोलन के दौरान और पुलवामा के बाद ट्रेन को कई बार निलंबित किया गया था।
समझौता एक्सप्रेस का इतिहास
समझौता एक्सप्रेस 22 जुलाई 1976 को शिमला समझौते के तहत अटारी-लाहौर के बीच चलाई गई थी। शिमला समझौता भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच 1972 में हुआ था। शुरुआत में यह ट्रेन अटारी (उत्तर रेलवे, फिरोजपुर मंडल) से लाहौर तक के लिए चलती थी।
भारतीय रेलवे रविवार को दिल्ली से अटारी और अटारी से दिल्ली के बीच इस ट्रेन को चलाता था, जबकि पाकिस्तान में यह ट्रेन लाहौर से अटारी के बीच चलाई जाती थी। यात्री अटारी स्टेशन पर ट्रेन बदलते थे। 80 के दशक के अंत में पंजाब में तनाव बढ़ने के बाद से भारतीय रेलवे ने अटारी से इसका चलना बंद कर दिया और यह पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से चलने लगी थी।
समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट
18 फरवरी 2007 को ये हादसा रात 11.53 बजे दिल्ली से क़रीब 80 किलोमीटर दूर पानीपत के दिवाना रेलवे स्टेशन के पास हुआ था। धमाकों की वजह से ट्रेन में आग लग गई और इसमें महिलाओं और बच्चों समेत कुल 68 लोगों की मौत हो गई जबकि 12 लोग घायल हुए। घटना से तकरीबन 3 साल के बाद इस मामले की जांच NIA ने शुरू की थी।
धमाके के बाद इसी ट्रेन के अन्य डिब्बे से बम से लैस दो सूटकेस बरामद हुए थे। इनमें से एक को डिफ़्यूज कर दिया गया जबकि दूसरे को नष्ट किया गया। शुरुआती जांच में यह पता चला कि आरोपी देश के विभिन्न मंदिनों पर हुए हमलों से दुखी थे।
इस मामले में नब कुमार सरकार उर्फ स्वामी असीमानंद, सुनील जोशी उर्फ मनोज उर्फ गुरुजी, रामचंद्र कलसांगरा उर्फ़ रामजी उर्फ विष्णु पटेल, संदीप दांगे उर्फ टीचर, लोकेश शर्मा उर्फ अजय उर्फ कालू, कमल चौहान, रमेश वेंकट महालकर उर्फ अमित हकला उर्फ प्रिंस ने अन्य लोगों के साथ मिलकर इस हमले को अंजाम दिया था।