डेली संवाद, अमृतसर। Punjab News: पंजाब के अमृतसर (Amritsar) में बीआरटीएस प्रोजेक्ट (BRTS Project) को फिर से शुरू करवाने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही यूनियन की महिलाओं की ओर से आज एक युवक के साथ मारपीट की गई।
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युवक समाज सेवक मनदीप सिंह मन्ना के खिलाफ बोल रहा था, जिससे गुस्साई भीड़ ने उस पर हमला कर दिया। फिलहाल मामले को शांत करवा दिया गया है।
मन्ना क्यों इस मसले पर बोल रहा है?
कमिश्नर से मुलाकात के बाद जैसे ही एकता यूनियन के सदस्य और मनदीप सिंह मन्ना बाहर आए और प्रेस से बात कर रहे थे। इसी दौरान एक युवक अमृत पाल सिंह बबलू ने मनदीप सिंह मन्ना के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया। बबलू ने कहा कि मनदीप सिंह मन्ना एक साल बाद क्यों इस मसले पर बोल रहा है, जबकि यह बसें 2023 से बंद हैं।
इसके बाद जैसे ही उसने कुछ और बोलना शुरू किया तो वहां मौजूद एकता यूनियन की महिलाओं ने उसके साथ मारपीट करनी शुरू कर दी। उनका कहना था कि वो एक साल से कोशिश कर रहे हैं बसें चलवाने की और वो खुद मनदीप सिंह मन्ना के पास गए थे।
महिलाओं ने कहा कि वह जानबूझकर प्रोजेक्ट को नेगेटिव पेश कर रहा है। जिसके बाद उन्होंने बबलू को काफी मारा और फिर अन्य सदस्यों ने बीच बचाव करके उसे वहां से जाने के लिए कहा जिसके बाद मामला शांत हुआ।
जुलाई 2023 का बंद हो गया था प्रोजेक्ट
अमृतसर में बीआरटीएस प्रोजेक्ट 3 जुलाई 2023 को बिना किसी इंटीमेशन के बंद कर दिया गया। जिसके बाद काम कर रहे ड्राइवर, टिकट कलेक्टर, सफाई वाले, मैकेनिक आदि सहित एक हजार से अधिक लोग बेरोजगार हो गए।
क्लेरिकल स्टाफ आज भी ड्यूटी पर मौजूद है, कई बसें वेरका डिपो में धूल खा रही हैं। इस सबंध में बसों को चलवाने के लिए कोशिश कर रहे बीआरटीएस एकता यूनियन के सदस्य लगातार मंत्री और नेताओं से मिल रहे हैं, लेकिन कोई भी उनकी मांगों को नहीं मान रहा है।
कल भी हुआ था हंगामा
इस संबंध में एकता यूनियन की ओर से समाज सेवक मनदीप सिंह मन्ना से मुलाकात की गई। बीते दिन मनदीप सिंह मन्ना वेरका के डिपो पहुंचे थे, जहां पर बैठे क्लेरिकल स्टाफ ने अंदर से ताला लगा लिया।
जिसके बाद बहस हुई और फिर ताला खोला गया। लेकिन स्टाफ परमिशन दिखाने में नाकामयाब रहा। इसके बाद आज नगर निगम कमिश्नर से मुलाकात की गई थी।
बिना जांच के बिना बंद किया प्रोजेक्ट
एकता यूनियन के प्रधान सर्बजीत सिह ने बताया कि बीआरटीएस बसों को 2023 में यह कहकर बंद कर दिया गया था कि यह घाटे में हैं। जबकि इसमें 55 हजार से 60 हजार के करीब यात्री रोजाना सफर करते थे।
वहीं बसों पर लगे विज्ञापनों से भी कमाई हो रही थी। फिर इससे ट्रैफिक की समस्या भी काफी हल हो रही थी। लेकिन सरकार ने बिना जांच के बिना बंद करा दिया।