Microplastics in Salt and Sugar Brands: आज के समय में जब खाद्य सुरक्षा एक जरूरी मुद्दा बन गया है, एक नई रिपोर्ट ने सभी भारतीय नमक और चीनी ब्रांड्स में “microplastics in salt and sugar brands” की उपस्थिति का खुलासा किया है। यह रिपोर्ट बताती है कि चाहे वह पैक किया हुआ वस्तु हो या खुले बाजार से खरीदा हुआ, हर प्रकार के नमक और चीनी में माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा पाई गई है। इससे यह साफ हो गया है कि माइक्रोप्लास्टिक्स हमारे भोजन का हिस्सा बन चुके हैं और इसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ सकता है।
माइक्रोप्लास्टिक्स क्या हैं?
माइक्रोप्लास्टिक्स वे छोटे प्लास्टिक के कण होते हैं जिनका आकार 5 mm से भी कम होता है। ये प्लास्टिक के टुकड़े या तो सीधे उत्पादों में मिलाए जाते हैं या फिर प्लास्टिक के नष्ट के दौरान उत्पन्न होते हैं। भोजन, पानी, और हवा के जरिए ये माइक्रोप्लास्टिक्स हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
Microplastics in Salt and Sugar: नमक और चीनी में माइक्रोप्लास्टिक्स की मौजूदगी
हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, सभी भारतीय “microplastics in salt and sugar brands” में पाई गई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि आयोडीन युक्त नमक में माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा सबसे अधिक 89.15 टुकड़े प्रति किलोग्राम तक पाई गई है। इसके अलावा, चीनी के सैंपल्स में भी 11.85 से 68.25 टुकड़े प्रति किलोग्राम तक माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा पाई गई।
स्वास्थ्य पर पड़ने वाला प्रभाव
माइक्रोप्लास्टिक्स के नियमित सेवन से ज्यादा समय तक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। ये प्लास्टिक कण मानव शरीर में प्रवेश करके कोशिकाओं (Cells) को नुकसान पहुंचा सकते हैं और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा, ये प्रजनन (Reproduction) और विकास (Development) संबंधी समस्याओं को भी जन्म दे सकते हैं।
जागरूकता और समाधान
इस रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि “microplastics in salt and sugar brands” एक गंभीर समस्या है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यूजर्स को अपने रोज के खाद्य पदार्थों को चुनने में सतर्क रहना चाहिए। वहीं, सरकार और खाद्य सुरक्षा एजेंसियों को भी इस दिशा में कठोर कदम उठाने की जरूरत है ताकि खाद्य पदार्थों में माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा को कम किया जा सके।