डेली संवाद, राजस्थान। Shrinathji Temple Nathdwara: राजस्थान के उदयपुर से लगभग 48 km उत्तर-पूर्व में स्थित नाथद्वारा का श्रीनाथजी मंदिर न केवल राजस्थान बल्कि पूरे भारत में अपनी अनोखी परंपराओं और धार्मिक आस्था के लिए प्रसिद्ध है।
इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण को उनके बाल रूप में पूजा जाता है, जिसे श्रीनाथजी के नाम से जाना जाता है। जन्माष्टमी के मौके पर यहाँ की परंपराएं और भी खास हो जाती हैं, जिसमें तोपों की सलामी और श्रीकृष्ण के बाल रूप का खास ध्यान शामिल है।
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Shrinathji Temple Nathdwara का इतिहास और महत्व
श्रीनाथजी, भगवान श्रीकृष्ण का वह रूप हैं, जो सात साल के बालक के रूप में प्रकट हुए थे। माना जाता है कि श्रीनाथजी का मंदिर पहले मथुरा में था, लेकिन मुगलों के हमले के दौरान इसे राजस्थान के नाथद्वारा में स्थापित किया गया। तब से यह स्थान श्रीकृष्ण भक्तों के लिए एक तीर्थस्थल बन गया है। यहाँ पर श्रीकृष्ण के बाल रूप को ज्यादा आदर और स्नेह से पूजा जाता है, जैसे एक माँ अपने बच्चे की देखभाल करती है।
Janmashtami 2024 के अवसर पर खास परंपराएँ
जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव है, जिसे भारत भर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर में इसे एक खास अंदाज में मनाया जाता है। यहाँ, कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर रात के 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण को 21 बार तोपों और बंदूकों की सलामी दी जाती है। यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है और इसे देखने के लिए देश के अलग अलग कोनों से श्रद्धालु यहाँ आते हैं।
श्रीनाथजी को एक जीवित बालक के रूप में माना जाता है, और उनकी देखभाल भी उसी प्रकार की जाती है। उन्हें प्रतिदिन स्नान कराया जाता है, नए वस्त्र पहनाए जाते हैं, और उन्हें नियमित रूप से भोजन (प्रसाद) दिया जाता है। दिन के अलग अलग समयों में उन्हें विश्राम भी कराया जाता है। श्रीनाथजी की आरती और श्रृंगार का खास महत्व है, जिसमें भगवान को रेशम और शनील के कपड़ों से सजाया जाता है। आरती के समय, मंदिर में दीयों की रौशनी और भक्ति संगीत के साथ वातावरण ज्यादा शांत और दिव्य हो जाता है।
मंदिर की सुरक्षा और सजावट
जन्माष्टमी के दिन मंदिर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं। मंदिर को फूलों और लाइटों से सजाया जाता है, और मुख्य द्वार पर ढोल, तुरही और शहनाई की मधुर ध्वनियाँ सुनाई देती हैं। नाथद्वारा का पूरा शहर जन्माष्टमी के माहौल में डूब जाता है, और चारों ओर ‘नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की’ की गूँज सुनाई देती है।
Shrinathji Temple Nathdwara तक कैसे पहुँचें?
नाथद्वारा का श्रीनाथजी मंदिर सड़क, रेल और हवाई मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। उदयपुर सिटी के लिए दिल्ली से रेगुलर ट्रेनें चलती हैं, और सड़क मार्ग से भी यह जगह अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। हवाई यात्रा के लिए, सबसे नजदीकी हवाई अड्डा महाराणा प्रताप हवाई अड्डा है, जो उदयपुर में स्थित है। यहाँ से नाथद्वारा पहुंचने के लिए आप कैब या बस ले सकते हैं।