Make in India: आयातक से निर्यातक बना भारत, छोटे-छोटे शहरों में मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने की तैयारी

Purnima Sharma
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डेली संवाद, नई दिल्ली। Make in India: दस साल पहले वर्ष 2014 में मैन्युफैक्चरिंग (Manufacturing) व निवेश में बढ़ोतरी के साथ इनोवेशन और कौशल विकास जैसे चार उद्देश्यों के लिए मेक इन इंडिया कार्यक्रम शुरू किया गया था। यह अपेक्षा के अनुरूप बढ़ा यह तो नहीं कहा जा सकता है, तेज गति की आवश्यकता बरकरार है। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि राह तैयार होने लगी है।

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मेक इन इंडिया कार्यक्रम की सरकारी नोडल एजेंसी उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) के मुताबिक पिछले 10 सालों (2014-24) में 667.4 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) हुआ जो उससे पूर्व के दस वर्षों (2004-14) की तुलना में 119 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2021-22 में पहली बार वस्तुओं का निर्यात 400 अरब डॉलर के आंकड़ों को पार किया।

सेरामिक (Ceramic) व खिलौने जैसे क्षेत्र में आयात पर हमारी निर्भरता खत्म हुई और हम आयातक से निर्यातक बन गए। मेक इन इंडिया का सबसे बड़ा प्रभाव रक्षा क्षेत्र में दिखा। कभी बुलेटप्रूफ जैकेट से लेकर जैकेट में इस्तेमाल होने वाले धागे के लिए आयात पर निर्भर देश अब रक्षा सेक्टर का निर्यातक बन गया।

एप्पल, फाक्सकान जैसी वैश्विक कंपनियां भारत में निर्माण करने लगी

प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम लाई गई और उसका नतीजा यह हुआ कि भारत ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा जैसे सेक्टर का प्रमुख निर्माता बन गया। एप्पल, फाक्सकान जैसी वैश्विक कंपनियां भारत में निर्माण करने लगी तो चिप निर्माता अमेरिकन कंपनी माइक्रोन भारत में यूनिट लगाने लगी।

तभी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने ब्लाग में कहा कि 10 साल पहले देश में सिर्फ दो मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट थी, जिसकी संख्या अब 200 से अधिक हो गई है। 10 साल पहले मोबाइल फोन निर्यात महज 1556 करोड़ रुपए का था जो अब 1.2 लाख करोड़ का हो गया।

फोन के निर्यात में इतना प्रतिशत का इजाफा हुआ

मतलब मोबाइल फोन के निर्यात में 7500 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। अभी देश में इस्तेमाल होने वाले 99 प्रतिशत मोबाइल फोन भारत निर्मित है। भारत मोबाइल निर्माण करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते 10 सालों में फिनिश्ड स्टील के निर्माण में 50 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है और भारत फिनिश्ड स्टील का बड़ा निर्यातक बन गया है। उन्होंने कहा कि सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में 1.5 लाख करोड़ के निवेश किए जा रहे हैं। पांच सेमीकंडक्टर प्लांट की मंजूरी दी गई है। 10 साल पहले 25 सितंबर को ही मेक इन इंडिया कार्यक्रम शुरू हुआ था।

हर साल 100 अरब डॉलर का एफडीआई आने की संभावना

डीपीआईआईटी के सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने इस अवसर पर बताया कि अभी प्रतिवर्ष 60-70 अरब डॉलर का एफडीआई आ रहा है और आने वाले समय में हर साल 100 अरब डॉलर का एफडीआई आने की संभावना है। मेक इन इंडिया की मदद से अगले कुछ सालों में देश के जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी को 25 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य है।

मेक इन इंडिया कार्यक्रम को अगले चरण में ले जाने के लिए डीपीआईआईटी अब छोटे शहरों में औद्योगिक उत्पादन शुरू करवाने का प्रयास कर रहा हैउत्पादन की लागत को कम करने के लिए राज्यों के साथ मिलकर लॉजिस्टिक सुविधा का विकास किया जा रहा है और राज्य अपनी-अपनी लॉजिस्टिक नीति भी बना रही है। 10 औद्योगिक शहरों की स्थापना की जा रही है जहां मैन्युफैक्चरिंग के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं पहले से उपलब्ध होंगी।

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मेरा नाम पूर्णिमा शर्मा है, और मैं भारत के पंजाब में जालंधर की रहने वाली हूँ। मैं 2021 से ब्लॉगिंग कर रहा हूं। मैं अब dailysamvad.com के साथ सहयोग करने का अवसर पाकर उत्साहित हूं। आप sharmapurnima897@gmail.com पर ईमेल के माध्यम से मुझसे संपर्क कर सकते हैं।
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