डेली संवाद, जालंधर। Khatu Shyam: आज हम इस वीडियो के माध्यम से आपको राजस्थान में इच्छापूर्ण बालाजी (Ichchhapuran Balaji), सालासर बालाजी (Salasar Balaji) और आखिर में सीकर (Sikar) स्थित खाटू श्याम (Khatu Shyam ji) में श्याम बाबा (Shyam Baba) जी का दर्शन करवाएंगे। तो चलिए हम अपने इस आध्यात्मिक यात्रा की शुरूआत करते हैं और बालाजी का आशीर्वाद लेकर खाटू श्याम की नगरी में आनंदित होते हैं।
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हम पहुंच चुके हैं राजस्थान (Rajasthan) के चूरू (Churu) जिले के सरदारशहर (Sardarshahar) में स्थित इच्छापूर्ण बालाजी (Ichchhapuran Balaji) मंदिर में। कहते हैं यहां से कोई खाली हाथ नहीं लौटता। इस चौखट पर मत्था टेकने वालों की हर इच्छा पूरी होती है। यहां आकर सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। मन को सुकून भी मिलता है। आईए हनुमानजी के इस खास मंदिर के बारे में जानते हैं।
बालाजी मंदिर परिसर बेहद आकर्षक है
सरदारशहर के निवासी मूलचंद विकास कुमार मालू के सौजन्य से मंदिर का निर्माण हुआ। दक्षिण भारत व पश्चिम बंगाल के कारीगरों ने द्रविड़ शैली पर मंदिर बनाया। इस मंदिर में भगवान राम परिवार और भगवान गणेश की मूर्तियां भी हैं। मंदिर रतनगढ़-गंगानगर हाई वे पर सरदारशहर से आठ किमी पहले स्थित है। करीब सात एकड़ जमीन में फैला हुआ बालाजी मंदिर परिसर बेहद आकर्षक है।
इच्छापूरण बालाजी मंदिर सरदारशहर के पुजारी घनश्याम बिरला दावा करते हैं कि यूं तो दुनियाभर में इच्छापूर्ण बालाजी के नाम से कई मंदिर हैं, मगर सरदाशहर स्थित यह विश्व का ऐसा इकलौता मंदिर है, जिसमें बालाजी की प्रतिमा राजशाही दरबार के रूप में हों और बालाजी राजा की तरह आशीर्वाद की मुद्रा में विराजमान हों। मंदिर पौराणिक शैली पर बना है। इसमें बिरला मंदिर जयपुर ? और सोमनाथ मंदिर गुजरात को मिलाजुला रूप है।
हनुमान जी की प्रतिमा ढाढ़ी- मूंछ में
इच्छापूर्ण बालाजी के दर्शन के बाद हम आगे बढ़े। अब हमारा अगला पड़ाव सालासर बालाजी मंदिर है। सालासर बालाजी मंदिर राजस्थान के चुरू जिले से सुजानगढ़ क्षेत्र में हैं। संभवत: यह देश का अकेला ऐसा मंदिर है, जहां हनुमान जी की प्रतिमा ढाढ़ी- मूंछ में हैं। ढाढ़ी- मूंछ में यहां भगवान की मूर्ति होने के पीछे एक खास और रोचक कहानी है।
बताया जाता है कि एक संत मोहन दास महाराज अपनी बहन कान्ही बाई के घर भोजन कर रहे थे। इसी दौरान बालाजी (हनुमान जी) ने उन्हें साधु के वेश में दर्शन दिए। इसके बाद मोहन दास महाराज ने बालाजी को दाढ़ी-मूंछ में देखा तो उन्होंने दाढ़ी-मूंछ वाले बालाजी की प्रतिमा का ही शृंगार किया। यही मूर्ति अब सालासर मंदिर में विराजमान हैं।
नारियल बांधकर अपनी मन्नत मांगते हैं
इस मंदिर में मूंछ- दाढ़ी वाले हनुमान जी की पूजा होती है। लोग नारियल बांधकर अपनी मन्नत मांगते हैं। कहा जा रहा है कि यह मंदिर 268 साल पुराना है। यहां देश के हर राज्य से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। हनुमान जयंती के अलावा यहां शरद पूर्णिमा पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। शरद पूर्णिमा को यहां मेला भरता है, जिसका लोगों के बीच खास उत्साह रहता हैं।
बालाजी के दर्शन करने के बाद हम निकल पड़े खाटू श्याम बाबा का आशीर्वाद लेने। रात को करीब 10 बजे हम राजस्थान के सीकर स्थित खाटू श्याम के दरबार में पहुंचे। कार्तिक मास की एकादशी तिथि होने के कारण खाटू श्याम में श्याम बाबा के दर्शनों के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु आए हैं।
एकादशी को खाटू श्यामजी का जन्म दिवस
दरअसल कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि को खाटू श्यामजी का जन्म दिवस मनाया जाता है। खाटू श्याम जी का जन्मोत्सव कार्तिक शुक्ल एकादशी के अलावा फाल्गुन शुक्ल एकादशी को भी मनाया जाता है, जिसे लक्खी मेला के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं कि खाटू श्याम का जन्मदिन साल में दो बार क्यों मनाया जाता है।
खाटू श्यामजी को श्याम बाबा के नाम से भी जाना जाता है। श्याम बाबा का असली नाम बर्बरीक है जिन्हें भगवान श्रीकृष्ण से वरदान मिला था कि, कलियुग में वह भगवान श्रीकृष्ण के ही नाम श्याम के नाम जाने जाएंगे। महाभारत युद्ध में शीश का दान देने बाद भी इन्होंने अपने कटे हुए शीश से ही पूरा युद्ध देखा और युद्ध समाप्त होने पर युद्ध का निर्णय भी सुनाया था। बाद में भगवान श्रीकृष्ण के वरदान के अनुसार खाटू श्यामजी का शीश सीकर में खुदाई से प्राप्त हुआ।
खाटू श्यामजी के शीश को मंदिर में स्थापित किया
कहते हैं कि एक गाय अक्सर एक स्थान पर आकर खड़ी हो जाती थी ओर दूध की धारा उसके थन से बहने लगती थी। उत्सुकतावश उस स्थान की खुदाई की गई थी तो यह शीश प्राप्त हुआ। इस शीश को कुछ समय तक एक ब्राह्मण ने संभालकर रखा। बाद में वहां के राजा को सपने में खाटू श्यामजी ने मंदिर बनाने का निर्देश दिया।
मंदिर बनने के बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन खाटू श्यामजी के शीश को मंदिर में स्थापित किया गया। इसलिए कार्तिक शुक्ल एकादशी को भी खाटू श्यामजी का जन्मदिवस मनाते हैं। और शीश के दानी की पूजा शीश के रूप में ही होती है। इसलिए खाटू श्यामजी की मुर्ति में शरीर नहीं केवल शीश होता है।
हरियाली थीम पर मंदिर को भव्य रूप से सजाया
इस साल खाटू श्याम में कार्तिक शुक्ल एकादशी का जन्मोत्सव मेला 12 नवंबर को लगा है। इस अवसर पर हरियाली थीम पर मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया है। और भक्त को दर्शन में असुविधा न हो इसके लिए प्रशासन ने अपनी तरफ से पूरी व्यवस्था की है। जबरदस्ती चंदन लगाने वालों के लिए भी इस बार रोकथाम की व्यवस्था की गई है।