Punjab News: कानूनविदों द्वारा क्षेत्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण सम्मेलन में सामाजिक न्याय पर चर्चा

Mansi Jaiswal
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Empowering the Marginalized: Legal Luminaries Discuss Social Justice at Regional Conference of State Legal Services Authorities

डेली संवाद, चंडीगढ़। Punjab News: राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा “हाशिए पर रहने वालों का सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय की ओर एक कदम” विषय पर 17 नवंबर, 2024 को चंडीगढ़ (Chandigarh) न्यायिक अकादमी में क्षेत्रीय सम्मेलन का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया।

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इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाने के लिए माननीय न्यायमूर्ति श्री भूषण आर. गवई (Justice Bhushan R. Gavai), न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय और कार्यकारी अध्यक्ष, राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण, माननीय न्यायमूर्ति श्री सूर्य कांत, न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय, माननीय न्यायमूर्ति श्री तरलोक सिंह चौहान, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय, माननीय न्यायमूर्ति श्री ताशी राबस्तान, मुख्य न्यायाधीश, जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय विशेष तौर पर पहुंचे।

Empowering the Marginalized: Legal Luminaries Discuss Social Justice at Regional Conference of State Legal Services Authorities

मील का पत्थर

सम्मेलन ने सामाजिक न्याय और हाशिए पर रहने वाले लोगों के सशक्तिकरण पर चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया। इसका शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ, जिसके बाद कई प्रभावशाली भाषण दिए गए।

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ की कानूनी सेवा प्राधिकरणों द्वारा जनता और हाशिए पर रहने वाले लोगों को न्याय तक सुगम पहुंच प्रदान करने में निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने उपस्थित प्रतिभागियों का स्वागत किया और कानूनी व्यवस्था और सामाजिक जरूरतों के बीच की खाई को पाटने के उद्देश्य से जेल सुधार और कानूनी साक्षरता अभियानों जैसी व्यापक पहलों का विवरण प्रस्तुत किया।

QR कोड जैसी तकनीकों की शुरुआत

अपने संबोधन में, उन्होंने मजबूत कानूनी सहायता विधियों के माध्यम से न्याय तक पहुंच बढ़ाने और कानूनी प्रक्रियाओं में दक्षता व पहुंच को सुधारने के लिए क्यूआर कोड जैसी तकनीकों की शुरुआत पर जोर दिया।

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश श्री तरलोक सिंह चौहान ने अपने विस्तृत भाषण में हिमाचल प्रदेश में चल रही बहुआयामी कानूनी पहलों के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि कोई भी नागरिक आर्थिक या अन्य किसी कमी के कारण पीछे न रह जाए। अपने संबोधन में, उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों, झुग्गियों और मजदूर बस्तियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, हाशिए पर रहने वाले और आपस में जुड़े समुदायों में कानूनी जागरूकता फैलाने और कानूनी सेवाएं प्रदान करने के प्रयासों को रेखांकित किया।

उन्होंने कानूनी सेवाओं के प्रभाव को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए चल रहे मिशन पर जोर दिया, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ये सेवाएं समाज के सबसे कमजोर वर्गों तक पहुंच सकें और कानूनी अधिकारों व सामाजिक जरूरतों के बीच की खाई को प्रभावी ढंग से पाटा जा सके।

सशक्त बनाने के विषय पर जोरदार चर्चा

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, माननीय न्यायमूर्ति श्री ताशी राबस्तान ने सामाजिक न्याय के प्रति हाशिए पर रहने वाले समुदायों को सशक्त बनाने के विषय पर जोरदार चर्चा की।

उन्होंने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख कानूनी सेवा प्राधिकरणों द्वारा न्याय सुनिश्चित करने और कानूनी सेवाएं प्रदान करने के व्यापक प्रयासों को रेखांकित किया। सामाजिक परिवर्तन के साधन के रूप में कानूनी सहायता की भूमिका पर बल देते हुए, उन्होंने अपने भाषण में लोक अदालतों, कानूनी साक्षरता अभियानों और सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों जैसी विस्तृत पहलों का उल्लेख किया।

इन पहलों का उद्देश्य…

इन पहलों का उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों में न्याय प्रदान करना है, जो संविधान में निहित जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

माननीय न्यायमूर्ति श्री सूर्यकांत, न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय ने अपने संबोधन में हाशिए पर रहने वाले समुदायों, विशेष रूप से दिव्यांगजनों, बाल पीड़ितों और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं से ग्रस्त लोगों के लिए सामाजिक न्याय को आगे बढ़ाने में कानूनी सेवा प्राधिकरणों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।

नवीन रणनीतियों की आवश्यकता

संविधान द्वारा समानता और सम्मान के प्रति दी गई प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए, उन्होंने कमजोर वर्गों और उनके कानूनी अधिकारों के बीच की खाई को पाटने के लिए नवीन रणनीतियों की आवश्यकता बताई। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने बच्चों के सशक्तीकरण के महत्व पर जोर दिया और उन्हें भारतीय समाज के सबसे संवेदनशील समूहों में से एक बताया। बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन, कुपोषण और कोविड-19 महामारी के प्रभावों से संबंधित चिंताजनक आंकड़ों को सामने रखते हुए, उन्होंने बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा और सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने की अपील की।

उन्होंने बाल श्रम, गोद लेने की प्रतीक्षा कर रहे बच्चों, और प्रवासी मजदूरों के बच्चों द्वारा दरपेश चुनौतियों जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा की और इन बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए सुधारों की वकालत की।

असली न्याय है

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कानूनी सेवा प्राधिकरणों के लिए एक रूपरेखा प्रस्तुत की, जिसमें सेवा की गुणवत्ता सुधारने के लिए व्यापक कानूनी साक्षरता अभियान, अंतर-एजेंसी सहयोग, साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण और सतत प्रतिक्रिया प्रक्रिया जैसे उपायों की सिफारिश की। उन्होंने जोर देकर कहा कि कमजोर लोगों की सामाजिक देखभाल ही असली न्याय है और समाज में समानता और न्याय को बढ़ावा देने के लिए एकजुट होकर प्रतिबद्धता के साथ काम करने की आवश्यकता है।

माननीय न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय ने हाशिए पर रहने वाले समुदायों के सशक्तीकरण और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने में कानूनी सेवाओं की अहम भूमिका पर चर्चा की।

अहम भूमिका पर चर्चा की।

उन्होंने संविधान की धारा 39ए की महत्ता को रेखांकित किया, जो सभी नागरिकों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने की व्यवस्था करती है। न्यायमूर्ति गवई ने कानूनी सेवा प्राधिकरणों द्वारा समयबद्ध और प्रभावी कानूनी सहायता प्रदान करने के प्रयासों का विवरण देते हुए, विचाराधीन कैदियों की स्थिति पर भी प्रकाश डाला।

उन्होंने जेलों में कानूनी सहायता क्लीनिकों के लिए एनएएलएसए (NALSA) की मानक संचालन प्रक्रियाओं के तहत की जा रही महत्वपूर्ण पहलकदमियों का विस्तार से उल्लेख किया। इन प्रक्रियाओं का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कैदी अपने कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक हों और उनका उपयोग कर सकें। न्यायमूर्ति गवई ने नवाचारी कार्यक्रमों, जैसे कि लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम और किशोर न्याय एवं पुनर्वास पर केंद्रित अभियानों पर भी चर्चा की।

उन्होंने गिरफ्तारी से पहले, गिरफ्तारी के दौरान और रिमांड के चरणों में कानूनी सहायता की खाई को पाटने के लिए ठोस कार्रवाई का आह्वान किया। साथ ही कैदियों के परिवारों की सुरक्षा और समाज में उनके पुनःएकीकरण को सुनिश्चित करने के लिए सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया।

न्यायमूर्ति गवई ने कानूनी सहायता विधियों को मजबूत करने और सभी नागरिकों, विशेष रूप से सबसे कमजोर वर्गों के सम्मान, समानता और अधिकारों को बनाए रखने के लिए सामूहिक प्रयासों का संदेश देकर अपना भाषण समाप्त किया।

सिस्टम स्कीम को लॉन्च किया गया

क्षेत्रीय सम्मेलन के दौरान “विक्टिम केयर एंड सपोर्ट सिस्टम स्कीम” को लॉन्च किया गया। यह योजना अपराध पीड़ितों को समग्र देखभाल प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके अतिरिक्त, नशे के दुरुपयोग के मुद्दों को हल करने की आवश्यकता पर जोर देने के लिए नशा मुक्ति पर एक जागरूकता वीडियो प्रस्तुत की गई। एक नया ऐप भी लॉन्च किया गया, जिसका उद्देश्य कानूनी सेवाओं और संसाधनों तक पहुंच को सरल बनाना, जरूरतमंदों को न्याय और सहायता प्रदान करने में अधिक दक्षता और पहुंच सुनिश्चित करना है।

पंजाब राज्य कानूनी सेवाएं प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष, माननीय न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधावालिया ने सम्मेलन में माननीय न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों की उपस्थिति और योगदान के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने माननीय न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह द्वारा मार्गदर्शन प्रदान करने और आयोजन समिति के सदस्य न्यायमूर्ति अरुण पल्ले, न्यायमूर्ति लीजा गिल और न्यायमूर्ति अल्का सरीन के प्रयासों की सराहना की।

प्रयासों को सुदृढ़ करेगा

न्यायमूर्ति संधावालिया ने न्याय तक पहुंच के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता के महत्व पर जोर दिया और सम्मेलन के दौरान चर्चा की गई प्रभावी पहलकदमियों को रेखांकित किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह ज्ञान कानूनी सहायता प्रदान करने की प्रणाली को और बेहतर बनाने के प्रयासों को सुदृढ़ करेगा।

सम्मेलन का समापन जॉन वेस्ले के प्रेरणादायक उद्धरण के साथ हुआ, जिसमें सभी को एक न्यायपूर्ण और समावेशी कानूनी ढांचे के निर्माण में निरंतर योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया।

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