डेली संवाद, चंडीगढ़। Punjab News: पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां (Gurmeet Singh Khudian) ने आज जानकारी दी कि कृषि विभाग द्वारा करवाए गए फसल कटाई प्रयोग (CCE) के अनुसार इस वर्ष प्रति हेक्टेयर धान की औसत पैदावार में 1.4 क्विंटल की वृद्धि दर्ज की गई है।
यह भी पढ़ें: भारतीय छात्रों को कनाडा का PR लेना हुआ आसान, ये डॉक्यूमेंट दिलाएगा मदद
खरीफ सीजन 2024 के लिए कुल 2174 सी.सी.ई. किए जा रहे हैं, जिनमें से 1863 प्रयोगों के परिणाम में प्रति हेक्टेयर 6878 किलोग्राम उत्पादन सामने आया है, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 6740 किलोग्राम था। इन आंकड़ों में धान की गैर-बासमती और बासमती दोनों किस्में शामिल हैं। मंत्री ने बताया कि अब तक प्रदेश में 97 प्रतिशत धान की कटाई पूरी हो चुकी है।
77% लक्ष्य पूरा हो गया
प्रदेश में चल रही गेहूं की बुवाई के बारे में जानकारी साझा करते हुए उन्होंने कहा कि निर्धारित 35 लाख हेक्टेयर लक्ष्य में से अब तक 27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हो चुकी है, जिससे 77 प्रतिशत लक्ष्य पूरा हो गया है। इससे पता चलता है कि राज्य में बुवाई की प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है और इस महीने के अंत तक शेष क्षेत्र में भी बुवाई पूरी होने की उम्मीद है।
खाद की मौजूदा स्थिति पर प्रकाश डालते हुए स. गुरमीत सिंह खुड्डियां ने बताया कि रबी सीजन 2024-25 के लिए प्रदेश में इस समय कुल 4.20 लाख मीट्रिक टन डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) और 0.55 लाख मीट्रिक टन अन्य फॉस्फेटिक खाद उपलब्ध हैं। इस सीजन के लिए कुल 4.82 लाख मीट्रिक टन डीएपी की आवश्यकता है।
उत्पादन के लिए जरूरी स्त्रोत उपलब्ध
इस हिसाब से राज्य में लगभग 99 प्रतिशत डीएपी व अन्य फास्फेटिक खाद उपलब्ध है, जो यह सुनिश्चित करती है कि हमारे किसानों के पास फसलों के अधिक उत्पादन के लिए जरूरी स्त्रोत उपलब्ध है। पंजाब ने आने वाने 3-4 दिनों में 10,000 मीट्रिक टन डीएपी और पहुंचने की उम्मीद है, जबकि 44,000 मीट्रिक टन डीएपी पहले ही ट्रांजिट में है।
मुख्यमंत्री स. भगवंत सिंह मान की किसानों की भलाई के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि विभाग विभिन्न कार्यक्रमों और पहलों के माध्यम से किसानों की सहायता के लिए पूरी तरह समर्पित है। विभाग की ओर से राज्य में रबी फसलों की बुवाई के लिए किसानों को जागरूक करने के उद्देश्य से व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके अंतर्गत कृषि उत्पादकता को बढ़ाने व किसान भाईचारे की जरूरतों को पूरा करने पर जोर दिया जा रहा है।