डेली संवाद, चंडीगढ़। Punjab News: पंजाब रोडवेज़ ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (PRTC) सार्वजनिक परिवहन के बुनियादी ढांचे का विस्तार करने और इसे बेहतर बनाने के उद्देश्य से गिद्दड़बाहा (Gidderbaha) के गांव दौला में अपने पहले सब-डिपो की स्थापना के साथ एक अहम मील का पत्थर स्थापित करने जा रही है।
यह भी पढ़ें: कनाडा में भारतीयों के लिए खास अप्लीकेशन बंद, पंजाबी छात्रों पर पड़ेगा बड़ा असर
इस संबंध में जानकारी साझा करते हुए परिवहन मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ने आज बताया कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान (Bhagwant Singh Mann) के नेतृत्व वाली सरकार की सार्वजनिक परिवहन सेवा को बेहतर बनाने की प्रतिबद्धता के तहत 3.36 करोड़ रुपये की लागत वाली यह परियोजना 31 जनवरी, 2025 तक पूरी करके चालू कर दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि यह परियोजना न केवल बुनियादी ढांचे की जरूरतों को पूरा करेगी, बल्कि स्थानीय लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांग को भी सीधे तौर पर हल करेगी।
सेवाएं शुरू कर दी
लालजीत सिंह भुल्लर ने बताया कि इसके अतिरिक्त पटियाला के पुराने बस स्टैंड का भी पुनर्विकास कर दिया गया है, जिससे अब चीका, समाना, नाभा, राजपुरा, घनौर और पिहोवा सहित 30 किलोमीटर के दायरे में आने वाले आसपास के कस्बों के लिए बस सेवाएं शुरू कर दी गई हैं।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि परिवहन विभाग अपने बेड़े का और विस्तार करने जा रही है और किलोमीटर स्कीम के जरिए लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा कर रही है। उन्होंने बताया कि विभाग में कुल 85 नई बसें शामिल की जाएंगी और 81 व्यक्तियों को पहले ही लेटर ऑफ इंटेंट जारी किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार, स्व-रोज़गार के अधिक अवसर पैदा कर स्थानीय उद्यमियों को अधिक सशक्त बनाते हुए राज्य सरकार की रोज़गार प्रदान करने की प्रतिबद्धता को साकार किया जा रहा है।
बुनियादी ढांचे की ओर अहम कदम
उन्होंने कहा कि टिकाऊ बुनियादी ढांचे की ओर एक अहम कदम उठाते हुए पी.आर.टी.सी. द्वारा एक बड़े सोलर प्लांट प्रोजेक्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है। परिवहन मंत्री ने बताया कि इस महत्वपूर्ण सौर परियोजना के तहत मुख्यालय, सभी डिपूओं और बस स्टैंडों में सोलर से लैस सुविधाएं स्थापित की जाएंगी।
परिवहन मंत्री ने बताया कि 2.87 करोड़ रुपये की लागत वाले प्रस्तावित 775 किलोवाट सोलर प्रोजेक्ट से पी.आर.टी.सी. सालाना लगभग 97 लाख रुपये की बिजली की बचत करेगी। उन्होंने बताया कि इस परियोजना की राशि की वापसी के लिए अनुमानित अवधि तीन साल से भी कम होगी।