डेली संवाद, नई दिल्ली। Delhi Chunav 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Election 2025) की तारीख का ऐलान होते ही भाजपा (BJP) और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच पोस्टर वॉर (Poster War) शुरू हो गया है। AAP ने चुनावी हिंदू वाले पोस्टर के जवाब में चुनावी मुसलमान का पोस्टर जारी किया है।
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इसमें अमित शाह (Amit Shah) को टोपी पहने दिखाई दे रहे हैं। पोस्टर में लिखा है- कभी सोचा है बीजेपी (BJP) को चुनाव आते ही मुसलमानों की इतनी याद क्यों आती है। इस पोस्टर के जवाब में BJP ने भी एक पोस्टर जारी किया है, जिसमें संजय सिंह, आतिशी और राघव चड्ढा को गुंडे दिखाया गया है। पोस्टर में लिखा है- जब दिखने लगी अपनी हार साफ-साफ तो चुनाव अधिकारियों को धमकाने लगी AAP।
दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान
आपको बता दें कि दिल्ली में 70 विधानसभा सीटों पर 5 फरवरी को वोटिंग होगी, नतीजे 8 फरवरी को आएंगे। विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 23 फरवरी को खत्म हो रहा है। चुनाव के ऐलान के बाद भाजपा और AAP के बीच सोशल मीडिया पर पोस्टर वार शुरू हो गया है।
मुझे CM आवास से निकाला – आतिशी
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी, आप सांसद संजय सिंह और सौरभ भारद्वाज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। आतिशी ने कहा कि आज दिल्ली के चुनाव की घोषणा हुई। घोषणा से पिछली रात को केंद्र की भाजपा सरकार ने मेरे सरकारी आवास से मेरा सामान निकालकर फेंक दिया। ये तीन महीने में दूसरी बार हुआ है जब केंद्र सरकार ने मुझे मुख्यमंत्री आवास से निकालकर बाहर फेंका है।
एक चिट्ठी भेजकर मुख्यमंत्री आवास का अलॉटमेंट कैंसिल किया और एक चुनी हुई मुख्यमंत्री से CM आवास छीन लिया। भाजपा को लगता है कि घर छीनने से, हमारे साथ गाली-गलौच करने से, मेरे परिवार के बारे में निचले स्तर की बातें करने से ये हमारे वो काम रोक देंगे, जो हम दिल्लीवालों के लिए कर रहे हैं।
आतिशी ने कहा – मैं बताना चाहती हूं कि घर छीनने से, हमें गालियां देने से हमारे काम रुकेंगे नहीं। अगर जरूरत पड़ी, तो मैं आपके घर आकर रहूंगी और आपके घर से दिल्लीवालों के लिए काम करूंगी
काम और गाली की राजनीति – केजरीवाल
चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद आम आदमी पार्टी चीफ केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में काम और गाली की राजनीति के बीच मुकाबला देखने को मिलेगा। केजरीवाल ने आप कार्यकर्ताओं से कहा- लोग हमारी काम की राजनीति पर भरोसा जताएंगे।
जिला निर्वाचन अधिकारी VIP हैं क्या – संजय
आप सांसद संजय सिंह ने कहा- डीईओ कोई वीआईपी नहीं हैं। उनकी जवाबदेही हमारे लिए है। उनका काम चुनाव प्रक्रिया को देखना है। क्या हम उनसे नहीं मिलेंगे? क्या वह इतने वीआईपी हैं कि हम उनसे नहीं मिल सकते? अगर प्रोटोकॉल की बात है तो डीएम का प्रोटोकॉल सांसद से बहुत कम है, फिर भी हम उनके दफ्तर गए।
उन्हें सम्मान महसूस करना चाहिए। क्या उन्हें इस तरह के बयान देने में शर्म नहीं आती? हम उन्हें कैसे धमका रहे हैं? क्या मतदाताओं और आपत्तिकर्ताओं के बारे में जानकारी मांगना धमकी माना जाता है? अधिकारियों को थोड़ा विनम्र होना चाहिए।”