डेली संवाद, चंडीगढ़। Punjab News: स्थानीय निकाय मंत्री डॉक्टर रवजोत सिंह ने विधानसभा सत्र के दौरान नरिंदर कौर भराज, एम.एल.ए. संगरूर (Sangrur) द्वारा आवारा कुत्तों की दहशत और आक्रामकता संबंधी ध्यान दिलाओ प्रस्ताव का उत्तर देते हुए सदन का ध्यान इस गंभीर समस्या की ओर दिलाने की सराहना करते हुए कहा कि यह समस्या पूरे पंजाब राज्य की समस्या है। इस मसले में शहरी और ग्रामीण क्षेत्र शामिल हैं।
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इस समस्या से निपटने के संबंध में शहरी क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों को सदन के समक्ष प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि यह सही है कि राज्य में आवारा कुत्तों की आबादी बढ़ने के कारण कुत्तों द्वारा आम जनता को काटने की घटनाएं हो रही हैं। इस गंभीर समस्या के संबंध में विभाग सतर्क है और इस संबंध में राज्य की सभी शहरी स्थानीय संस्थाओं को इस समस्या से निपटने के लिए विशेष प्रयास करने के लिए लगातार दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं।
इस संबंध में कार्रवाई Prevention & Cruelty to Animals Act, 1960 के तहत ही की जाती है। आवारा कुत्तों की समस्या को नियंत्रित करने के लिए उचित समाधान यह है कि उनकी नसबंदी की जाए ताकि उनकी संख्या को नियंत्रित किया जा सके। एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स 2023 के तहत आवारा कुत्तों की नसबंदी की जा रही है। विशेषज्ञों की राय के अनुसार जब भी किसी कुत्ते की नसबंदी की जाती है, तो उसकी आक्रामकता में कमी आती है और जिसके कारण कुत्तों द्वारा काटने की घटनाओं में भी कमी आती है।
स्थानीय निकाय विभाग के तहत राज्य में 14 शहरी स्थानीय संस्थाओं द्वारा अपने एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर स्थापित किए गए हैं और वर्तमान में नगर निगम श्री अमृतसर साहिब, मोहाली, बठिंडा, पटियाला, लुधियाना, जालंधर में एनिमल बर्थ कंट्रोल का कार्यक्रम सफलतापूर्वक चल रहा है। 8 शहरी स्थानीय निकायों द्वारा डॉग पाउंड्स भी तैयार किए गए हैं, जहां कुत्तों को अस्थायी रूप से रखा जाता है। अब तक राज्य में लगभग 2,18,063 कुत्तों की नसबंदी करवाई गई है और वर्ष 2022 से 2024 के दौरान लगभग 80,000 हज़ार कुत्तों की नसबंदी करवाई गई है।


