डेली संवाद, चंडीगढ़। Punjab News: पंजाब (Punjab) में पंजाब सरकार (Punjab Government) द्वारा लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है इसी को लेकर पंजाब सरकार ने करप्शन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है।
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मिली जानकारी के मुताबिक पंजाब सरकार ने नायब तहसीलदार वरिंदरपाल सिंह ढूत को नौकरी से बर्खास्त किया है। उन पर गैरकानूनी रूप से 10365 कनाल 19 मरला शामलात जमीन का म्यूटेशन पास करने का आरोप है।
सरकार ने इस मामले की जांच अधिकारी (रिटायर्ड जज बीआर. बंसल) से करवाई है। जिन्होंने सभी आरोपों को सही ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट और सरकार के आदेशों की अवहेलना कर निजी व्यक्तियों को फायदा पहुंचाया, जिसके चलते कार्रवाई की गई।
इंतकाल करने पर लगाई थी रोक
जाँच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि यह इंतकाल पंजाब सरकार के राजस्व विभाग द्वारा जारी स्पष्ट निर्देशों और सुप्रीम कोर्ट के 2011 के जगपाल सिंह बनाम पंजाब राज्य मामले में दिए गए फैसले का उल्लंघन करके किया गया था। इस फैसले के अनुसार, शमलात जमीन को निजी पक्षों के नाम स्थानांतरित करने या इंतकाल करने पर रोक लगाई गई थी।

सेवानिवृत्त अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बी.आर. बांसल द्वारा प्रस्तुत जाँच रिपोर्ट में यह पाया गया कि धूत ने न केवल अवैध रूप से इंतकाल को मंजूरी दी, बल्कि खेवटदारों/कब्जाधारकों के हिस्सों को बिना उचित सत्यापन के बढ़ाकर या घटाकर घोटाला भी किया। कुछ मामलों में, ऐसे व्यक्तियों को भी शेयरधारक के रूप में शामिल किया गया, जिनका जमीन पर कोई वैध दावा नहीं था।
सरकार ने ज़ीरो टॉलरेंस नीति अपनाई
धूत की इन गतिविधियों को “दुष्प्रेरित मंशा” करार देते हुए, एफ.सी.आर. अनुराग वर्मा ने बर्खास्तगी के आदेशों में लिखा, “ऐसी गतिविधियों के खिलाफ सरकार ने ज़ीरो टॉलरेंस नीति अपनाई हुई है। इसलिए, उपलब्ध तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, मैं सक्षम अधिकारी होने के नाते नायब तहसीलदार (निलंबित) वरिंदरपाल सिंह धूत को पंजाब सिविल सेवाएं (सजा एवं अपील) नियम, 1970 के उपनियम 5 के तहत सरकारी सेवा से बर्खास्त करने का निर्णय लेता हूँ और आदेश देता हूँ।”
यह कार्रवाई ए.सी.एस.-एफ.सी.आर. अनुराग वर्मा द्वारा पंजाब के सभी डिप्टी कमिश्नरों (डी.सी.) को भ्रष्टाचार और बिना आपत्ति प्रमाण पत्र (एन.ओ.सी.) के प्लॉटों की रजिस्ट्रेशन में देरी के खिलाफ सख्त चेतावनी जारी करने के बाद अमल में लाई गई। यह चेतावनी नवंबर 2024 में जारी किए गए सरकारी नोटिफिकेशन के बावजूद प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में बिना एन.ओ.सी. वाले प्लॉटों की रजिस्ट्रेशन में देरी और भ्रष्टाचार की रिपोर्टें सामने आने के बाद जारी की गई थी।


