डेली संवाद, नई दिल्ली। Norway Chess 2025: वर्ल्ड चैंपियन डी गुकेश (वर्ल्ड नंबर-5) ने नॉर्वे चेस टूर्नामेंट के छठे राउंड में वर्ल्ड नंबर-1 मैग्नस कार्लसन को हरा दिया। यह गुकेश की क्लासिकल चेस में कार्लसन के खिलाफ पहली जीत है। इस जीत के साथ 19 साल के गुकेश नॉर्वे शतरंज 2025 की पॉइंट्स टेबल में 8.5 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर पहुंच गए हैं, जबकि कार्लसन और अमेरिकी ग्रैंडमास्टर फाबियानो कारुआना 9.5 अंकों के साथ संयुक्त रूप से पहले स्थान पर हैं।
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हार के बाद कार्लसन (World Champion Magnus Carlsen) ने गुस्से में चेस बोर्ड पर मुक्का मारा, जिससे मोहरे बिखर गए। हालांकि बाद उन्होंने गुकेश (D. Gukesh) से माफी मांगी और उनकी पीठ भी थपथपाई। इसके बाद उन्होंने मीडिया से बात नहीं की और चले गए। टूर्नामेंट का पहला राउंड इन्हीं दोनों के बीच खेला गया था। उस मैच में पांच बार के वर्ल्ड चैंपियन कार्लसन ने गुकेश को हरा दिया था।
Gukesh turns it all around and WINS his first classical game against Magnus Carlsen!https://t.co/7Aid1cvNlK#NorwayChess pic.twitter.com/KMpRadXJq0
— chess24 (@chess24com) June 1, 2025
कार्लसन ने गुकेश के खेल पर सवाल उठाए थे
इससे पहले, गुकेश के वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद कार्लसन ने कहा था, ‘मैं वर्ल्ड चैंपियनशिप में नहीं खेलता। वहां मुझे हराने वाला कोई नहीं है।’ जबाव में गुकेश ने कहा था, ‘मौका मिला तो उनके सामने बिसात पर खुद को परख लूंगा।’
गुकेश मौजूदा वर्ल्ड चैंपियन
गुकेश ने दिसंबर में सिंगापुर में खेले गए वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप में चीन के डिंग लिरेन को 7.5-6.5 से फाइनल में हराकर खिताब जीता था। 18 साल की उम्र में वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप जीतने वाले गुकेश दुनिया के पहले प्लेयर हैं। इससे पहले 1985 में रूस के गैरी कास्पारोव ने 22 साल की उम्र में यह खिताब जीता था। गुकेश ने चीनी खिलाड़ी को 14वें गेम में हराकर यह टाइटल जीता था। 25 नवंबर को चैंपियनशिप का फाइनल शुरू हुआ था, 11 दिसंबर तक दोनों के बीच 13 गेम खेले गए।
गुकेश ने चेस ओलिंपियाड भी जिताया था
10 से 23 सितंबर तक पिछले साल बुडापेस्ट में चेस ओलिंपियाड का आयोजन हुआ था। भारत ओपन और विमेंस दोनों कैटेगरी में चैंपियन बना था। ओपन कैटेगरी में गुकेश ने ही फाइनल गेम जीतकर भारत को जीत दिलाई थी।
जानें, चेस के फॉर्मेट क्लासिकल, रैपिड और ब्लिट्ज ये चेस के फॉर्मेट हैं। क्लासिकल गेम में खिलाड़ियों को सोचने और रणनीति बनाने के लिए सबसे ज्यादा समय दिया जाता है। यह शतरंज का सबसे पारंपरिक और गंभीर फॉर्मेट माना जाता है। इसमें आमतौर पर प्रत्येक खिलाड़ी को 90 से 120 मिनट मिलते हैं, और अक्सर 40 चालों के बाद अतिरिक्त समय भी। वहीं, रैपिड में 60 मिनट से कम और ब्लिट्ज़ में 10 मिनट या उससे कम समय मिलता है।