Aaj ka Panchang: आज ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि, सोमवार व्रत रख कर करें पूजा; पढ़ें पंचांग

Mansi Jaiswal
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Aaj Ka Panchang

डेली संवाद, जालंधर। Aaj ka Panchang 09 June 2025: आज 09 जून 2025 की तारीख है, सोमवार (Monday) का दिन है। आज यानी 09 जून को ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। साथ ही आज सोमवार व्रत किया जा रहा है। सनतान धर्म में सोमवार व्रत का खास महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सोमवार व्रत को करने से विवाह में आ रही बाधा दूर होती है। साथ ही मनचाहा वर मिलता है। सोमवार व्रत के दिन शुभ और अशुभ योग बन रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि आज का (Aaj ka Panchang 09 June 2025) पंचांग।

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Aaj ka Panchang 09 June 2025

तिथि : त्रयोदशी प्रात: 09 बजकर 35 मिनट तक

योग: शिव दोपहर 01 बजकर 09 मिनट तक

करण: तैतिल प्रात: 09 बजकर 35 मिनट तक

करण: गरज रात 10 बजकर 38 मिनट तक

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय: सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर

सूर्यास्त: शाम 07 बजकर 18 मिनट पर

चंद्रोदय: शाम 05 बजकर 47 मिनट पर

चन्द्रास्त: 10 जून को सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर

शुभ समय अवधि

अभिजीत: प्रात: 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक

अशुभ समय अवधि

गुलिक काल: दोपहर 02 बजकर 05 मिनट से दोपहर 03 बजकर 49 मिनट तक

यमगंडा: प्रात: 10 बजकर 36 मिनट से दोपहर 12 बजकर 20 बजे मिनट तक

राहु काल: प्रात: 07 बजकर 07 मिनट से प्रात: 08 बजकर 52 मिनट तक

आज का नक्षत्र

आज चंद्रदेव विशाखा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे…

विशाखा नक्षत्र: दोपहर 03 बजकर 31 मिनट तक

सामान्य विशेषताएं: ईर्ष्यालु, क्रोधी स्वभाव,महत्वाकांक्षी, मजाकिया, आध्यात्मिक, प्रबल इच्छाशक्ति और न्यायप्रिय

नक्षत्र स्वामी: गुरु बृहस्पति

राशि स्वामी: शुक्र, मंगल

देवता: इंद्राग्नि – यज्ञ के देवता

प्रतीक: विजय का मेहराब या कुम्हार का चाक

Lord Shiva
Lord Shiva

भगवान शिव के मंत्र

1. सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।।
2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
3. नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं।।
4. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
5. ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।




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