डेली संवाद, नई दिल्ली। Human Rights Defenders Summit: राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में आज मानवाधिकार रक्षक शिखर सम्मेलन 2025 का भव्य आयोजन संपन्न हुआ। इस महत्वपूर्ण आयोजन में देश-विदेश से आए उन नायकों ने भाग लिया जो मानवाधिकारों की रक्षा के लिए समर्पित हैं।
बड़ी संख्या में मौजूद रहे राजनीतिक नेता
सम्मेलन न्याय, समानता और सम्मान की लड़ाई लड़ने वाली उन अनगिनत साहसी आवाज़ों को समर्पित रहा, जो वर्षों से निडरता के साथ अन्याय के विरुद्ध खड़ी रही हैं। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स फाउंडेशन (यूएसए) द्वारा द राइट प्लेस फॉर यू फाउंडेशन (दिल्ली) के सहयोग से किया गया। कार्यक्रम में भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता, अंतरराष्ट्रीय एनजीओ प्रतिनिधि, राजनीतिक नेता और मानवाधिकार विशेषज्ञ बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
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इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य दलितों और वंचित समुदायों को उनके कानूनी अधिकारों, कल्याणकारी योजनाओं और संवैधानिक सुरक्षा के प्रति जागरूक करना रहा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए फाउंडेशन के महासचिव शशि कुमार ने कहा, “हम सभी का कर्तव्य है कि हम एकजुट होकर न केवल अपने पर्यावरण की रक्षा करें, बल्कि अपने मूल अधिकारों को भी समझें और सुरक्षित रखें।”
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि एनजीओ का योगदान केवल उपलब्ध परिणामों तक सीमित नहीं है, बल्कि वे ऐसे प्रभावशाली साधन हैं जो दुनिया भर में व्यक्ति और समुदायों द्वारा मानवाधिकारों की रक्षा हेतु प्रयोग किए जाते हैं। शशि कुमार ने कहा कि इन संगठनों का संचालन भले ही निजी व्यक्तियों द्वारा होता हो, लेकिन उनकी वास्तविक शक्ति समाज से मिलने वाले स्वैच्छिक सहयोग से आती है — यही उन्हें विशेष बनाता है।
कार्यक्रम के आयोजक डॉ. आमिर खान ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया और देश-विदेश के मानवाधिकार रक्षकों को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया। इस वर्ष सम्मेलन की थीम थी – “स्वतंत्रता की रक्षा, आवाज़ों को सशक्त बनाना”। कार्यक्रम में अनेक वैश्विक और स्थानीय मुद्दों पर गंभीर विचार-विमर्श हुआ, जिनमें शामिल थे:
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और समकालीन चुनौतियाँ
डिजिटल अधिकार एवं गोपनीयता कार्यकर्ताओं की कानूनी और शारीरिक सुरक्षा लोकतांत्रिक व्यवस्था में नागरिक समाज की भूमिका पर्यावरणीय मानवाधिकार और कॉर्पोरेट उत्तरदायित्व (CSR) दिनभर चली कार्यशालाओं और पैनल चर्चाओं में विशेषज्ञों ने मानवाधिकारों के बदलते स्वरूप, महिलाओं के अधिकार, आदिवासी समुदायों की सुरक्षा और संगठित रणनीतियों पर खुलकर चर्चा की। यह सम्मेलन केवल एक मंच नहीं बल्कि एक आंदोलन बनकर उभरा, जो रक्षकों को सशक्त करता है और नीति-निर्माताओं को जवाबदेही की दिशा में प्रेरित करता है।
सम्मेलन का सबसे भावनात्मक क्षण रहा – मानवाधिकार साहस पुरस्कार वितरण। उन साहसी रक्षकों को मंच पर सम्मानित किया गया जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह किए बिना समाज के सबसे कमजोर वर्गों की आवाज़ बनना स्वीकार किया।
“मानवाधिकार कोई विकल्प नहीं, बल्कि हर व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है। जब तक हर नागरिक को सम्मान और न्याय नहीं मिलेगा, समाज की प्रगति अधूरी रहेगी।”