Aaj ka Panchang: बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित, काम में आ रही बाधा होगी दूर; पढ़ें पंचांग

Mansi Jaiswal
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Aaj ka panchang

डेली संवाद, जालंधर। Aaj ka Panchang 02 July 2025: आज 02 जुलाई 2025 की तारीख है, बुधवार (Wednesday) का दिन है। आज यानी 02 जुलाई को आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है। इस तिथि पर बुधवार का व्रत भी किया जा रहा है।

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सनातन धर्म में बुधवार का दिन भगवान गणेश (Lord Ganesh Ji) को समर्पित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, गणपति बप्पा की पूजा करने से काम में आ रही बाधा दूर होती है। साथ ही प्रभु सभी मुरादें पूरी करते हैं। बुधवार, सप्तमी तिथि पर कई योग बन रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं पंचांग (Aaj ka Panchang 02 July 2025) और शुभ मुहूर्त के बारे में।

Lord Ganesh
Lord Ganesh

तिथि: शुक्ल सप्तमी

मास पूर्णिमांत: आषाढ़

दिन: बुधवार

संवत्: 2082

तिथि: सप्तमी प्रात: 11 बजकर 58 मिनट तक

योग: वरीयान शाम 05 बजकर 47 मिनट तक

करण: वनीजा प्रात: 11 बजकर 58 मिनट तक

करण: 03 जुलाई को विष्टि प्रात: 12 बजकर 59 मिनट तक

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय: सुबह 05 बजकर 27 मिनट पर

सूर्यास्त: शाम 07 बजकर 23 मिनट पर

चंद्रोदय: दोपहर 12 बजकर 01 मिनट पर

चन्द्रास्त: 03 जुलाई को रात 12 बजकर 01 मिनट पर

सूर्य राशि: मिथुन

चंद्र राशि: कन्या

पक्ष: शुक्ल

शुभ समय अवधि

अभिजीत: कोई नहीं

अमृत काल: कोई नहीं

अशुभ समय अवधि

गुलिक काल: प्रात: 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 25 मिनट तक

यमगंड: प्रात: 07 बजकर 12 मिनट से प्रात: 08 बजकर 56 मिनट तक

राहु काल: दोपहर 12 बजकर 25 मिनट से दोपहर 02 बजकर 10 मिनट तक

आज का नक्षत्र

आज चंद्रदेव उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे…

उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र: प्रात: 11 बजकर 07 मिनट तक

सामान्य विशेषताएं: विनम्रता, मेहनती स्वभाव, बुद्धिमत्ता, मददगार, उदार, ईमानदारी, बुद्धिमान, अध्ययनशील और परिश्रमी

नक्षत्र स्वामी: सूर्य

राशि स्वामी: सूर्य, बुध

देवता: आर्यमन (मित्रता के देवता)

गुण: राजस

प्रतीक: बिस्तर

Lord Ganesh
Lord Ganesh

भगवान गणेश की पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जप

1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

2. ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥

3. ‘गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।

नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।

धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।

गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।

4. ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।











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