Kailash Kher: संघर्ष भरा रहा कैलाश खेर का जीवन, खेल-कूद की उम्र में छोड़ा घर; सुसाइड की कोशिश

Daily Samvad
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Kailash Kher's life was full of struggle

डेली संवाद, मुंबई। Kailash Kher: 21 भाषाओं में 2000 से ज्यादा गाने गाकर आपने आवाज़ के कारण देश विदेश में लोगों के दिल में रहने वाले सिंगर पद्मश्री कैलाश खेर का जीवन बहुत ही संघर्ष भरा रहा है। गायकी से लेकर अन्य कई क्षेत्रों में अपना करियर बनाने के लिए कैलाश ने बहुत मेहनत कर अपने किस्मत आजमाई, लेकिन हमेशा से निराशा का सामना करना पड़ा। निराशा से परेशान होकर दो बार ज़िन्दगी खत्म करने के बारे में सोचा।

संगीत साधना और आत्मविश्वास के चलते कैलाश करोड़ों लोगो के प्रेरणा के उदहारण बन गए है, लेकिन जीवन में कामयाबी मिलने के साथ-साथ उनके चरित्र पर लांछन लगना शुरू हो गया। सिंगर सोना मोहपात्रा और एक महिला फोटो जर्नलिस्ट के अलावा कुछ और लोग उन पर सेक्शुअल हैरेसमेंट का आरोप लगा चुके हैं।

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इस आरोप का जवाब देते हुए कैलाश खेर (Kailash Kher) का कहना है कि उनकी जानकारी में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। उन्होंने अपने सफाई में कहा है कि अगर लोगों को गलतफहमी हुए है तो मैं माफ़ी चाहता हूं। आज कैलाश खेर अपना 52 वां जन्मदिन मना रहे हैं। जाने उनके जीवन का सफर-

12 साल में घर छोड़ा

कैलाश खेर ने 12 साल की उम्र में घर छोड़ दिया और 8-10 साल दिल्ली में ही भटकते रहे। इस दौरान कई नौकरियां की, लेकिन रहने और खाने का ठिकाना नहीं था। कभी दर्जी तो कभी ट्रक ड्राइवर बने। 150 रुपए महीने पर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया। साल भर प्रिंटिंग प्रेस में काम करने के बाद पैसे नहीं मिले।

20 साल की उम्र में दोस्त के साथ हैंडी क्राफ्ट का बिजनेस शुरू किया, लेकिन वह बिजनेस भी बंद हो गया। फिर कैलाश को अपने पिता की बात याद आई। उनके पिता अपनी तरह कैलाश को कर्मकांड पंडित बनाना चाहते थे।

 

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पंडित बनने ऋषिकेश आए

21 साल की उम्र में कैलाश खेर कर्मकांड पंडित बनने ऋषिकेश आ गए। आप की अदालत में कैलाश ने बताया- मैं सोच रहा था कि कर्मकांड सीखकर सिंगापुर या मॉरीशस सेटल हो जाऊंगा। विदेश में जाकर पंडित बनता तो पिताजी जैसे 100-150 नहीं कमाता। वहां इनकम अच्छी होती, लेकिन मुझे अचानक लगा हर चीज में तो विफल हुआ हूं।

क्लासमेट्स को देखकर मन में कॉम्प्लेक्स आ गया

कैलाश खेर ने आगे बताया- हमारे क्लासमेट्स 7 से 9 साल के थे। हम इधर-उधर से धक्के खाते जब पहुंचे तब तक मेरी उम्र 21 साल की हो गई थी। वहां मन में थोड़ा कॉम्प्लेक्स आ गया। मैं यही सोचने लगा कि ये कर रहा हूं। भगवान मैं क्या हर जगह में विफल होता हूं। बहुत सारी चुनौतियां आने लगीं। लगने लगा कि अब जीवन लीला समाप्त कर लेनी चाहिए।

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आत्महत्या की कोशिश की

जिंदगी से निराश होकर खेर ने गंगा नदी में डूब कर आत्महत्या करने चले गए , लेकिन गंगा घाट पर मौजूद उनके सीनियर ने बचा लिया। जब उसने पूछा कि तैरना नहीं आता है तो कूद क्यों गए? उन्होंने कहा कि आत्महत्या करना चाहता हूं, तो उसने सिर पर जोर से टपली मारी। उस टपली ने जिंदगी की कीमत सिखा दी और ठान लिया कि अब जीवन में कुछ करना है।















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