डेली संवाद,नई दिल्ली। Bharat Bandh on 9th July: देशभर में कल 9 जुलाई, बुधवार को भारत बंद का ऐलान किया गया है। दरअसल, कल देशभर के 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी देशव्यापी हड़ताल (Bharat Bandh 2025) पर रहेंगे। ये कर्मचारी बैंकिंग, बीमा, राजमार्ग निर्माण और कोयला खनन समेत अन्य केई क्षेत्रों में कार्यरत हैं। यह हड़ताल 10 ट्रेड यूनियन और उनकी सहयोगी इकाइयों द्वारा सरकार की मजदूर, किसान और राष्ट्र विरोधी नीतियों का विरोध करने के लिए बुलाई गई है। जिससे कई जरूरी सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
यह भी पढ़ें: पंजाब में जालंधर का यह नेता निकला डकैत, पार्टी से निष्कासित
ट्रेड यूनियनों का कहना है कि 9 जुलाई (July 9 Strike Impact) की प्रस्तावित हड़ताल कोई प्रदर्शन नहीं, बल्कि देश की नीतियों और श्रमिकों के अधिकारों पर सवाल उठाने की बड़ी कोशिश है। अगर हड़ताल सफल रही, तो इसका असर ना केवल सेवाओं पर पड़ेगा, बल्कि सरकार की नीतियों पर भी पड़ सकता है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर भारत बंद (Bharat Bandh) के दौरान क्या-क्या खुलेगा और क्या-क्या बंद रहेगा?
क्या-क्या रहेगा बंद?
देशव्यापी हड़ताल के दौरान कई जरूरी सेवाएं बंद रह सकती हैं, जिसका सीधा असर आपके ऊपर पड़ेगा।
- बैंकिंग सेवाएं
- बीमा कंपनियों का काम
- पोस्ट ऑफिस
- कोयला खदानों का कामकाज
- राज्य परिवहन सेवाएं (सरकारी बसें)
- हाईवे और कंस्ट्रक्शन का काम
- सरकारी फैक्ट्रियों और कंपनियों का प्रोडक्शन।
क्या-क्या खुलेगा?
- निजी क्षेत्र की ज्यादातर कंपनियां काम करेंगी
- अस्पताल, मेडिकल इमरजेंसी सेवाएं सामान्य रहने की उम्मीद
- निजी स्कूल/कॉलेज और ऑनलाइन सेवाएं।
स्कूल, कॉलेज, ऑफिस का क्या होगा?
9 जुलाई को स्कूल, कॉलेज और प्राइवेट ऑफिस खुले रहने की उम्मीद है। हालांकि, परिवहन संबंधी समस्याओं के कारण कुछ क्षेत्रों में कामकाज प्रभावित हो सकता है। ट्रेड यूनियनों और सहयोगी ग्रुप की ओर से कई शहरों में विरोध मार्च और सड़क प्रदर्शन किए जाने से सार्वजनिक बसें, टैक्सियां और ऐप-आधारित कैब सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। इससे स्थानीय यात्रा और लॉजिस्टिक्स संचालन में देरी या रद्द होने की संभावना है।
क्या रेल सेवाएं प्रभावित होंगी?
9 जुलाई को देशव्यापी रेलवे हड़ताल की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। हालांकि, देश के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और सड़क जाम की आशंका है, जिससे कुछ क्षेत्रों में ट्रेन सेवाएं बाधित हो सकती हैं या उनमें देरी हो सकती है।
रेलवे यूनियनों ने औपचारिक रूप से भारत बंद में भाग नहीं लिया है। लेकिन, पहले हुईं इस तरह की हड़तालों में देखा गया है कि प्रदर्शनकारी रेलवे स्टेशनों के पास या पटरियों पर प्रदर्शन करते हैं, खासकर उन राज्यों में जहां यूनियन की मजबूत उपस्थिति है। इससे स्थानीय स्तर पर ट्रेनों में देरी हो सकती है या अधिकारियों द्वारा सुरक्षा उपाय बढ़ाए जा सकते हैं।
क्या है हड़ताल पर जाने की वजह?
“भारत बंद” का आह्वान देश के 10 बड़ी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने मिलकर किया है। उनका कहना है कि सरकार सिर्फ बड़े कॉरपोरेट्स के हित में काम कर रही है, जबकि आम आदमी की नौकरी, वेतन और सुविधाएं घटती जा रही हैं। साथ ही, सरकार लेबर कानूनों को कमजोर करके यूनियनों की ताकत खत्म करना चाहती है। इसके अलावा सरकार की नीतियों कर्मचारियों और किसानों के भी खिलाफ हैं। यूनियनों का कहना है कि उन्होंने पिछले साल श्रम मंत्री को 17 सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा था, जिनमें ये प्रमुख हैं:
- बेरोजगारी दूर करने के लिए नई भर्तियां शुरू की जाएं
- युवाओं को नौकरी मिले, रिटायर्ड लोगों की दोबारा भर्ती बंद हो
- मनरेगा की मजदूरी और दिनों की संख्या बढ़ाई जाए
- शहरी बेरोजगारों के लिए भी मनरेगा जैसी योजना लागू हो
- निजीकरण, कॉन्ट्रेक्ट बेस्ड नौकरी और आउटसोर्सिंग पर रोक लगे
- चार लेबर कोड खत्म हों, जो कर्मचारियों के हक छीनते हैं
- मूलभूत जरूरतों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और राशन पर खर्च बढ़े
- सरकार ने 10 साल से वार्षिक श्रम सम्मेलन आयोजित नहीं किया।
हड़ताल को किसका समर्थन?
ट्रेड यूनियनों के मुताबिक, हड़ताल में 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। इस हड़ताल को किसानों और ग्रामीण श्रमिकों का भी समर्थन मिल सकता है। NMDC लिमिटेड, अन्य खनिज, इस्पात कंपनियों, राज्य सरकारों में काम करने वाले विभाग और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हो सकते हैं।
इसके अलावा, संयुक्त किसान मोर्चा और कृषि श्रमिक संगठनों ने भी इस हड़ताल को समर्थन दिया है। बता दें कि इससे पहले श्रमिक संगठनों ने 26 नवंबर 2020, 28-29 मार्च 2022 और 16 फरवरी 2024 को देशव्यापी हड़ताल की थी।
किसान और ग्रामीण मजदूर क्यों शामिल?
किसानों के ग्रुप और ग्रामीण श्रमिक संगठनों ने भी अपना समर्थन दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा और कृषि श्रमिक संघ ग्रामीणों को जुटाने और उन आर्थिक फैसलों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं, जिनके बारे में उनका दावा है कि वे ग्रामीण संकट को बढ़ा रहे हैं। उनका आरोप है कि सरकारी कामों के कारण बेरोजगारी बढ़ रही है। वहीं आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याणकारी खर्चों में कटौती की जा रही है।