डेली संवाद, गोण्डा/लखनऊ। Changur Baba Gang: हिंदू युवतियों को प्रेम के जाल में फंसाकर मतांतरण कराने वाले गिरोह के सरगना जलालुद्दीन उर्फ छांगुर (Changur) के सपने इतने बड़े थे कि इनको सच करने के लिए उसने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) के नाम व फोटो का प्रयोग किया। उसको इस दौरान जरा भी भय नहीं लगा और उसने बलरामपुर (Balrampur) के साथ ही मुंबई (Mumbai) और दुबई (Dubai) में संपत्तियां खरीद लीं।
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के साथ ही उत्तराखंड, हरियाण और महाराष्ट्र तक मतांतरण कराने में सफल रहा जलालुद्दीन उर्फ छांगुर अपने गिरोह के चार अन्य सदस्यों के साथ एटीएस की गिरफ्त में है। ईडी के साथ यूपी एसटीएफ उसके गिरोह की जड़े खोखली करने में लगी है। जांच एजेंसियों के मुताबिक छांगुर खुद को आरएसएस से जुड़े एक संगठन का सीनियर पदाधिकारी बताकर अधिकारियों और नेताओं से मिलता था। वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर वाला लैटरहेड भी इस्तेमाल करता था, जिससे उसे सरकारी और राजनीतिक तौर पर अलग पहचान मिल सके।
भारत प्रतिकार्थ सेवा संघ का महासचिव
जलालुद्दीन उर्फ छांगुर (Changur) को अफसरों और नेताओं को आरएसएस के नागपुर सेंटर से जुड़ी संस्था का पदाधिकारी बताता था। छांगुर अपने आरएसएस से जुड़े एक तथाकथित संगठन “भारत प्रतिकार्थ सेवा संघ” का अवध क्षेत्र का महासचिव बताता था। भारत प्रतिकार्थ सेवा संघ का संचालन उसके मतांतरण गिरोह का सदस्य ईदुल इस्लाम कर रहा था। इस संगठन का नाम जानबूझकर ऐसा रखा गया जिससे लगे कि यह आरएसएस से जुड़ा है।
नागपुर में खोला था फर्जी सेंटर
ईदुल इस्लाम ने संगठन की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए आरएसएस के मुख्यालय वाले शहर महाराष्ट्र के नागपुर में एक फर्जी केंद्र भी खोल रखा था। छांगुर (Changur) और ईदुल इस्लाम जगह-जगह पर अपने संबंधों को पुख्ता दिखाने के लिए कई प्रमुख आरएसएस नेताओं के नाम लेते थे। एसटीएफ की जांच में सामने आया है कि इस्लाम स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके ग्राम समुदाय की जमीनों की अवैध खरीद में शामिल था।
500 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम
एटीएस और ईडी की जांच में छांगुर (Changur) को खाड़ी देशों सहित अन्य देशों से विदेशी स्रोतों से 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम मिलने की पुष्टि हुई है। छांगुर के पास उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में सौ करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्तियां हैं। इनमें से कुछ सरकारी जमीन पर कब्जे भी हैं। ईडी को 60 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) के सबूत भी मिले हैं। छांगुर और उसके सहयोगियों के 22 बैंक खातों की जांच के दौरान सारे तथ्य सामने आए हैं।