Punjab News: पंजाब नशा निवारण पाठ्यक्रम लागू करने वाला पहला राज्य बनने जा रहा

Daily Samvad
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Harjot Singh Bains

डेली संवाद, चंडीगढ़। Punjab News: पंजाब की नशे के खिलाफ जंग एक अहम मोड़ पर पहुंच गई है क्योंकि राज्य सरकार ‘युद्ध नशों विरुद्ध’ मुहिम के तीसरे चरण के तहत कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए एक अनूठा नशा निवारण पाठ्यक्रम शुरू करने जा रही है। यह जानकारी स्कूल शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस (Harjot Singh Bains) ने मंगलवार शाम पंजाब भवन में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दी।

Punjab Information and Public Relations and School Education Minister Harjot Singh Bains
Punjab Information and Public Relations and School Education Minister Harjot Singh Bains

नशा निवारण पाठ्यक्रम का शुभारंभ करेंगे

हरजोत सिंह बैंस ने बताया कि आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक श्री अरविंद केजरीवाल और मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान (Bhagwant Mann) 1 अगस्त को फाजिल्का जिले के अरनीवाला में इस राज्यव्यापी नशा निवारण पाठ्यक्रम का शुभारंभ करेंगे।

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पाठ्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि यह अनूठा कार्यक्रम नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. अभिजीत बनर्जी के नेतृत्व वाले संगठन जे-पॉल साउथ एशिया के सहयोग से तैयार किया गया है। प्रमुख व्यवहार वैज्ञानिकों की मदद से डिज़ाइन किया गया यह पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं से 12वीं तक के लगभग 8 लाख विद्यार्थियों को नशे से बचाव की जानकारी और इससे बचने के कौशल से सशक्त बनायेगा।

यह पाठ्यक्रम 35 मिनट के सत्रों पर आधारित होगा

यह पाठ्यक्रम 35 मिनट के सत्रों पर आधारित होगा, जो हर पखवाड़े (15 दिन) में एक बार 27 सप्ताह तक आयोजित किए जाएंगे। इसमें डाक्यूमेंट्री, क्विज, पोस्टर और इंटरैक्टिव गतिविधियों जैसे रोचक माध्यमों के ज़रिए मिथकों को तोड़ना, मना करने की रणनीतियों और समूह दबाव से बचाव जैसे विषयों पर फोकस किया जाएगा, ताकि विद्यार्थी सोच-समझकर निर्णय लेने में सक्षम बन सकें।

बैंस ने बताया कि यह नशा-निवारण कार्यक्रम 3,658 स्कूलों को कवर करेगा और 6,500 से अधिक प्रशिक्षित शिक्षकों के माध्यम से कक्षा 9वीं से 12वीं तक के 8 लाख विद्यार्थियों को सशक्त बनाएगा। यह व्यापक कार्यक्रम पंजाब की शिक्षा व्यवस्था पर गहरा प्रभाव डालेगा और विद्यार्थियों को नशे से इनकार करने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करेगा।

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9,600 विद्यार्थियों पर किए गए रैंडम ट्रायल्स

यह पहल साक्ष्य पर आधारित है और इसे प्रमुख व्यवहार वैज्ञानिकों के साथ विकसित किया गया है। वर्ष 2024-25 के दौरान अमृतसर और तरनतारन के 78 सरकारी स्कूलों में 9,600 विद्यार्थियों पर किए गए रैंडम ट्रायल्स के ज़रिए इसका मूल्यांकन जे-पॉल साउथ एशिया द्वारा किया गया जिससे महत्तवपूर्ण परिणाम सामने आये।

परिणामों में यह देखा गया कि छात्रों में नशे के जोखिम के प्रति जागरूकता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। ‘चिट्टा’ को एक बार भी आज़माने से लत लगने के खतरे को 90 प्रतिशत छात्रों ने समझा, जबकि नियंत्रण समूह में यह आँकड़ा 69 प्रतिशत था। इसके अलावा, यह भ्रांति कि ‘सिर्फ इच्छाशक्ति से नशा छोड़ा जा सकता है’ पर विश्वास करने वाले छात्रों की संख्या 50 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत रह गई।

हेरोइन बरामद की

हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि पंजाब में नशा संकट दशकों तक चली व्यवस्थागत उपेक्षा और पिछली सरकारों द्वारा संरक्षण के कारण उत्पन्न हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब भारत का पहला राज्य है, जिसने राज्य स्तर पर एक प्रमाण-आधारित नशा-निवारण पाठ्यक्रम लागू किया है, यह मानते हुए कि नशे के खिलाफ लड़ाई थानों से नहीं बल्कि कक्षा से शुरू होती है।’’

इस दौरान शिक्षा मंत्री ने इस वर्ष मार्च में शुरू किए गए ‘‘युद्ध नशों विरुद्ध’’ मुहिम के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब तक राज्य सरकार द्वारा 23,000 से अधिक नशा तस्करों को जेल भेजा गया है, उनकी संपत्तियों को ज़ब्त किया गया है और 1,000 किलोग्राम से अधिक हेरोइन बरामद की गई है। ये प्रयास इस बात का प्रमाण हैं कि राज्य सरकार पंजाब के युवाओं के उज्जवल भविष्य को सुरक्षित करने और नशे की समस्या को जड़ से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
























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