डेली संवाद, रांची। Shibu Soren Death News: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन का लंबी बीमारी के बाद 81 वर्ष की उम्र में सोमवार को निधन हो गया। पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन (Shibu Soren) ने दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनका डेढ़ महीने से इलाज चल रहा था।

रामगढ़ में अंतिम संस्कार किया जाएगा
बता दें कि गुरुजी का पार्थिव शरीर आज शाम रांची पहुंचेगा, कल विधानसभा में दर्शन के लिए रखा जाएगा, कल शाम रामगढ़ के नेमरा में अंतिम संस्कार किया जाएगा, नेमरा गुरुजी का पैतृक गांव और जन्मस्थान है।
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शिबू सोरेन को किडनी संबंधी समस्याओं के चलते जून के आखिरी हफ्ते में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिता के निधन की जानकारी एक्स पर दी।
आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं।
आज मैं शून्य हो गया हूँ…
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) August 4, 2025
चारों ओर शोक और संवेदनाएं
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने अपने पिता के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा, “आज मैं खाली हाथ हूँ। गुरुजी ने न केवल झारखंड में, बल्कि पूरे देश में सामाजिक न्याय के लिए अनगिनत लड़ाइयाँ लड़ीं। उनकी कमी हमेशा खलेगी।” राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और कई अन्य प्रमुख नेताओं ने शिबू सोरेन के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
झारखंड में उनके समर्थकों और झामुमो कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई है। राज्य सरकार ने उनके सम्मान में सात दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की है। शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को हजारीबाग के नेमरा गांव में हुआ था। उनके निधन को झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत माना जा रहा है। उनके अंतिम संस्कार की जानकारी जल्द ही साझा की जाएगी।
तीन अलग-अलग मौकों पर झारखंड के CM बने
वह तीन अलग-अलग अवसरों पर झारखंड के मुख्यमंत्री बने (मार्च 2005, अगस्त 2008 से जनवरी 2009) तक, और दिसंबर 2009 से मई 2010 तक), हालांकि उन्होंने कभी पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं किया।
कद्दावर आदिवासी नेता शिबू सोरेन ने लगभग चार दशकों तक पार्टी का नेतृत्व किया। उन्होंने 1987 में झारखंड मुक्ति मोर्चा की बागडोर संभाली और अप्रैल 2025 तक इसके अध्यक्ष रहे।
शिबू सोरेन ने 1972 में किया था JMM का गठन
आदिवासी संथाल समुदाय से ताल्लुक रखने वाले शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी, 1944 को रामगढ़ जिले में हुआ था, जो उस समय बिहार का हिस्सा था। उन्होंने वामपंथी ट्रेड यूनियन नेता एके रॉय और कुर्मी-महतो नेता बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया।
सोरेन अलग झारखंड राज्य के लिए चले आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा बन गए। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में साल 2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड भारत का एक नया राज्य बना।






