UP News: दुष्टों का संहार करके ही सुरक्षित रह सकता है राष्ट्र- सीएम योगी

Muskan Dogra
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डेली संवाद, गोरखपुर। UP News: मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने कहा कि नागरिकों के संरक्षण और दुष्टों का संहार करके ही कोई राष्ट्र सुरक्षित रह सकता है। सुरक्षा के माहौल में ही स्मृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

सीएम योगी (Yogi Adityanath) शुक्रवार को युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 56वीं और राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 11वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में समसामयिक विषयों पर आयोजित संगोष्ठी श्रृंखला के पहले दिन ‘भारत के समक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियां’ विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे थे।

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संगोष्ठी के मुख्य अतिथि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) अनिल चौहान का अभिनंदन करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आचार्य चाणक्य के एक उद्धरण का उल्लेख करते हुए कहा कि,” कोई राष्ट्र वाह्य रूप से सुरक्षित हो और आंतिरक रूप से सुरक्षित न हो तो उसे अराजक राष्ट्र माना जाता है। ऐसा अराजक राष्ट्र शीघ्र समाप्त होने के कगार पर होता है”। पाकिस्तान इसी तरह के अराजक राष्ट्र का उदाहरण है। आंतरिक अराजकता से वह पूरी तरह खोखला हो चुका है। उन्होंने कहा कि अराजकता किसी भी राष्ट्र को दुर्गति की ओर ले जाती है। दुर्गति से अस्तित्व पर संकट होता है। भारत प्राचीनकाल से ही इस पर सजग और सतर्क रहा है।

भारत मां के प्रति दुस्साहस बर्दाश्त नहीं

मुख्यमंत्री ने कहा कि वैदिककाल से ही भारत में यह शिक्षा दी गई है कि धरती हमारी माता है। कोई भी सुयोग्य पुत्र मां के साथ अराजकता बर्दाश्त नहीं कर सकता। भारत मां की आन, बान, शान के प्रति किसी ने दुस्साहस किया तो उसके खिलाफ हर भारतीय खड़ा होगा। सीएम योगी ने रामायणकाल में उपद्रवियों के नाश के लिए प्रभु श्रीराम के ‘निसिचर हीन करहुं महि…’ संकल्प को रामराज की आधारशिला बताया। इसी परिप्रेक्ष्य में उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के ‘परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्’ के उद्घोष को संदर्भित करते हुए कहा कि नागरिकों का संरक्षण और दुष्टों का संहार राष्ट्र की सुरक्षा के लिए अपरिहार्य है।

सेना के जवानों के कठिन परिश्रम से नागरिक सोते हैं चैन की नींद

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दिए गए पंचप्रण का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें सेना के जवानों के प्रति सम्मान का भाव रखने का भी एक संकल्प है। उन्होंने कहा कि नागरिक चैन की नींद इसलिए सो पाते हैं कि हमारे सैनिक देश के मोर्चे पर माइनस 50 डिग्री तापमान में भी देश की सुरक्षा के लिए जागते रहते हैं। भारतीयों के लिए यह गर्व की बात है कि भारतीय सेना दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में से एक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में युद्ध के तौर तरीके बदले हैं। बदली परिस्थितियों में भी हमारी सेना ने दुश्मन को उसकी सीमाओं का एहसास कराया है।

राष्ट्र के लिए समर्पित रहा गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंतद्वय का जीवन

गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंतद्वय दिग्विजयनाथ जी महाराज और अवेद्यनाथ जी महाराज की पावन स्मृति को नमन करते हुए मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आध्यात्मिक साधना के साथ ब्रह्मलीन महंतद्वय का पूरा जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित रहा। पांथिक संकीर्णता में बंधे रहने की बजाय महंतद्वय ने भारत और भारतीयता के लिए किए गए हर आह्वान में बढ़चढ़कर भाग लिया। महंतद्वय की स्मृति में राष्ट्र से जुड़े विषयों पर संगोष्ठी का यह आयोजन गुरु परंपरा के प्रति गौरव की अनुभूति और कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर होता है।

डॉ. राधाकृष्णन को याद कर सीएम ने दी शिक्षक दिवस की बधाई

संगोष्ठी के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देश के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन को उनकी जयंती पर याद किया और इस अवसर पर मनाए जाने वाले शिक्षक दिवस की बधाई सभी शिक्षकों को दी। सीएम ने कहा कि डॉ. राधाकृष्णन एक दार्शनिक शिक्षक थे। उन्होंने समाज के मुद्दों को दार्शनिक अंदाज में देश और दुनिया के सामने प्रस्तुत किया।

युद्ध में सफलता के लिए सरप्राइज फैक्टर महत्वपूर्ण : सीडीएस

‘भारत के समक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियां’ विषयक संगोष्ठी के मुख्य अतिथि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) अनिल चौहान ने कहा कि युद्ध में सफलता हासिल करने के लिए सरप्राइज (अचरज) एक महत्वपूर्ण फैक्टर होता है। उरी सर्जिकल स्ट्राइक में भारत ने जमीन के रास्ते जाकर आतंकी ठिकानों को बर्बाद किया, बालाकोट में एयर स्ट्राइक का सहारा लिया गया। जबकि पहलगाम हमले के बाद लो एयर स्पेस, ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। भारतीय सेनाओं ने हर बार दुश्मन को सरप्राइज कर अपना टारगेट पूरा किया।

सीडीएस ने कहा कि समग्र रूप से राष्ट्र की सुरक्षा के लिए तीन घटक महत्वपूर्ण होते हैं। भूमि की सुरक्षा, विचारधारा की सुरक्षा और नागरिकों की सुरक्षा। राष्ट्र की सुरक्षा के लिए इन तीनों की सुरक्षा अनिवार्य है। इस संदर्भ में उन्होंने तीन घेरों सैन्य सुरक्षा, राष्ट्र की रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा की विस्तार से चर्चा की। कहा कि सैन्य तत्परता के लिए रक्षा संसाधनों, अनुसंधान एवं विकास के साथ रणनीतिक संस्कृति अहम होती है। इस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने कहा कि आने वाले समय में नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी भी जरूरी है।

युद्ध व अंतरराष्ट्रीय राजनीति को अलग-अलग नहीं देखा जा सकता

सीडीएस जनरल चौहान ने एक जर्मन विद्वान के उद्धरण के हवाले से कहा कि अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में युद्ध, राजनीति का ही विस्तार है। युद्ध और अंतरराष्ट्रीय राजनीति को अलग अलग नहीं देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि जब किसी राष्ट्र की सरकार यह सोचती है कि दूसरे राष्ट्र के खिलाफ बल प्रयोग करने की जरूरत है तो वह सैन्य अफसरों को कार्य करने के लिए निर्देशित करती है।

इसमें सैन्य क्षमता पर भरोसा और सैन्य विकल्पों की विविधता महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने कहा कि सैन्य क्षमता की मजबूती इस बात पर भी निर्भर होती है कि किसी राष्ट्र ने शांतिकाल में रक्षा क्षेत्र में कितना खर्च किया। सीडीएस ने बताया कि भारत की तीनों सेनाओं ने गलवान, बालाकोट में मजबूत सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि बालाकोट हमले के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों ने अलग अलग सीख ली। पाकिस्तान ने एयर डिफेंस पर ध्यान दिया तो भारत ने लंबी दूरी तक हमला करने वाले हथियारों पर।

ऑपरेशन सिंदूर में काफी कम थी आमने-सामने की लड़ाई

सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि राजनीतिक नेतृत्व से सैन्य बलों को दिशा मिलती है। ऑपरेशन सिंदूर में नेतृत्व से क्लियर कट दिशानिर्देश था कि आतंकी ठिकानों को ही निशाना बनाना है, नागरिक ठिकानों को नहीं। दुश्मन के किसी भी उकसावे पर सेना को जवाबी कार्रवाई की खुली छूट दी गई थी। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का मकसद सिर्फ बदला लेना नहीं था, धैर्य का स्तर भी बढ़ाना था। ऑपरेशन सिंदूर ऐसा पहला युद्ध तहस जिसमें दुश्मन से आमने सामने की लड़ाई काफी कम थी। इसमें न फ्रंट था और न रियर। ऑपरेशन सिंदूर अभी ऑफिशियली टर्मिनेट नहीं किया गया है।

सीमा विवाद राष्ट्र की सुरक्षा में पहली चुनौती

सीडीएस ने कहा कि भारत मे राष्ट्र की सुरक्षा की पहली चुनौती सीमा विवाद की है। पाकिस्तान और चीन से हुई लड़ाइयां सीमा विवाद का ही परिणाम हैं। पाकिस्तान की तरफ से प्रॉक्सी वार, पड़ोसी देशों में अस्थिरता और युद्ध के बदलते स्वरूप अन्य चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि युद्ध का स्वरूप अब विकेंद्रित होता जा रहा है। भविष्य में नई तकनीकी आधारित, रोबोटिक्स और मानवरहित युद्ध हो सकते हैं।

संकट खत्म होने के बाद की स्थिति है ’न्यू नॉर्मल’ नीति

सीडीएस ने कहा कि ‘न्यू नॉर्मल’ नीति ऐसी स्थिति होती है जो संकट खत्म होने के बाद बनती है। जैसे कोविड के बाद वर्क फ्रॉम होम और नोटबंदी के बाद डिजिटल लेनदेन की अभ्यस्तता। पर, न्यू नॉर्मल में यह स्पष्ट है कि आतंकवाद और बातचीत, व्यापार साथ-साथ नहीं चल सकते।















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