डेली संवाद, चंडीगढ़। Punjab News: पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां (Gurmeet Singh Khuddian) ने बताया कि राज्य के किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) मशीनरी उपलब्ध करवाने के लिए पंजाब सरकार ने प्रदेशभर के किसानों द्वारा 42,476 मशीनों के लिए दी गई कुल 16,837 अर्ज़ियों में से अब तक 15,613 CRM मशीनों को मंज़ूरी प्रदान कर दी है।

500 करोड़ रुपये की कार्य योजना तैयार
CRM योजना के बारे में जानकारी साझा करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान (Bhagwant Mann) के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने, पराली जलाने से पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को कम करने और पराली के उचित एवं प्रभावी प्रबंधन के लिए 500 करोड़ रुपये की कार्य योजना तैयार की है।
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कृषि मंत्री ने बताया कि राज्य के किसानों ने सब्सिडी प्राप्त करने के लिए 42,476 CRM मशीनों के लिए आवेदन किए हैं। इस सूची में सुपर सीडर की मांग सबसे अधिक रही और इसके लिए 14,493 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इसके बाद ज़ीरो टिल ड्रिल के लिए 3,771 आवेदन, आर.एम.बी. प्लाऊ के लिए 4,265 आवेदन, मल्चर के लिए 3,844 आवेदन और रेक के लिए 2,015 आवेदन आए हैं। इन मशीनों की क्रमवार सबसे अधिक मांग रही है।
9,000 मशीनें किसानों द्वारा खरीदी जा चुकी
गुरमीत सिंह खुड्डियां ने कहा कि मंज़ूर की गई 15,613 CRM मशीनों में से लगभग 9,000 मशीनें किसानों द्वारा खरीदी भी जा चुकी हैं। कृषि मंत्री ने किसानों से धान की पराली न जलाने की अपील की ताकि इसके कारण पर्यावरण, वायु गुणवत्ता और मिट्टी की उर्वरक क्षमता पर पड़ने वाले घातक प्रभावों से बचा जा सके। उन्होंने पंजाब के कृषि भविष्य और जनस्वास्थ्य की रक्षा के लिए सरकार द्वारा प्रोत्साहित टिकाऊ पद्धतियों, जिनमें खेत में ही पराली का निपटारा (इन-सीटू) शामिल है, को अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित किया।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. बसंत गर्ग ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार के ठोस प्रयासों के परिणामस्वरूप पिछले वर्ष राज्य में 10,909 पराली जलाने की घटनाएँ दर्ज की गईं, जो वर्ष 2023 की 36,663 घटनाओं की तुलना में 70 प्रतिशत कम हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का ध्यान किसान कल्याण और टिकाऊ कृषि विकास पर है, जिसमें मशीनीकरण के माध्यम से खेती में क्रांति लाकर किसानों पर अतिरिक्त बोझ घटाने और उत्पादकता बढ़ाने का लक्ष्य है।







