डेली संवाद, जालंधर। Navratri 2025: आज से नवरात्रि शुरू हो गई है। आज शारदीय नवरात्र का पहला दिन है। इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन लोग घट स्थापना, पूजा-पाठ करते हैं। इसके साथ ही इसी दिन से इस पावन पर्व की शुरुआत होती है।
यह भी पढ़ें: अमेरिका में अवैध आप्रवासियों के खिलाफ बड़े एक्शन की तैयारी, ट्रंप ने की बड़ी घोषणा
माना जाता है कि इस व्रत (Shardiya Navratri 2025) को रखने से सभी दुखों का अंत होता है। साथ ही जीवन में शुभता आती है। आज से फेस्टिवल सीजन की शुरूआत भी हो गई है। इस दिन गौरी चालीसा का पाठ परम कल्याणकारी माना गया है। आईए गौरी चालीसा का पाठ करते हैं।

।।गौरी चालीसा।।
”चौपाई”
मन मंदिर मेरे आन बसो, आरम्भ करूं गुणगान,
गौरी माँ मातेश्वरी, दो चरणों का ध्यान।
पूजन विधि न जानती, पर श्रद्धा है अपार,
प्रणाम मेरा स्वीकारिये, हे माँ प्राण आधार।
नमो नमो हे गौरी माता, आप हो मेरी भाग्य विधाता,
शरणागत न कभी घबराता, गौरी उमा शंकरी माता।
आपका प्रिय है आदर पाता, जय हो कार्तिकेय गणेश की माता,
महादेव गणपति संग आओ, मेरे सकल क्लेश मिटाओ।
सार्थक हो जाए जग में जीना, सत्कर्मो से कभी हटूं ना,
सकल मनोरथ पूर्ण कीजो, सुख सुविधा वरदान में दीज्यो।
हे माँ भाग्य रेखा जगा दो, मन भावन सुयोग मिला दो,
मन को भाए वो वर चाहूं, ससुराल पक्ष का स्नेहा मैं पायु।
परम आराध्या आप हो मेरी, फ़िर क्यों वर में इतनी देरी,
हमरे काज सम्पूर्ण कीजियो, थोडे़ में बरकत भर दीजियो।
अपनी दया बनाए रखना, भक्ति भाव जगाये रखना,
गौरी माता अनसन रहना, कभी न खोयूं मन का चैना।
देव मुनि सब शीश नवाते, सुख सुविधा को वर मैं पाते,
श्रद्धा भाव जो ले कर आया, बिन मांगे भी सब कुछ पाया।
हर संकट से उसे उबारा, आगे बढ़ के दिया सहारा,
जब भी माँ आप स्नेह दिखलावे, निराश मन में आस जगावे।
शिव भी आपका काहा ना टाले, दया दृष्टि हम पे डाले,
जो जन करता आपका ध्यान, जग में पाए मान सम्मान।
सच्चे मन जो सुमिरन करती, उसके सुहाग की रक्षा करती,
दया दृष्टि जब माँ डाले, भव सागर से पार उतारे।
जपे जो ओम नमः शिवाय, शिव परिवार का स्नेहा वो पाए,
जिसपे आप दया दिखावे, दुष्ट आत्मा नहीं सतावे।
सात गुण की हो दाता आप, हर इक मन की ज्ञाता आप,
काटो हमरे सकल क्लेश, निरोग रहे परिवार हमेशा।
दुख संताप मिटा देना माँ, मेघ दया के बरसा देना माँ,
जबही आप मौज में आय, हठ जय माँ सब विपदाएं।
जिस पे दयाल हो माता आप, उसका बढ़ता पुण्य प्रताप,
फल-फूल मै दुग्ध चढ़ाऊ, श्रद्धा भाव से आपको ध्यायु।
अवगुण दृष्टि दृष्टि दृष्टि मेरे ढक देना माँ, ममता आंचल कर देना मां,
कठिन नहीं कुछ आपको माता, जग ठुकराया दया को पाता।
बिन पाऊ न गुन माँ तेरे, नाम धाम स्वरूप बहू तेरे,
जितने आपके पावन धाम, सब धामो को मां प्राणम।
आपकी दया का है ना पार, तभी को पूजे कुल संसार,
निर्मल मन जो शरण में आता, मुक्ति की वो युक्ति पाता।
संतोष धन्न से दामन भर दो, असम्भव को माँ सम्भव कर दो,
आपकी दया के भारे, सुखी बसे मेरा परिवार।
आपकी महिमा अति निराली, भक्तो के दुःख हरने वाली,
मनोकामना पुरन करती, मन की दुविधा पल मे हरती।
चालीसा जो भी पढें सुनाया, सुयोग वर् वरदान में पाए,
आशा पूर्ण कर देना माँ, सुमंगल साखी वर देना माँ।
गौरी माँ विनती करूँ, आना आपके द्वार,
ऐसी माँ कृपा किजिये, हो जाए उद्धार।
हीं हीं हीं शरण में, दो चरणों का ध्यान,
ऐसी माँ कृपा कीजिये, पाऊँ मान सम्मान।






