डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar Weather Raunfall News Update: पंजाब के कई शहरों में आज सुबह कुछ देर जमकर बारिश हुई। जिससे दशहरा की तैयारी में जुटे दशहरा कमेटी के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। सुबह से काले बादल के बीच बारिश शुरू हो गई।
जालंधर (Jalandhar) में बारिश के कारण शहर के अलग अलग जगहों पर दशहरा ग्राउंड में खड़े किए रावण और उनके परिवार के पुतले गीले हो गए। कई जगह लाइट वाले रावण के पुतले थे, बारिश के कारण लाइट वाले पुतले खराब हो गए।

रावण के पुतले गीले
सुबह से बारिश के कारण शहर में रावण (Ravan) के पुतले गीले हो गए हैं। अब रावण के पुतले को जलाने से पहले सुखाना पड़ेगा। इसी तरह बाजारों में रावण के पुतले बेचने के लिए बनाए गए थे, वो भी गीले हो गए, जिससे कारीगरों का नुकसान हो गया।
अचानक हुई तेज बारिश के कारण कागज और गत्ते से बनाए गए रावण के पुतले पूरी तरह से भीग कर गीले हो गए। जिससे वे अपने फूंकने के काबिल नहीं रह गए हैं। जिससे कई जगहों पर रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले बदलने पड़ेंगे।
दशहरा के बारे में
दशहरा (विजयादशमी व आयुध-पूजा) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था।

एक मान्यता यह भी है कि देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस दशमी को ‘विजयादशमी’ के नाम से जाना जाता है।
शस्त्र-पूजा
इस दिन लोग शस्त्र-पूजा करते हैं और नया कार्य प्रारम्भ करते हैं (जैसे अक्षर लेखन का आरम्भ, नया उद्योग आरम्भ, बीज बोना आदि)। ऐसा विश्वास है कि इस दिन जो कार्य आरम्भ किया जाता है उसमें विजय मिलती है।
प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। इस दिन स्थान-स्थान पर मेले लगते हैं। रामलीला का आयोजन होता है। रावण मेघनाद कुभंकरण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है।

उल्लास तथा विजय का पर्व
दशहरा अथवा विजयदशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है। हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व है।
भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक है, शौर्य की उपासक है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है।






