डेली संवाद, जालंधर। Sharad Purnima Chandni Raat Ka Rahasya: शरद पूर्णिमा की रात खास है? हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। यह रात सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि सेहत और सौभाग्य के लिहाज से भी बेहद खास मानी जाती है। मान्यता है कि इसी रात चंद्रमा से अमृत बरसता है और उसका असर सीधे जीवन पर पड़ता है।
शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) पर खीर बनाकर चांदनी में रखने की परंपरा है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर इस परंपरा का असली राज़ क्या है? धार्मिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जागरण करने वालों को धन-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। यही वजह है कि इस रात खीर बनाकर खुले आसमान में रखने की परंपरा है।

क्यों खास है शरद पूर्णिमा की रात
शास्त्रों के अनुसार, साल की बारह पूर्णिमाओं में शरद पूर्णिमा सबसे प्रभावशाली होती है। कहा जाता है कि इस रात चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और उसकी रोशनी में अमृत तत्व बरसता है। यह चंद्रकिरण सीधे शरीर और मन पर असर डालती है।
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इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है, जिससे उसकी रोशनी में अमृत के गुण आ जाते हैं। इस रात को मां लक्ष्मी भी धरती पर भ्रमण करती हैं, इसलिए इसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है और घर में खीर को चंद्र की रोशनी में रखकर प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है।

शरद पूर्णिमा के खास होने के कारण
- हिंदू मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है।
- माना जाता है कि इस रात चंद्रमा की रोशनी से अमृत की वर्षा होती है, जिससे चंद्रमा की किरणें पवित्र और शक्तिशाली हो जाती हैं।
- इस रात देवी लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं और उन घरों में प्रवेश करती हैं जो स्वच्छ और उजाले से भरे होते हैं।
- इसलिए इस रात को कोजागरी पूर्णिमा कहते हैं (जिसका अर्थ है “कौन जाग रहा है?”)
- एक अन्य मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के समय चंद्रमा और माँ लक्ष्मी का भी जन्म हुआ था।
- पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी रात भगवान कृष्ण ने गोपियों संग वृंदावन में महारास रचाया था, जो प्रेम और भक्ति का प्रतीक है।
क्या है खास परंपरा
- खीर बनाना: शरद पूर्णिमा की रात दूध और चावल की खीर बनाकर उसे खुले आसमान के नीचे रखा जाता है।
- अमृत स्नान: चंद्रमा की किरणों से खीर में अमृत जैसे गुण आने की मान्यता है, जिसे अगले दिन सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
- लक्ष्मी का आशीर्वाद: इस खीर के सेवन से धन-धान्य, सौभाग्य और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है, साथ ही रोग-बीमारियों से भी मुक्ति मिलती है।
- जागृति: इस रात को जागकर लक्ष्मी पूजा करने का विधान है, ताकि माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।

विज्ञान भी मानता है इसका असर
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो शरद ऋतु में वातावरण साफ और प्रदूषण कम होता है, जिससे चंद्रमा की किरणें पूरी ऊर्जा के साथ धरती तक पहुंचती हैं। इन किरणों में यूवी और इंफ्रारेड का संतुलन होता है, जो शरीर को ठंडक देता है और मानसिक तनाव कम करता है। दूध और चावल को खुले में रखने से उसमें हल्की नमी और चांदनी का प्रभाव मिलता है, जिससे वह पचने में आसान और और भी पौष्टिक हो जाता है।
सेहत से जुड़ा रहस्य
आयुर्वेद में भी शरद पूर्णिमा की चांदनी को औषधीय बताया गया है। कहा जाता है कि यह मानसिक शांति देती है, नींद की समस्या कम करती है और पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है। इसलिए शरद पूर्णिमा सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि वह अद्भुत रात है जब चंद्रमा की रोशनी सचमुच अमृत बरसाती है धर्म और विज्ञान दोनों इसे स्वीकारते हैं।






