Chhath Puja 2025: कब से शुरू हो रहा है छठ का पर्व? क्या गर्भवती महिलाएं कर सकती है ये पूजा? जाने छठ पूजा का महत्व

हिंदू धर्म में छठ का पर्व बहुत ही विशेष और खास माना जाता है। इस त्योहार पर सूर्यदेव और छठी मैय्या की पूजा-उपासना की जाती है। छठ पर्व के ये 4 दिन बहुत ही खास माने जाते हैं, जो कि विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है।

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Highlights
  • कल से शुरू होने जा रहा है छठ का पर्व
  • क्या गर्भवती महिलाएं कर सकती हैं छठ पूजा
  • जानें पूजा और व्रत के नियम

डेली संवाद, जालंधर। Chhath Puja 2025 Date and Time: हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ महापर्व ( Chhath Puja) की शुरुआत होती है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है और उत्तर भारत में इसे अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। खासकर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में छठ पर्व बड़े ही श्रद्धा भाव से मनाया जाता हैं।

इस व्रत में 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखने का विधान है, जिसे सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। हिंदू धर्म में छठ (Chhath) का पर्व बहुत ही विशेष और खास माना जाता है। इस त्योहार पर सूर्यदेव और छठी मैय्या की पूजा-उपासना की जाती है।

परिवार और पुत्र की दीर्घायु के लिए व्रत

छठ पर्व के ये 4 दिन बहुत ही खास माने जाते हैं, जो कि विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है। छठ पूजा को प्रतिहार, डाला छठ, छठी और सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। छठ पूजा का व्रत महिलाएं अपने परिवार और पुत्र की दीर्घायु के लिए करती हैं।

इस बार छठ के पर्व की शुरुआत 25 अक्टूबर, शनिवार से होने जा रही है और इसका समापन 28 अक्टूबर, मंगलवार को होगा। छठ के पर्व ये चार दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं जिसमें पहला होता है नहाय-खाय, दूसरा खरना, तीसरा संध्या अर्घ्य और चौथा ऊषा अर्घ्य-पारण। चलिए अब छठ के पर्व की सभी तिथियों के बारे में जानते हैं।

Chhath-Pooja
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छठ पर्व 2025 के बारे में

पहला दिन- नहाय खाय, जो कि 25 अक्टूबर 2025 को है।

दूसरा दिन- खरना, जो कि 26 अक्टूबर को है।

तीसरा दिन- संध्या अर्घ्य, जो कि 27 अक्टूबर को किया जाएगा।

चौथा दिन- ऊषा अर्घ्य, जो कि 28 अक्टूबर को किया जाएगा।

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छठ पर्व के चार दिनों का महत्व

नहाय खाय (Nahay Khay)- छठ पूजा का पहला दिन होता है नहाय खाय। इस दिन व्रती किसी पवित्र नदी में स्नान करके, इस पवित्र व्रत की शुरुआत करती हैं। स्नान के बाद भोजन ग्रहण किया जाता है, जिससे व्रत की शुरुआत हो जाती है। इस दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 28 मिनट पर होगा और सूर्यास्त शाम 5 बजकर 42 मिनट पर होगा।

खरना (Kharna)- छठ पूजा का दूसरा दिन होता है खरना। खरना को लोहंडा भी कहा जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। शाम के समय व्रती मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर गुड़ की खीर (रसिया) और घी से बनी रोटी तैयार करती हैं। सूर्य देव की विधिवत पूजा के बाद यही प्रसाद सबसे पहले ग्रहण किया जाता है। इस प्रसाद को खाने के बाद व्रती अगले दिन सूर्य को अर्घ्य देने तक अन्न और जल का पूर्ण रूप से त्याग करती हैं।

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संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya)- छठ पूजा का तीसरा और महत्वपूर्ण दिन होता है संध्या अर्घ्य। इस दिन व्रती दिनभर बिना जल पिए निर्जला व्रत रखती हैं। फिर, शाम को व्रती नदी में डूबकी लगाते हुए ढलते हुए सूरज को अर्घ्य देती हैं. इस दिन सूर्य अस्त शाम 5 बजकर 40 मिनट पर होगा।

ऊषा अर्घ्य (Usha Arghya)- इस पूजा का चौथा और आखिरी दिन होता है ऊषा अर्घ्य। इस दिन सभी व्रती और भक्त नदी में डूबकी लगाते हुए उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर होगा। अर्घ्य देने के बाद, 36 घंटे का व्रत प्रसाद और जल ग्रहण करके खोला जाता है, जिसे पारण कहा जाता है।

क्या गर्भवती महिलाओं को छठ व्रत रखना चाहिए?

गर्भावस्था में छठ व्रत रखने को लेकर बात की जाए, तो यह सही नहीं माना जाता है। गर्भवती महिलाओं के लिए लंबा निर्जला उपवास रखना उचित नहीं होता, क्योंकि इससे शरीर में पानी और पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, जो मां और बच्चे दोनों की सेहत पर बुरा असर डालती है।

लेकिन अगर फिर भी कोई व्रत का पालन करना चाहिता है, तो डॉक्टर की सलाह के बाद ही हल्के फलाहार के साथ करें। इसमें नारियल पानी, दूध, फल, या साबूदाना जैसे तरल और हल्के आहार शामिल किए जा सकते हैं। पूजा के समय लंबे समय तक पानी में खड़े रहने की बजाय थोड़ी देर के लिए संध्या अर्घ्य और प्रातः अर्घ्य दें।

परिवार के सदस्य पूजा की तैयारी, प्रसाद बनाना और अन्य कार्यों में मदद करें। यदि यह भी शारीरिक रूप से संभव न हो, तो महिलाएं छठ मइया की कथा और भजन सुन सकती हैं तथा मन ही मन प्रार्थना कर सकती हैं“हे छठ मइया, मुझे और मेरे बच्चे को स्वस्थ रखें।”

व्रत के दौरान प्रेग्नेंट महिलाएं क्या खा सकती?

गर्भावस्था में शरीर को पर्याप्त पोषण और पानी की आवश्यकता होती है, इसलिए पूर्ण निर्जला व्रत रखना हानिकारक हो सकता है। अगर कोई महिला छठ व्रत करने पर दृढ़ है, तो उसे फलाहार व्रत रखना चाहिए। दिनभर में हल्के फल जैसे केला, सेब, या मौसमी फल खा सकती हैं।

इसके साथ नींबू पानी, नारियल पानी या दूध जैसे पेय पदार्थ भी लेते रहना चाहिए, जिससे शरीर में ऊर्जा बनी रहे। गर्भावस्था के दौरान छठ पूजा करने की इच्छा रखना श्रद्धा का प्रतीक है, लेकिन स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी उतना ही आवश्यक है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को छठ व्रत न रखने की सलाह दी जाती है।

छठ पूजा महत्व (Chhath Puja Significance)

छठ पूजा सूर्य देव और छठी मईया की आराधना का पर्व है, जिसे शुद्धता, आस्था और अनुशासन का प्रतीक माना जाता है। इस दिन व्रती पूरी निष्ठा और संयम के साथ सूर्य देव को अर्घ्य देकर जीवन में सुख, समृद्धि और संतानों के कल्याण की कामना करते हैं। यह पर्व प्रकृति, जल और सूर्य की उपासना से जुड़ा है, जो मानव जीवन में ऊर्जा और सकारात्मकता के महत्व को दर्शाता है।















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