डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar Eastwood Group News: जालंधर के ईस्टवुड ग्रुप (Eastwood Group) के मालिक त्रिवेणी मल्होत्रा (Triveni Malhotra) पर कैंट रोड बाईपास पर लगभग 100 पेड़ कटवा डाले। इसकी शिकाय़त मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) और डीसी डा. हिमांशु अग्रवाल (Himanshu Aggarwal IAS) से की गई थी।
हैरानी की बात तो यह है कि जंगलात महकमे (Forest Department) की परमीशन के बिना सालों पुराने पेड़ क्यों काटे गए? शिकायतकर्ताओं ने समझौता कर लिया, कहा गया कि नए पौधे लगाए जाएंगे, लेकिन अभी तक पौधा नहीं लगाया गया।
100 हरे भरे पेड़ काटे
आपको बता दें कि जालंधर (Jalandhar) कैंट बायपास रोड पर लगे 100 से ज्यादा हरे-भरे पेड़ों को अवैध रूप से काट दिया गया। इसकी शिकायत ईस्टवुड ग्रुप के त्रिवेणी मल्होत्रा के खिलाफ पर्यावरण प्रेमियों ने सीएम भगवंत मान, डीसी डॉ. हिमांशु अग्रवाल, डीआईजी और पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को कर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
शिकायत में लिखा गया है कि यह पेड़ मैकडोनल्ड से जमशेर रोड, जिसे जालंधर कैंट बाईपास रोड भी कहा जाता है, हवेली ऑर्गेनिक फार्म के सामने, सड़क किनारे लगे थे। इन्हें लोक निर्माण विभाग के बागवानी विभाग और खडूर साहिब के बाबा सेवा सिंह द्वारा पौधारोपण अभियान के दौरान लगाया गया था। इनमें से कई पेड़ तो 20 से 30 साल पुराने थे।
हाउसिंग प्रोजैक्ट के लिए पेड़ों की बलि
आरोप है कि ईस्टवुड ग्रुप ने इसी रोड पर एक प्लॉट लिया है। प्लॉट के सामने आते इन नीम, मोरिंगा, अर्जुन, टाहली के पेड़ों को उन्होंने रात हटवा दिया। कोट कलां, सोफी पिंड और कुक्कड़ पिंड के ग्रामीणों का कहना है कि मुख्य तने और जड़ों को उखाड़कर कहीं और ले जाया गया है। सभी शाखाओं, पत्तियों और बचे हुए अवशेषों को मौके पर ही जला दिया गया।
शिकायतकर्ताओं के साथ ये हुआ था समझौता
शिकायतकर्ताओं के बाद त्रिवेणी मल्होत्रा ने शहर के कुछ नामचीन लोगों को बीच में डालकर समझौते का प्रयास किया। जिसमें वे सफल हुए। समझौते के अनुसार कटाई स्थल पर और आसपास के 5 किलोमीटर के दायरे में 1000 पूर्ण विकसित पेड़ लगाए जाएंगे।
बावजूद इसके अभी तक वहां पौधा रोपण नहीं हो रहा है। जिसेस कई गावों के लोग नाराज हैं। गांवों के लोगों ने मांग की है कि ईस्टवुड विलेज के त्रिवेणी मल्होत्रा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। क्योंकि उन्होंने कई साल पुराने पेड़ को काट डाला।
हरे-भरे पेड़ काटने पर सजा
पंजाब में हरे-भरे पेड़ काटने के लिए ‘पंजाब वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 2025’ के तहत सख्त नियम बनाए गए हैं। शहरी इलाकों में बिना अनुमति किसी भी पेड़ को काटना, हटाना या नुकसान पहुँचाना गैरकानूनी है।
पेड़ काटने के नियम
शहरी क्षेत्र में कोई भी पेड़ काटने के लिए वन विभाग के अफसरों से लिखित अनुमति लेना अनिवार्य है। परमीशन के बाद अगर एक पेड़ काटते हैं तो उसके बदले दो नए पेड़ लगाना अनिवार्य है। यदि ज़मीन उपलब्ध न हो, वन विभाग की अनुमति से यह कहीं और किया जा सकता है या सरकारी खजाने में पैसे जमा किए जा सकते हैं।

वन विभाग का जुर्माना
बिना अनुमति पेड़ काटने पर प्रति पेड़ 10,000 रुपए तक का जुर्माना और पर्यावरणीय मुआवजा देना पड़ सकता है। नियमों का उल्लंघन जारी रखने पर यह जुर्माना 50,000 रुपए तक बढ़ सकता है।
वन विभाग से कैसे मिलती है परमीशन
वन अधिकारी को एक लिखित आवेदन दें, जिसमें पेड़ काटने का कारण बताया गया हो। आवेदन के साथ स्वामित्व का प्रमाण और पेड़ की तस्वीर भी संलग्न करें।
वन विभाग आपके दावे का निरीक्षण करेगा। यदि कारण मान्य पाए जाते हैं, तो पेड़ काटने की अनुमति दी जाएगी। ऑनलाइन आवेदन के लिए पंजाब वन विभाग की वेबसाइट पर ‘i-PERMIT’ सुविधा का उपयोग किया जा सकता है।








