Punjab News: CBSE ने एग्जाम पैटर्न में किया बड़ा बदलाव, अब रटना नहीं सीखना होगा जरूरी

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) अब पढ़ाई और परीक्षा के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत अब बच्चों की “सिर्फ पास या फेल” होने की पुरानी परंपरा खत्म होगी। जल्द ही CBSE एक नया ऑनलाइन प्लेटफॉर्म शुरू करेगा, जो विद्यार्थियों की विषयों में समझ और वास्तविक जीवन में उनके उपयोग की क्षमता को परखने में मदद करेगा।

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Highlights
  • CBSE ने पूरा एग्जाम पैटर्न बदला
  • “सिर्फ पास या फेल” होने की परंपरा खत्म
  • AI जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा

डेली संवाद, लुधियाना। Punjab News: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) अब पढ़ाई और परीक्षा के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। अब स्कूलों में सिर्फ रटकर पास होने का तरीका खत्म होने वाला है। अब पास होने के लिए विद्यार्थियों के शार्टकट नहीं चलेगा।

“सिर्फ पास या फेल” होने की परंपरा खत्म

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत अब बच्चों की “सिर्फ पास या फेल” होने की पुरानी परंपरा खत्म होगी। जल्द ही CBSE एक नया ऑनलाइन प्लेटफॉर्म शुरू करेगा, जो विद्यार्थियों की विषयों में समझ और वास्तविक जीवन में उनके उपयोग की क्षमता को परखने में मदद करेगा। इस पहल का उद्देश्य है कि विद्यार्थियों को 21वीं सदी के कौशल के लिए बेहतर तरीके से तैयार किया जा सके।

नई योजना के तहत अब परीक्षा को सिर्फ अंक प्राप्त करने का साधन नहीं माना जाएगा, बल्कि यह सीखने की प्रक्रिया का हिस्सा होगी। NEP 2020 में साफ कहा गया है कि मूल्यांकन का तरीका समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए होना चाहिए। इसी दिशा में कक्षा 3, 5 और 8 के विद्यार्थियों के लिए SAFAL (Structured Assessment for Analyzing Learning) नामक प्रणाली लागू की जाएगी, जो बच्चों की सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता को आंकने में मदद करेगी।

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परीक्षा प्रणाली को लचीला बनाएगा

CBSE के अनुसार, यह कदम न केवल परीक्षा प्रणाली को लचीला बनाएगा, बल्कि शिक्षण गुणवत्ता में भी सुधार लाएगा। CBSE का डिजिटल प्लेटफॉर्म शिक्षकों, विद्यार्थियों और अभिभावकों को प्रदर्शन सुधारने के लिए विस्तृत फीडबैक देगा। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे विद्यार्थियों की कमज़ोरियों की पहचान कर उन्हें सुधार के उपाय सुझाए जा सकेंगे।

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सरकारी और निजी स्कूलों से यह भी कहा गया है कि वे बच्चों में आलोचनात्मक सोच और समस्या समाधान कौशल (Problem Solving Skills) पर ज़्यादा ध्यान दें। इसके तहत 6वीं से 10वीं तक के लिए आधारभूत कौशल-आधारित मूल्यांकन की शुरुआत की जाएगी, जिसमें भाषा, गणित और अंग्रेज़ी पर विशेष ध्यान रहेगा।

शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि यह बदलाव भारत की पारंपरिक परीक्षा प्रणाली को नई दिशा देगा और बच्चों को सिर्फ अंकों की दौड़ से बाहर निकालकर जीवन के व्यावहारिक कौशलों की ओर ले जाएगा।















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