Kashi Ganga Mahotsav 2025: काशी गंगा महोत्सव में भजनों से भक्ति रस की सरिता बहाएंगे हंसराज रघुवंशी

यूपी की योगी सरकार के प्रयास से देव दीपावली से पहले काशी के घाटों पर संगीत, नृत्य और लोक कलाओं की सुनाई देगी गूंज। नामो घाट व राजघाट पर देशभर के नामचीन कलाकार अपनी प्रस्तुति देकर काशी की सांस्कृतिक परंपरा को बनाएंगे भव्य व समृद्ध

Daily Samvad
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Kashi Ganga Mahotsav
Highlights
  • लोक गायन से उत्तर भारत की लोक परंपरा होगी जीवंत
  • लोक परंपराओं को जीवंत करेंगी पद्मश्री मालिनी अवस्थी
  • पद्मश्री गीता चन्द्रन देंगी भरतनाट्यम की प्रस्तुति

डेली संवाद, वाराणसी। Kashi Ganga Mahotsav 2025: देव दीपावली से पहले काशी के घाटों पर संगीत, नृत्य व लोक कलाओं की संगीतमय सरिता बहेगी। माँ जान्हवी के पावन तट पर इस वर्ष गंगा महोत्सव का आयोजन 1 से 4 नवम्बर तक किया जाएगा। योगी (Yogi Adityanath) सरकार के प्रयास से राजघाट पर देशभर के नामचीन कलाकार अपनी प्रस्तुति देकर काशी की इस सांस्कृतिक परंपरा को और भव्य बनाएंगे, जिनमें शास्त्रीय, भक्ति तथा लोक संगीत का अद्भुत संगम दिखाई देगा।

इस महोत्सव में गायक हंसराज रघुवंशी अपने भजनों से श्रोताओं को भक्ति रस से ओत-प्रोत करेंगे। वहीं, पद्मश्री मालिनी अवस्थी अपने लोक गायन से उत्तर भारत की लोक परंपराओं को जीवंत करेंगी। पद्मश्री गीता चन्द्रन का भरतनाट्यम नृत्य भी कार्यक्रम का विशेष आकर्षण रहेगा। वहीं, नमो घाट पर काशी सांसद सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रतियोगिता के प्रमुख कलाकार भी अपनी प्रस्तुति देंगे।

Ganga Mahotsav
Ganga Mahotsav

कई मायनों में विशिष्ट होगा आयोजन

संयुक्त निदेशक पर्यटन दिनेश कुमार ने बताया कि चार दिवसीय इस उत्सव में गीत, संगीत, नृत्य और वादन की गंगा बहेगी। गंगा महोत्सव के मंच पर लोक और शास्त्रीय संगीत की स्वर लहरियां गूंजेंगी तो साथ ही पारंपरिक नृत्य शैलियों की झलक भी देखने को मिलेगी। महोत्सव में विशेष रूप से गायक हंसराज रघुवंशी आयोजन के अंतिम दिन अपने भजनों से श्रद्धा और भक्ति का भाव जगाएंगे।

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वहीं, पद्मश्री मालिनी अवस्थी 3 अक्टूबर को लोक गायन से काशी की धरती पर उत्तर भारत की लोक परंपराओं को सजीव करेंगी। इसके अतिरिक्त, 2 अक्टूबर को पद्मश्री गीता चंद्रन भरतनाट्यम की प्रस्तुति देंगी। गंगा महोत्सव के अंतर्गत होने वाली प्रस्तुतियां शाम 4 बजे से शुरू होंगी।

hansraj raghuwanshi
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प्रथम दिन, 1 नवंबर

  • पं० माता प्रसाद मिश्र एवं पं० रविशंकर मिश्र–कथक युगल नृत्य
  • कविता मोहन्ती–ओडिसी नृत्य
  • विदुषी श्वेता दुबे–गायन
  • विदुषी कमला शंकर–स्लाइड गिटार
  • डॉ० रिपि मिश्र–शास्त्रीय गायन
  • डॉ० दिवाकर कश्यप एवं डॉ० प्रभाकर कश्यप–उपशास्त्रीय गायन
  • रवि शर्मा एवं समूह–ब्रज लोक नृत्य एवं संगीत
  • पं० नवल किशोर मल्लिक–शास्त्रीय गायन

दूसरा दिन, 2 नवंबर

  • शिवानी शुक्ला–गायन
  • प्रवीण उद्भव–तालयात्रा
  • राजकुमार तिवारी उर्फ राजन तिवारी–गायन
  • डॉ० अर्चना आदित्य महास्कर–गायन
  • सवीर, साकार कलाकृति–पारम्परिक लोक नृत्य
  • वन्दना मिश्रा–गायन
  • प्रो० पं० साहित्य नाहर एवं डॉ० पं० संतोष नाहर–सितार एवं वायलिन जुगलबन्दी
  • ओम प्रकाश–भजन गायन
  • पद्मश्री गीता चन्द्रन–भरतनाट्यम
varanasi
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तीसरा दिन 3 नवंबर

  • मीना मिश्रा–गायन
  • विशाल कृष्ण–कथक नृत्य
  • दिव्या शर्मा–हिन्दुस्तानी खयाल गायकी
  • राकेश कुमार–जनजातीय लोक नृत्य
  • इन्दु गुप्ता–लोक गायन
  • चेतन जोशी–बांसुरी वादन
  • विदुषी कविता द्विवेदी–ओडिसी नृत्य
  • पद्मश्री मालिनी अवस्थी–लोक गायन

चौथा दिन, 4 नवंबर

  • डॉ० शुभांकर डे–गायन
  • डॉ० प्रेम किशोर मिश्र एवं साथी-सितार, सरोद जुगलबन्दी व गायन
  • राहुल रोहित मिश्र–शास्त्रीय गायन
  • रूपन सरकार समन्ता–शास्त्रीय गायन
  • वासुमती बद्रीनाथन–शास्त्रीय गायन
  • शिवानी मिश्रा–कथक समूह नृत्य
  • मानसी रघुवंशी–गायन
  • हंसराज रघुवंशी–भजन गायन














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