Devuthani Ekadashi: देवउठनी एकादशी कब है? 1 या 2 नवंबर- कब रखें व्रत? पंचांग से जानें सही तिथि

वैदेही पंचांग और विश्वविद्यालय पंचांग की गणना के अनुसार, देवउठनी एकादशी (Ekadashi) तिथि का आरंभ 1 नवंबर को सुबह में 4 बजकर 13 मिनट पर होगा और मध्य रात में 2 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगी।

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Ekadashi
Highlights
  • देवउठनी एकादशी का व्रत 1 नवंबर को
  • 2 तारीख को सुबह 7 बजकर 31 मिनट पर खत्म
  • भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है

डेली संवाद, जालंधर। Devuthani Ekadashi 1st or 2nd November 2025: कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी का व्रत किया जाता है। यह साल का बड़ी एकादशी में से एक है। इसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। जैसे देव प्रबोधिनी और देवोत्थान एकादशी के नाम से भी इसे जाना जाता है।

इस दिन चार महीने बाद भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं। इस दिन से ही शादी विवाह और बाकी सभी शुभ कार्य आरंभ हो जाते हैं। हालांकि, इस बार देवउठनी एकादशी की तारीख को लेकर थोड़ा कंफ्यूजन बना हुआ है। द

रअसल, अलग-अलग पंचांग में तिथि के मतभेद के कारण 1 या 2 नवंबर की तारीख को लेकर कंफ्यूजन है की किस दिन देवउठनी एकादशी का व्रत करना शुभ रहेगा। आइए जानते हैं कब है देवउठनी एकादशी का व्रत रखना शुभ रहेगा।

देवउठनी एकादशी 2025 कब है ?

ऋषिकेश पंचांग, वैदेही पंचांग और विश्वविद्यालय पंचांग की गणना के अनुसार, देवउठनी एकादशी (Ekadashi) तिथि का आरंभ 1 नवंबर को सुबह में 4 बजकर 13 मिनट पर होगा और मध्य रात में 2 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में देवउठनी एकादशी का व्रत 1 नवंबर को ही रखना शास्त्र सम्मत है।

वहीं, दूसरी तरफ पंचांग दिवाकर के अनुसार, सुबह में 9 बजकर 12 मिनट पर एकादशी तिथि लगेगी और 2 तारीख को सुबह 7 बजकर 31 मिनट पर होगी। 2 तारीख को सुबह में ही एकादशी तिथि समाप्त हो जा रही है। ऐसे में इस पंचांग की गणना के आधार पर भी 1 नवंबर को ही देवउठनी एकादशी का व्रत किया जाएगा।

Tulsi Puja
Tulsi Puja

माता तुलसी की पूजा

देवउठनी एकादशी का दिन भगवान विष्णु के साथ साथ माता तुलसी की पूजा की जाती है। इस व्रत को करने से जीवन की सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन 4 माह की योग निद्रा से जागते हैं। इस दिन से फिर से भगवान विष्णु की सृष्टि के संचालन को संभालते हैं। इस दिन घर में तुलसी विवाह भी किया जाता है।

देवउठनी एकादशी का महत्व

पौराणिक कथा के अनुसार, देवउठनी एकादशी पर शंखासुर का वध किया था। यह युद्ध बहुत ही लंबा चला था। शंखासुर का वध करने के बाद भगवान विष्णु क्षीर सागर में जाकर सो गए थे।

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इसके बाद वह कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का उठे थे। इस दिन व्रत करने और पूरे विधि विधान के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

देवउठनी एकादशी पूजा विधि

  • देवउठनी एकादशी को सुबह स्नान करके सूर्यदेव को अर्घ्य देकर संकल्प लें।
  • इसके बाद मंदिर की अच्छे से साफ सफाई करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करनी है।
  • तुलसी दल, पीले पुष्प और पंचामृत डालकर भगवान विष्णु को स्नान कराएं।
  • इसके बाद भगवान विष्णु के मंत्र ओम नमो भगवते वायुदेवाय नम: का जप करें।
  • रात में भगवान की आरती करके दीपदान करें और भगवान को निद्रा से जगाएं।
  • अगले दिन व्रत का पारण करें।














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