डेली संवाद, चंडीगढ़। Punjab Ex DIG Harcharan Singh Bhullar Remand Punjab Vigilance CBI: पंजाब पुलिस के पूर्व DIG हरचरण सिंह भुल्लर को लेकर केंद्रीय एजैंसी सीबीआई और पंजाब की विजीलैंस ब्यूरो आमने-सामने है। भुल्लर के केस में 12 बड़े अफसरों के नाम शामिल होने के बाद पंजाब और केंद्र सरकार के बीच लड़ाई शुरू हो गई है।
हालांकि इस दौरान पंजाब (Punjab) के पूर्व डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर (Harcharan Singh Bhullar) को आखिरकार CBI ने रिमांड पर ले लिया है। इसके पीछे की कहानी काफी रोचक है। जिसे जानने की रुचि पंजाब सरकार के लगभग सभी अधिकारियों (भले वह सिविल के हों या पुलिस के) में बनी हुई है। हरचरण सिंह भुल्लर 14 दिन तक बुड़ैल जेल के भीतर न्यायिक हिरासत में रहे।

CBI की हिरासत
न्यायिक हिरासत समाप्त होने पर CBI की अदालत में भुल्लर को पेश किया गया और CBI ने उनका रिमांड तक नहीं मांगा। तभी उन्हें दोबारा न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। चंद घंटों बाद ही CB। ने रिमांड के लिए एप्लिकेशन अदालत में लगाई और शनिवार 1 नवंबर को भुल्लर CBI की हिरासत में ले लिया गया।
आपको बता दें कि पंजाब विजिलेंस की तरफ से 29 अक्टूबर को पूर्व DIG हरचरण सिंह भुल्लर पर आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज कर लिया, जबकि दो मामले पहले CBI दर्ज कर चुकी थी। पंजाब विजिलेंस ने इसे इतने चुपके से किया कि FIR तक का पता CBI तक को नहीं लगा।

बुड़ैल जेल पूछताछ के लिए भी पहुंच गए
अदालत से इजाजत लेकर विजिलेंस के अधिकारी बुड़ैल जेल पूछताछ के लिए भी पहुंच गए। यही नहीं, भुल्लर को हिरासत में लेने के लिए अदालत में अर्जी भी लगा दी। तभी इसकी भनक CBI को लगी और अधिकारियों ने चंडीगढ़ स्पेशल कोर्ट पहुंचकर भुल्लर का रिमांड मांग लिया।
सेंटर और स्टेट एजेंसियां अब आमने-सामने
पूर्व DIG भुल्लर को लेकर अब यह चर्चा होने लगी है कि इस मामले में केंद्र सरकार की जांच एजेंसी CBI और पंजाब विजिलेंस आमने-सामने हो गई हैं। कारण साफ है कि CBI की रडार पर कई IPS और IAS अधिकारी हैं।
दलाल कृष्नु के पास से मिली डायरी और मोबाइल के डेटा से कई अफसरों के उसके साथ लिंक सामने आए हैं। चार IAS और आठ IPS अधिकारियों के नाम सामने आए हैं।

कोर्ट ने सीबीआई से मांगा जवाब
विजिलेंस ने मोहाली अदालत में बताया कि एचएस भुल्लर जांच में शामिल हुए थे, लेकिन उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया। उन्हें विजिलेंस के केस में 31 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना जरूरी है, इसलिए वारंट तुरंत जारी किए जाएं।
CBI ने दलील दी कि आरोपी पहले से CBI कोर्ट के आदेश से न्यायिक हिरासत में था। बिना सक्षम अदालत की अनुमति के विजिलेंस द्वारा की गई गिरफ्तारी अवैध है। सीबीआई ने विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए अदालत से समय मांगा है।

पुलिस हिरासत में नहीं
अदालत ने आदेश में कहा कि आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में है, पुलिस हिरासत में नहीं। अदालत ने यह भी माना कि गिरफ्तारी को लेकर तथ्य स्पष्ट नहीं हैं और इस स्थिति में CBI से विस्तृत जवाब मांगना उचित रहेगा।
अदालत ने माना कि आरोपी के कानूनी अधिकार सुरक्षित हैं। सीबीआई को अपना जवाब 3 नवंबर तक दाखिल करने का निर्देश दिया गया। वहीं, इस केस में कई बड़े अफसरों की जान अटकी हुई है।






