डेली संवाद, वॉशिंगटन डीसी। Shutdown Crisis: दुनिया के सबसे ताकतवर और अमीर कहे जाने वाले देश अमेरिका (America) में इस वक्त हालात चिंताजनक हैं। पिछले 35 दिनों से चल रहा सरकारी शटडाउन अमेरिका के लिए अभूतपूर्व संकट बन गया है। सरकारी खजाने में पैसे की कमी के चलते लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं, फूड बैंकों के सामने भोजन के लिए लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं, और छोटे बच्चों की पढ़ाई तक ठप हो गई है। यह अमेरिका के इतिहास का दूसरा सबसे लंबा शटडाउन है, जिसने आम लोगों की जिंदगी को बुरी तरह प्रभावित किया है।
अमेरिका (America) में 1 अक्टूबर से शुरू हुए सरकारी शटडाउन (Govt Shutdown) का आज 36वां दिन है। यह अमेरिका के इतिहास का सबसे लंबा शटडाउन है। इससे पहले राष्ट्रपति ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान 2018 में 35 दिनों तक सरकारी कामकाज ठप रहा था। शटडाउन की वजह से 42 मिलियन (4.2 करोड़) अमेरिकियों की फूड स्टैंप (SNAP) सहायता रुक गई है। अमेरिका के एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट (USDA) के पास इस कार्यक्रम के लिए सिर्फ 5 अरब डॉलर का रिजर्व फंड है, जबकि नवंबर में फूड स्टैंप जारी रखने के लिए 9.2 अरब डॉलर की जरूरत होगी।

6.7 लाख कर्मचारी छुट्टी पर भेजे गए
वॉशिंगटन स्थित बाइपार्टिसन पॉलिसी सेंटर के मुताबिक अब तक 6.7 लाख सरकारी कर्मचारी छुट्टी पर भेजे जा चुके हैं, जबकि 7.3 लाख कर्मचारी बिना सैलरी के काम कर रहे हैं। इस तरह लगभग 14 लाख लोग कर्ज लेकर घर चला रहे हैं। ट्रम्प हेल्थ केयर प्रोग्राम की सब्सिडी बढ़ाने को तैयार नहीं हैं, इस वजह से अमेरिकी संसद के ऊपरी सदन सीनेट में फंडिंग बिल पास नहीं हो पा रहा है।
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इस बिल पर अब तक 14 बार वोटिंग हो चुकी है, लेकिन हर बार बहुमत के लिए जरूरी 60 वोट नहीं मिल पाए। फूड सप्लाई प्रोग्राम रुकने के बाद न्यूयॉर्क, कैलिफोर्निया और मैसाचुसेट्स समेत 25 राज्यों ने इस फैसले के खिलाफ ट्रम्प प्रशासन पर मुकदमा दायर किया है। इन राज्यों का कहना है कि लाखों लोगों की फूड सप्लाई रोकना गैरकानूनी है।

हर करोड़ों का नुकसान
वहीं, शटडाउन से अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा है। कांग्रेसनल बजट ऑफिस (CBO) के मुताबिक अब तक 11 अरब डॉलर (करीब ₹1 लाख करोड़) का नुकसान हो चुका है। अगर शटडाउन जल्द खत्म नहीं हुआ तो देश की GDP में चौथी तिमाही में 1% से 2% की गिरावट आ सकती है।
CBO के मुताबिक, जबरदस्ती छुट्टी पर भेजे गए कर्मचारियों (फर्लो कर्मचारी) की करीब 400 मिलियन डॉलर (₹3,300 करोड़) प्रतिदिन सैलरी का नुकसान हो रहा है। CBO के डायरेक्टर फिलिप स्वैगल ने कहा कि शटडाउन के कारण सरकारी खर्च में देरी हो रही है और इसका अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ा है। यह असर कुछ हद तक खत्म हो जाएगा, लेकिन पूरी तरह नहीं।
अमेरिका में सरकारी कामकाज ठप पड़ने (शटडाउन) के चलते हवाई यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है। देशभर के कई हवाई अड्डों पर उड़ानें देर से चल रही हैं या रद्द की जा रही हैं। परिवहन विभाग ने चेतावनी दी है कि 11,000 एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को वेतन नहीं मिला है और अगर यह स्थिति जारी रही तो हवाई यातायात पर गंभीर असर पड़ेगा।

16,700 से ज्यादा उड़ानें देरी से चलीं
वहीं, फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) के मुताबिक, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (ATC) भारी तनाव और थकान से जूझ रहे हैं, जिसके कारण बड़ी संख्या में कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं। FAA की रिपोर्ट के मुताबिक 31 अक्टूबर से 2 नवंबर के बीच अमेरिका में 16,700 से ज्यादा उड़ानें देरी से चलीं और 2,282 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं।
FAA ने बताया कि उसके प्रमुख 30 एयरपोर्ट्स में से आधे में स्टाफ की भारी कमी है। न्यूयॉर्क क्षेत्र के हवाई अड्डों में तो 80% तक कर्मचारी मौजूद नहीं हैं। एयर ट्रैफिक कंट्रोलर इमरजेंसी सर्विस के तहत आते हैं। इसलिए वे काम पर तो आ रहे हैं, लेकिन 1 अक्टूबर से उन्हें तनख्वाह नहीं मिली है। परिवहन मंत्री सीन डफी ने कहा कि हम सिस्टम को सुरक्षित रखने के लिए ज्यादा मेहनत कर रहे हैं। इसमें उड़ानों की देरी और रद्द होना शामिल है, लेकिन मैं एयर ट्रैफिक कंट्रोलरों को नहीं निकालूंगा, क्योंकि वे अपने परिवार को खिलाने के लिए दूसरी नौकरियां कर रहे हैं।

हेल्थ केयर प्रोग्राम को लेकर सहमति नहीं
अमेरिका का फिस्कल ईयर यानी खर्च का साल 1 अक्टूबर से शुरू होता है। यह एक तरह से सरकार का आर्थिक साल होता है, जिसमें वह अपना पैसा खर्च करने और बजट बनाने की योजना बनाती है। इस दौरान सरकार तय करती है कि कहां पैसा लगाना है, जैसे सेना, स्वास्थ्य या शिक्षा में। अगर इस तारीख तक नया बजट पास नहीं होता, तो सरकारी कामकाज बंद हो जाता है। इसे शटडाउन कहते हैं।
अमेरिका के दोनों प्रमुख दल डेमोक्रेट और रिपब्लिकन में ओबामा हेल्थ केयर सब्सिडी प्रोग्राम को लेकर ठनी हुई है। डेमोक्रेट्स चाहते हैं कि हेल्थ केयर (स्वास्थ्य बीमा) की सब्सिडी बढ़ाई जाए। रिपब्लिकन को डर है कि अगर सब्सिडी बढ़ाई गई तो सरकार को खर्च करने के लिए और पैसे की जरूरत पड़ेगी, जिससे बाकी सरकारी काम प्रभावित होंगे।






