डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar Smart City Scam LED Light and Smart Road News: जालंधर नगर निगम के कुछ इंजीनियर, स्मार्ट सिटी में तैनात रहे कुछ अफसर और निगम से रिटायर्ड हो चुके कुछ अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उन्हें कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। ये गिरफ्तारी विजीलैंस ब्यूरो करने वाली है। क्योंकि 900 करोड़ रुपए के स्मार्ट सिटी घोटाले में विजीलैं को बड़े अहम सबूत मिले हैं।
जालंधर (Jalandhar) स्मार्ट सिटी घोटाले में विजीलैंस ब्यूरो की जांच लगभग पूरी हो चुकी है। बताया जा रहा है कि 900 करोड़ रुपए के स्मार्ट सिटी प्रोजैक्ट में बिस्त दोआब नगर सौंदर्यीकरण प्रोजैक्ट, पार्कों का सौंदर्यीकरण, स्मार्ट रोड और एलईडी लाइट्स में जमकर घोटाला हुआ है। इसमें कई मौजूदा इंजीनियर और पूर्व इंजीनियर के नाम शामिल हैं।

विजीलैंस ने जुटाया पूरा डेटा
स्टेट विजिलेंस ब्यूरो की जालंधर यूनिट ने स्मार्ट सिटी प्रोजैक्ट से जुड़े कई पूर्व अधिकारियों, ठेकेदारों और प्रोजेक्ट से जुड़े कर्मियों के बयान दर्ज किए हैं। बताया जा रहा है कि विजिलेंस ने अब तक उन सभी अधिकारियों का पूरा डेटा जुटा लिया है जिन्होंने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्टों को तैयार किया, टैंडर पास किए, काम करवाए और भुगतान की मंजूरी दी।
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सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों में इन अफसरों को जवाबदेह बनाकर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। कुछ मामलों में सरकारी पैंशन तक रोके जाने की संभावना जताई जा रही है। विजिलेंस ब्यूरो ने उन सभी प्रोजेक्टों की जांच को प्राथमिकता दी है जिन पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप लगे हैं।

इन प्रोजैक्ट्स में घोटाला
सूत्रों के मुताबिक स्मार्ट सिटी प्रोजैक्ट के 900 करोड़ रुपए में एलईडी स्ट्रीट लाइट प्रोजेक्ट, बिस्त दोआब नहर सौंदर्यीकरण प्रोजेक्ट और स्मार्ट रोड प्रोजेक्ट प्रमुख हैं। इन योजनाओं पर करोड़ों रुपए खर्च हुए लेकिन जमीनी स्तर पर इनका लाभ जनता को नहीं मिला।
इलले पहले कैग की ऑडिट रिपोर्ट ने भी इन प्रोजेक्टों में गंभीर वित्तीय गड़बड़ियां उजागर की हैं, जिसके बाद विजिलेंस ने जांच का दायरा और बढ़ा दिया था।
ये अफसर हो सकते हैं गिरफ्तार
सूत्रों के अनुसार, विजिलेंस उन अफसरों की सूची तैयार कर चुकी है जो स्मार्ट सिटी में साइट इंजीनियर, कंसल्टेंट, प्रोजेक्ट एक्सपर्ट, टीम लीडर और सीईओ स्तर पर कार्यरत थे।
यह अफसर प्रोजेक्ट मंजूरी, टेंडरिंग और पेमैंट प्रक्रियाओं से सीधे जुड़े थे। इनमें से कुछ अधिकारी अब रिटायर होकर पैंशन प्राप्त कर रहे हैं। माना जा रहा है कि यदि जांच में दोष सिद्ध हुआ तो सरकार इन्हें गिरफ्तार करवा सकती है।

रिटायर्ड अफसर ने किया कांड
जालंधर स्मार्ट सिटी के कई पदों पर आऊटसोर्स एजैंसियों के माध्यम से मनचाहे कर्मचारियों को रखा गया। इनमें से कई नगर निगम के सेवानिवृत्त अधिकारी थे, जो पैंशन लेते हुए दोहरी कमाई कर रहे थे। अब विजिलेंस यह जांच कर रही है कि इन नियुक्तियों के पीछे किन अफसरों की भूमिका थी और किसे अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
विजिलेंस ब्यूरो वित्तीय गड़बड़ियों से आगे बढ़कर उन संपत्तियों और प्रॉपर्टियों की भी जांच करने की तैयारी में है जो कथित तौर पर भ्रष्टाचार के पैसों से अर्जित की गईं। बताया जा रहा है कि ब्यूरो ने इस संबंध में प्रारंभिक जानकारी जुटा ली है और जल्द कुछ अधिकारियों की संपत्ति जांच शुरू हो सकती है।






