डेली संवाद, लखनऊ। Constitution Day: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से 2015 से पूरा देश प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस पर कार्यक्रम आयोजित करता है। 1946 में हुए संविधान सभा के चुनाव के उपरांत गठित संविधान सभा ने भारत के संविधान का निर्माण किया था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में बनी संविधान सभा ने अलग-अलग कमेटियां बनाई थीं, उसकी ड्रॉफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष के रूप में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी।
संविधान निर्माण में 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन लगे। संविधान निर्माण में जिन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने योगदान व विशेषज्ञों ने सहयोग किया, उसी का परिणाम है कि हमारा संविधान दुनिया का सबसे बड़ा और भारत की अनेकता को एकता में जोड़ने वाला है। संविधान की मूल प्रति को लेकर बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की समिति जब संविधान सभा के पास गई थी तब भी उन्होंने कहा था कि संविधान एक दस्तावेज है, जो भारत की विविधता को एकता में जोड़ने में मार्गदर्शिका के रूप में देश को नेतृत्व प्रदान करेगी।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने संविधान दिवस पर लोकभवन में संविधान की उद्देशिका का सशपथ पाठन कराया। इसके पूर्व अतिथियों ने भारत मां व बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के चित्र पर पुष्पार्चन किया। इस दौरान लघु फिल्म भी दिखाई गई। सीएम योगी ने विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी सम्मानित किया।
कर्तव्य के बिना अधिकार नहीं हो सकता
सीएम योगी ने कहा कि आज हर संस्था, पंचायत में ऐसे आयोजन करके संविधान की प्रस्तावना का वाचन करने का प्रयास हुआ है। 2015 में संविधान दिवस पर पीएम मोदी ने कहा था कि हममें से हर व्यक्ति स्वतंत्र भारत का नागरिक है। लेकिन स्वतंत्रता की वास्तविक कीमत विस्मृत की जा रही है, क्योंकि हमने स्वाधीनता की लड़ाई को आंखों से नहीं देखा। हमने क्रूर यातनाओं को नहीं सहा।
परिणामस्वरूप हर व्यक्ति केवल अधिकार की बात करता है। अधिकार तब सुरक्षित होते हैं, जब व्यक्ति कर्तव्यों के निर्वहन की आदत डाले। कर्तव्य के बिना अधिकार नहीं हो सकता। जहां कर्तव्य के बिना अधिकार प्राप्त करने का प्रयास किया गया है, वहां पर लोकतंत्र नहीं है, बल्कि वहां तानाशाह, व्यवस्था को गिरफ्त में लेकर आम नागरिकों के मौलिक अधिकारों को रौंदते दिखते हैं।
विकसित व आत्मनिर्भर भारत के लिए हर देशवासी पंचप्रणों के साथ जुड़े
सीएम योगी ने कहा कि संविधान लागू होने के बाद भारत ने इसे सर्वोपरि मानकर सम्मान दिया। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों व प्रतीकों को सम्मान दिया और जिन मूल भावनाओं पर भारत का संविधान बना है, उसे जीवन का हिस्सा बनाने का प्रयास किया। जब कोई देश मूल भावनाओं को सम्मान देते हुए बढ़ता है तो उसे विकसित होने से कोई रोक नहीं सकता। आजादी के अमृत महोत्सव में पीएम मोदी ने देशवासियों के सामने विकसित भारत की संकल्पना रखी।
इसके लिए पीएम मोदी ने 2022 में कहा था कि जब देश आजादी के 100वें वर्ष में जाएगा, तब हमें कैसा भारत चाहिए इसके लिए काम करना होगा। उन्होंने विकसित व आत्मनिर्भर भारत के लिए हर देशवासियों से पंचप्रण के साथ जुड़ने का आह्वान किया। सीएम ने पंच प्रण का जिक्र करते हुए कहा कि हर व्यक्ति गुलामी की मानसिकता से मुक्त हो। यूनिफॉर्म धारी सेना-अर्धसेना, पुलिस बल के जवानों के प्रति सम्मान का भाव रखे।
यदि कोई एक व्यक्ति गलती करता है तो उसके लिए पूरी व्यवस्था को नहीं कोसा जाना चाहिए
सीएम योगी ने कहा कि यदि कोई एक व्यक्ति गलती करता है तो उसके लिए पूरी व्यवस्था को नहीं कोसा जाना चाहिए, बल्कि गलती के परिमार्जन का अवसर देना चाहिए। कोई बार-बार गलती करता है तो परिमार्जन का अवसर देते हुए प्रभावी कदम उठाने के लिए कहना चाहिए। उसके लिए पूरे सिस्टम को दोषी नहीं ठहरा सकते। अक्सर स्वयं के स्वार्थ के लिए हम लोग सामाजिक विद्वेष की खाई को चौड़ा करने का प्रयास करते हैं। सीएम ने कहा कि एकता व एकात्मता के लिए प्रयास-दायित्व होना चाहिए। हमें विरासत का सम्मान करना चाहिए। भारत में विरासत, आध्यात्मिक व सांस्कृतिक परंपरा भी है। स्वाधीनता संग्राम के दौरान अलग- अलग क्षेत्रों-संघर्षों में जिन बलिदानियों ने खुद को समर्पित करते हुए भारत की एकता-अखंडता के लिए मिलकर कार्य किया, वे धरोहर के रूप में हैं। सीएम योगी ने कहा कि हर किसी को ईमानदारी से कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए।
संविधान का अपमान बाबा साहेब
सीएम योगी ने कहा कि यदि हम भारत के संविधान का अपमान करते हैं तो यह बाबा साहेब, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों-बलिदानियों और उन गरीबों का अपमान है, जिन गरीबों ने संविधान के ताकत के बल पर लोकतांत्रिक अधिकार पाया है। उस आधी आबादी का अपमान है, जिन्हें संविधान ने पहले आम चुनाव के अंदर ही मत देने का अधिकार प्रदान कर दिया था। सीएम ने कहा कि दुनिया में आधुनिक लोकतंत्र की घोषणा करने वाले तमाम देशों ने कुछ ही तबके को मत देने का अधिकार दिया था।
तमाम बड़े देश, जो आधुनिक लोकतंत्र का ठेकेदार बनकर घूमते हैं, उन्होंने महिलाओं को मत देने का अधिकार बहुत बाद में दिया, लेकिन भारत ने अपने व्यस्क नागरिकों को पहले ही दिन से मत देने का अधिकार प्रदान किया। भारत में बिना भेदभाव के संविधान लागू होने के साथ ही सामाजिक रूप से अस्पृश्य कहे जाने वाले दलित-जनजाति समाज के लिए संविधान ने आरक्षण की व्यवस्था भी दी। उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने और सामाजिक समता के निर्माण में उनकी भूमिका का निर्वहन किया जा सके, इस दृष्टि से बड़ा क्रांतिकारी अभियान संविधान ने भारत के प्रत्येक अनुसूचित जाति-जनजाति के नागरिक को प्रदान किया।
यदि सभी अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं तो संविधान को सम्मान दे रहे
सीएम योगी ने कहा कि भारत के संविधान के प्रति उन भावनाओं को बढ़ाने के लिए नया भारत तेजी से आगे बढ़ा है। विरासत के सम्मान से लेकर गुलामी की मानसिकता को समाप्त करना, सैनिकों-वर्दीधारी फोर्स को सम्मान देने, सामाजिक एकता और समता के लिए कार्य करने के साथ ही नागरिक कर्तव्य भी महत्वपूर्ण हैं। सीएम ने छात्रों, शिक्षकों, व्यापारी, शासकीय सेवा में कार्य करने वाला कार्मिकों आदि का उदाहरण देते हुए सभी को कर्तव्यों का अहसास कराया और कहा कि यदि सभी अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं तो वह संविधान को सम्मान दे रहे हैं। यदि कोई व्यक्ति ईमानदारी से उत्तरदायित्वों का निर्वहन नहीं कर रहा है तो वह भारत के संविधान का अनादर कर रहा है।
विरासत का अपमान उन सेनानियों व बलिदानियों का अपमान है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए सर्वस्व न्योछावर किया था। यूनिफॉर्म धारी फोर्स पर यदि कोई टिप्पणी कर रहा है और गुलामी की मानसिकता को धारण करने के लिए बाध्य कर रहा है तो वह भारत, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों व नागरिकों का अपमान कर रहा है। सीएम ने कहा कि यदि कोई जाति, क्षेत्र व भाषा के नाम पर विद्वेष की खाई को चौड़ा करके अराजकता व अव्यवस्था पैदा करने का प्रयास कर रहा है तो वह भारत को कमजोर कर रहा है। जब हम कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन नहीं करते तो यह संविधानविदों, निर्माताओं और बाबा साहेब का अपमान है। प्रधानमंत्री ने विकसित भारत के लिए पंच प्रण को आवश्यक माना है और इसका आधार संविधान है।








